नई दिल्ली, 16 अप्रैल: डाॅ0 रंजु गीता, मंत्री गन्ना उद्योग विभाग, बिहार सरकार ने कहा है कि राज्य के गन्ना उत्पादक किसानों एवं चीनी मिलों के समक्ष व्याप्त आर्थिक समस्याओं के निदान हेतु कारगर एवं सख्त रणनीति बनाने की आवश्यकता है। डाॅ0 गीता ने बताया कि मुख्यमंत्री, बिहार को सम्बोधित दिनांक 08-04-2015 का पत्र भी प्राप्त हुआ है। जिसके माध्यम से केन्द्रीय मंत्री द्वारा गन्ना उत्पादन एवं चीनी मिलों की आर्थिक संकट के निदान हेतु अपना सुझाव देने की अपेक्षा की गई है।
गन्ना मंत्री डाॅ0 गीता आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन के आचार्य जगदीश चन्द्र बोस हाॅल में केन्द्रीय मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा गन्ना किसानों और चीनी उद्योग में व्याप्त अभूतपूर्व वित्तीय संकट के समाधान हेतु बुलाए गए राज्यों के मुख्य मंत्रियों की बैठक को सम्बोधित कर रही थी। गन्ना मंत्री ने बताया कि राज्य में विभिन्न स्तरों पर आहुत बैठकों में गन्ना मिल के प्रतिनिधियों द्वारा सुलभ कराए गए जानकारी से यह तथ्य प्रकाश में आया है कि प्रवृत ईंख मूल्य के दर एवं औसत 9.07 प्रतिशत रिकवरी पर राज्य में चीनी अत्पादन लागत औसतन रू0 3200-3250/ किवंटल आता है। जबकि दूसरी ओर चीनी का मूल्य विगत छः वर्षों के सबसे नीचले स्तर अर्थांत् चीनी मिलों द्वारा रू0 2600 से 2650/ किवंटल की दर से बिक्री की जाती है। परिणामस्वरूप चीनी मिले गम्भीर आर्थिक संकट में है। फलस्वरूप उन्हे राज्य के गन्ना उत्पादक किसानों को सम्पूर्ण गन्ना मूल्य के भुगतान में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
डाॅ0 गीता ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा बाहर से आयात किए जाने की अनुमति दिए जाने के फलस्वरूप
ब्राजिल आदि देशों से देश में उत्पादित चीनी की कमीत से काफी कम कीमत पर चीनी आ रहा है। जिसके कारण देश में उत्पादित चीनी पुरी तरह प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप बिहार जैसे कम रिकवरी वाले राज्य की चीनी मिले रूग्णता की ओर अग्रसर है, और गन्ना उत्पादक किसान आर्थिक बदहोली में।
गन्ना मंत्री ने कारगर रणनीति बनाने हेतु केन्द्र सरकार की अपेक्षा के अनुरूप अपने सुझाव से अवगत कराया-यथा-जब देश में खपत की तुलना में कहीं अधिक लगभग 25 मिलियन में0 टन चीनी का उत्पादन हो रहा है,
तो बाहर से आयात हो रहे चीनी को पूर्ण रूप से बन्द किया जाए या आयात चीनी पर अधिरोपित 25 प्रतिशत आयात शुल्क को बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा Advance Authorisation Scheme (AAS) के अन्तर्गत आयातित चीनी में अन्तर्निहित सिद्वांतों का अनुपालन सख्ती से नहीं होने के कारण आयातित चीनी का घरेलू बाजार में हो रहे प्रवेश स्थानीय बाजार के हितों के बिल्कुल प्रतिकूल है। कच्चे चीनी को रिफाईनिंग के पश्चात Grain to Grain नीति अंतर्गत निर्यात कराया जाए एवं इसके लिए निर्धारित अवधि को अठारह माह से घटाकर तीन माह किया जाए। साथ ही सरकार के स्तर से सख्त निगरानी में इसका अनुपालन सुनिश्चित हो। देश में उत्पादित सफेद चीनी को भी कच्चे चीनी की भाँति निर्यात करने की सभी सुविधाएँ सहित राज्य की चीनी मिलों को आवश्यक प्रोत्साहन एवं सहयोग किया जाए। गन्ना मंत्री ने बताया कि जून 2014 में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि दो वर्षों में भुगतान किये गए केन्द्रीय उत्पादन शुल्क के समतुल्य चीनी मिलों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध करायी जाएगी। जिससे चीनी मिलों को किसानों के बकाये ईख मूल्य भुगतान में सहयोग मिलेगा। डाॅ0 गीता ने
बताया कि किसानो के बकाये ईख मूल्य के त्वरित भुगतान हेतु केंद्र सरकार के स्तर से तीस लाख टन चीनी का बफर स्टाॅक बनाया जाय या MMTC/STC/FCI के माध्यम से चीनी के क्रय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं।
आहुत बैठक की अध्यक्षता श्री राम विलास पासवान, मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
मंत्रालय, भारत सरकार ने की। अधिकाधिक राज्यों के गन्ना मंत्रियों ने अपने-अपने सुझाव दिये। डाॅ0 संजु गीता के साथ गन्ना सचिव, बिहार सरकार श्री संजय कुमार सिंह ने भी बैठक में भाग लिया।
गन्ना मंत्री डाॅ0 गीता आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन के आचार्य जगदीश चन्द्र बोस हाॅल में केन्द्रीय मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा गन्ना किसानों और चीनी उद्योग में व्याप्त अभूतपूर्व वित्तीय संकट के समाधान हेतु बुलाए गए राज्यों के मुख्य मंत्रियों की बैठक को सम्बोधित कर रही थी। गन्ना मंत्री ने बताया कि राज्य में विभिन्न स्तरों पर आहुत बैठकों में गन्ना मिल के प्रतिनिधियों द्वारा सुलभ कराए गए जानकारी से यह तथ्य प्रकाश में आया है कि प्रवृत ईंख मूल्य के दर एवं औसत 9.07 प्रतिशत रिकवरी पर राज्य में चीनी अत्पादन लागत औसतन रू0 3200-3250/ किवंटल आता है। जबकि दूसरी ओर चीनी का मूल्य विगत छः वर्षों के सबसे नीचले स्तर अर्थांत् चीनी मिलों द्वारा रू0 2600 से 2650/ किवंटल की दर से बिक्री की जाती है। परिणामस्वरूप चीनी मिले गम्भीर आर्थिक संकट में है। फलस्वरूप उन्हे राज्य के गन्ना उत्पादक किसानों को सम्पूर्ण गन्ना मूल्य के भुगतान में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
डाॅ0 गीता ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा बाहर से आयात किए जाने की अनुमति दिए जाने के फलस्वरूप
ब्राजिल आदि देशों से देश में उत्पादित चीनी की कमीत से काफी कम कीमत पर चीनी आ रहा है। जिसके कारण देश में उत्पादित चीनी पुरी तरह प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप बिहार जैसे कम रिकवरी वाले राज्य की चीनी मिले रूग्णता की ओर अग्रसर है, और गन्ना उत्पादक किसान आर्थिक बदहोली में।
गन्ना मंत्री ने कारगर रणनीति बनाने हेतु केन्द्र सरकार की अपेक्षा के अनुरूप अपने सुझाव से अवगत कराया-यथा-जब देश में खपत की तुलना में कहीं अधिक लगभग 25 मिलियन में0 टन चीनी का उत्पादन हो रहा है,
तो बाहर से आयात हो रहे चीनी को पूर्ण रूप से बन्द किया जाए या आयात चीनी पर अधिरोपित 25 प्रतिशत आयात शुल्क को बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा Advance Authorisation Scheme (AAS) के अन्तर्गत आयातित चीनी में अन्तर्निहित सिद्वांतों का अनुपालन सख्ती से नहीं होने के कारण आयातित चीनी का घरेलू बाजार में हो रहे प्रवेश स्थानीय बाजार के हितों के बिल्कुल प्रतिकूल है। कच्चे चीनी को रिफाईनिंग के पश्चात Grain to Grain नीति अंतर्गत निर्यात कराया जाए एवं इसके लिए निर्धारित अवधि को अठारह माह से घटाकर तीन माह किया जाए। साथ ही सरकार के स्तर से सख्त निगरानी में इसका अनुपालन सुनिश्चित हो। देश में उत्पादित सफेद चीनी को भी कच्चे चीनी की भाँति निर्यात करने की सभी सुविधाएँ सहित राज्य की चीनी मिलों को आवश्यक प्रोत्साहन एवं सहयोग किया जाए। गन्ना मंत्री ने बताया कि जून 2014 में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय द्वारा यह निर्णय लिया गया था कि दो वर्षों में भुगतान किये गए केन्द्रीय उत्पादन शुल्क के समतुल्य चीनी मिलों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध करायी जाएगी। जिससे चीनी मिलों को किसानों के बकाये ईख मूल्य भुगतान में सहयोग मिलेगा। डाॅ0 गीता ने
बताया कि किसानो के बकाये ईख मूल्य के त्वरित भुगतान हेतु केंद्र सरकार के स्तर से तीस लाख टन चीनी का बफर स्टाॅक बनाया जाय या MMTC/STC/FCI के माध्यम से चीनी के क्रय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं।
आहुत बैठक की अध्यक्षता श्री राम विलास पासवान, मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
मंत्रालय, भारत सरकार ने की। अधिकाधिक राज्यों के गन्ना मंत्रियों ने अपने-अपने सुझाव दिये। डाॅ0 संजु गीता के साथ गन्ना सचिव, बिहार सरकार श्री संजय कुमार सिंह ने भी बैठक में भाग लिया।
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