Tuesday, 18 November 2014

Towards healthier buildings…

अच्छे भवन, वातावरण में विचार करने, काम करने में अच्छी सोंच आती है:- मुख्यमंत्री 

पटना, 18 नवम्बर 2014:- अच्छे भवन, वातावरण में विचार करने, काम करने में अच्छी सोंच आती है। बामेती के नवनिर्मित परिसर का निर्माण वैज्ञानिक तरीके से किया गया है। इस भवन की आधारशीला 10 अगस्त 2011 को पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने रखी थी और यह नीयत समय में बनकर उद्घाटित हो रहा है, इसके लिये मैं कृषि विभाग एवं इस भवन के निर्माण में लगे तमाम अभियंताओं एवं पदाधिकारियों को बधाई देता हूॅ। भवन के निर्माण पर लगभग 19.18 करोड़ रूपये की लागत आयी है। मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी आज जगदेव पथ पर नवनिर्मित बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती) का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अच्छे भवन का उद्घाटन अच्छे वातावरण में हो रहा है, इसका लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने बामेती के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि राज्य क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वैसे संस्थान जिन्होंने कृषि प्रसार प्रबंधन के कार्यों में उत्कृष्टता हासिल की हो, उनसे संबंध स्थापित कर राज्य के कृषि प्रसार में सहयोग देना। कृषि प्रसार प्रबंधन व्यवस्था एवं नीति के बारे में उनसे जुड़ी समस्याओं एवं अवरोध पर शोध करना तथा प्रत्येक स्तर पर उचित मार्गदर्शन देना है। प्रबंधन की आधुनिक तकनीक को खोजकर कृषि से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालने के लिये मानव संसाधनों का समाधान निकालने के लिये मानव संसाधनों का प्रबंधन, संस्थागत विरोधाभासाओं का प्रबंधन एवं प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करना है। प्रशिक्षण के स्तर को सुधारने हेतु कृषि प्रसार प्रबंधन क्षेत्र में कार्यक्रम आधारित शोध को बढ़ावा दिया जाना है। सफलता की कहानियों का संकलन कर उसका प्रचार-प्रसार किया जाना बामेती का उद्देश्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक लोग खेती पर निर्भर हैं। खेती का काम लाभकारी नहीं माना जा रहा है। किसान एडी-चोटी एक कर अन्न ऊपजाते हैं, मगर उनके उत्पादन का मूल्य दूसरे लगाते हैं। कृषि में लागत के अनुपात में आय कम है, किसानों की आय को बढ़ाये जाने के लिये राज्य सरकार संकल्पित है, इसके लिये व्यापक कृषि रोड मैप बनाये गये हैं। कृषकों को राज्य सरकार उचित सहायता देकर उन्हें कृषि के लिये प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे किसान के बेटा नहीं, मजदूर के बेटा हैं। वे ये जताना चाहते हैं कि किसान और मजदूर के बीच क्या संबंध होना चाहिये। किसान, मजदूरों में समन्वय स्थापित रहे, किसानों की स्थिति ठीक रहेगी तो मजदूरों की स्थिति भी ठीक होगी। उन्होंने कहा कि उनका लगाव कृषि में है और वे किसान एवं मजदूरों के बीच लगातार समन्वय स्थापित कराने का प्रयास करते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सामाजिक नजरिया बदल गया है। कृषि को लोग हीन भावना से देखते हैं। पढ़-लिखकर कोई कृषि में लगना नही चाहता है। हमें इस नजरिया को बदलना होगा और कृषि पर महत्व देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जंगल का प्रतिशत 33 प्रतिशत होना चाहिये था, मगर यह प्रतिशत राज्य में 7 प्रतिशत था, जिसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत तक पहुॅचे हैं। वन क्षेत्रों में विस्तार कर पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। पर्यावरण के लिये खेती एवं वृक्षारोपण आवश्यक है। हमें अपनी संस्कृति को बदलना होगा और अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति की ओर लौटना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ नकदी फसल पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। कृषि को लाभकारी बनाने के लिये कृषि को पशुपालन, वाणिकी, मुर्गीपालन, बकरी पालन, मछली पालन इत्यादि से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़े और उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिले, इसके लिये राज्य में बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग इन्डस्ट्रीज लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य में महत्वाकांक्षी कृषि रोडमैप के परिणामस्वरूप राज्य को धान एवं गेहूँ में रिकाॅर्ड उत्पादन के लिये कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। एक हेक्टेयर में 190 क्विंटल धान की ऊपज का रिकाॅर्ड था, जिसे हमारे किसानों ने तोड़कर 224 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का रिकाॅर्ड बनाया है। श्रीविधि की प्रेरणा जिस किसान से मिली, वह किसान मुख्यमंत्री जी के परिवार की ही हैं और विधानसभा सदस्या भी हैं। मुख्यमंत्री जी का भी लगाव कृषि में है, यह गौरव की बात है। जिस रफ्तार से हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं, यही रफ्तार बनी रही तो बिहार कृषि के क्षेत्र में मात्र आत्मनिर्भर नहीं होगा बल्कि देश का सर्वाधिक उत्पादन वाला राज्य बनेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री ने बामेती परिसर में पाटलि का वृक्ष लगाया। कृषि विभाग की प्रदर्शनी का उद्घाटन कर उन्नत कृषि के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। स्वागत भाषण प्रधान सचिव कृषि श्री अमृल लाल मीणा ने किया और कहा कि आज माननीय मुख्यमंत्री के कर कमलों से राज्य के सात जिलों में संयुक्त कृषि भवन का उद्घाटन एवं 21 प्रखण्डों में ई-किसान भवन का उद्घाटन, सामुदायिक रेडियो स्टेशन हरिहरपुर वैशाली में किया गया। संयुक्त कृषि भवन के निर्माण पर प्रति कृषि भवन चार करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं। बामेती परिसर का भी उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया, जिसका 19.18 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत आयी है। श्री अमृत लाल मीणा ने बताया कि आज ही 91 करोड़ रूपये की लागत से दस हजार तालाबों के निर्माण की आधारशीला, 91 करोड़ रूपये की लागत से 91 प्रखण्डों में ई-किसान भवन की आधारशीला तथा 52 लाख रूपये की लागत से सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोदाबंदपुर बेगूसराय का शिलान्यास किया गया है।
श्री अमृत लाल मीणा ने कहा कि 2010 में इस भवन की आधारशीला रखी गयी थी। इसमें कृषि के सभी आयामों के बारे में किसानों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। 130 प्रशिक्षणार्थियों को यहाॅ पर रहने के लिये हाॅस्टल भी बनाये गये हैं, जिसमें 36 महिला प्रशिक्षणार्थियों के रहने की भी व्यवस्था है। तीन सौ लोगों के बैठने के लिये एक आकर्षक एवं आधुनिक आॅडिटोरियम भी इस भवन में बनाये गये हैं।
श्री मीणा ने कहा कि किसानों की बड़ी मेहनत के कारण इस वर्ष धान की काफी अच्छी फसल अनुमानित है। 122 लाख एम0टी0 धान का उत्पादन इस वर्ष अनुमानित है। कर्मशियल बायोफर्टिलाइजर को व्यापक पैमाने पर विभाग बढ़ाना चाहता है, इसके लिये किसानों को आकर्षक सबसिडी दी जा रही है। जो किसान कृषि यंत्र लेना चाहते हैं, उन्हें कृषि यंत्र के लिये अनुदान दिये जा रहे हैं। तीन लाख से अधिक किसानों को इस योजना से लाभान्वित किया जायेगा। किसान इस योजना का लाभ लें और उन्नत कृषि के लिये आधुनिक कृषि यंत्र की खरीद करें। हर ब्लाॅक में ई-किसान भवन बनेगा, जहाॅ पर प्रखण्ड कृषि कार्यालय के साथ किसानों को प्रशिक्षण की व्यवस्था रहेगी।
इस अवसर पर किसान आयोग के अध्यक्ष डाॅ0 सी0पी0 सिन्हा ने भी समारोह को संबोधित किया और राज्य सरकार की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर कुलपति कृषि विश्वविद्यालय पूसा डाॅ0 आर0के0 मितल, निदेशक उद्यान श्री अरविन्दर सिंह, निदेशक कृषि श्री धर्मेन्द्र सिंह, आई0डी0ए0 प्रबंध निदेशक श्री राहुल सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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