पटना, 13 अप्रैल 2015:- इस वर्ष बिन मौसम बरसात से किसानों को काफी नुकसान हुआ है, इसकी भरपाई अगले फसल में हो जाय, ऐसी मेरी कामना है। बैसाखी के त्योहार पर मैं राज्यवासियों विशेषकर पंजाबी बिरादरी को शुभकामनायें एवं बधाई देता हूॅ। आज शाम मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में बैसाखी पर्व पर आयोजित समारोह का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैसाखी का त्योहार विशेषकर पंजाबी समाज के लिये बहुत महत्व रखता है। हिन्दुस्तान में जिन पर्व, त्योहारों में खुशियाॅ और उमंग है, उनमें से अधिकांश त्योहारों का संबंध कृषि से है। बैसाखी का त्योहार भी कृषि से संबंधित है। नई फसल की कटाई पर किसान आनंदित होकर इसे मनाते हैं। जब फसल कटकर घर आने वाला होता है तो इसकी खुशी मनाते हैं। हमारे बिहार में 76 प्रतिशत लोग आजीविका के लिये कृषि पर निर्भर हैं। पहले के जमाने में खेती ही सब कुछ था। कटाई का जब समय आता था तो किसान खुश होते थे और खुशियों को मिलकर बाॅटते थे। ईश्वर से प्रार्थना करते थे कि इस वर्ष फसल अच्छी हुयी है। अगले वर्ष भी अच्छी फसल हो, कि कामना करते हैं। बैसाखी का पर्व इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि सिख पंथ के 10वें गुरू गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन की थी। आज के दिन का कई अन्य ऐतिहासिक महत्व भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के हर प्रान्तों में किसी न किसी रूप में और किसी न किसी नाम से इस त्योहार को लोग मनाते हैं और खुशियों को बाॅटते हैं। कल सतुआनी भी है, सतुआनी के दिन सतु खाने और आम के टिकोले की चटनी खाने की परंपरा है।
मुख्यमंत्री ने पंजाबी बिरादरी की मेहनत और उद्यमिता की प्रशंसा करते हुये कहा कि भारत के बंटवारे के बाद 1948 में पंजाबी बिरादरी की स्थापना हुयी। यह बिरादरी देश के हर जगह जहाॅ रेल का संबंध था, वहाॅ आये। देश की आजादी और देश की रक्षा के लिये लड़े। सरहद की रक्षा में हमेशा इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। इनमें उद्यमिता बहुत है। जो भी पाकिस्तान से आये, उन्होंने भीख नहीं माॅगा। अपनी मेहनत और उद्यमिता से अपने पैरों पर खड़े हुये। उनके जज्बे को सलाम करता हूॅ। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना के लाला लाजपत राय भवन से उनका भावनात्मक संबंध है। इसी हाॅल से उनका विवाह 2 फरवरी 1973 को हुआ था। शादी की समारोह की अध्यक्षता तत्कालीन कुलपति पटना विश्वविद्यालय श्री सचिन दता ने की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी बिरादरी का पटना से भावनात्मक लगाव है। गुरू गोविन्द सिंह की 350वीं जन्मोत्सव 2017 में मनायेंगे। कोशिश रहेगी कि इस जन्मोत्सव में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई तकलीफ न हो। हम सब मिलकर उनके स्वागत में लगेंगे। पंजाबी बिरादरी की ओर से श्री आर0सी0 मल्होत्रा ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
समारोह को खाद्य उभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री श्याम रजक, विधान पार्षद श्रीमती किरण घई, सचिव पर्यटन श्रीमती हरजोत कौर ने भी संबोधित किया और बैसाखी के महत्व से लोगों को अवगत कराया। स्वागत भाषण श्री गुरूचरण गाॅधी ने किया और कहा कि बैसाखी का त्योहार कृषि से जुड़ा त्योहार है, इसका दूसरा महत्व यह भी है कि इसी दिन गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। अनेकता में एकता का संदेश दी थी। आज के ही दिन जलियाबाला बाग में जेनरल डायर ने देशभक्तों पर गोली बरसायी थी। आज के दिन शहीदों की जय-जयकार भी की जाती है।
इस अवसर पर प्रसिद्ध सूफी गायिका रेखा राज ने अपनी आकर्षक प्रस्तुती दी, जिसे स्रोताओं ने सराहा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री चंचल कुमार, श्री कुलवंत सिंह सलूजा, श्री इन्द्रजीत सिंह, श्री आर0एस0 जीत सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैसाखी का त्योहार विशेषकर पंजाबी समाज के लिये बहुत महत्व रखता है। हिन्दुस्तान में जिन पर्व, त्योहारों में खुशियाॅ और उमंग है, उनमें से अधिकांश त्योहारों का संबंध कृषि से है। बैसाखी का त्योहार भी कृषि से संबंधित है। नई फसल की कटाई पर किसान आनंदित होकर इसे मनाते हैं। जब फसल कटकर घर आने वाला होता है तो इसकी खुशी मनाते हैं। हमारे बिहार में 76 प्रतिशत लोग आजीविका के लिये कृषि पर निर्भर हैं। पहले के जमाने में खेती ही सब कुछ था। कटाई का जब समय आता था तो किसान खुश होते थे और खुशियों को मिलकर बाॅटते थे। ईश्वर से प्रार्थना करते थे कि इस वर्ष फसल अच्छी हुयी है। अगले वर्ष भी अच्छी फसल हो, कि कामना करते हैं। बैसाखी का पर्व इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि सिख पंथ के 10वें गुरू गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन की थी। आज के दिन का कई अन्य ऐतिहासिक महत्व भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के हर प्रान्तों में किसी न किसी रूप में और किसी न किसी नाम से इस त्योहार को लोग मनाते हैं और खुशियों को बाॅटते हैं। कल सतुआनी भी है, सतुआनी के दिन सतु खाने और आम के टिकोले की चटनी खाने की परंपरा है।
मुख्यमंत्री ने पंजाबी बिरादरी की मेहनत और उद्यमिता की प्रशंसा करते हुये कहा कि भारत के बंटवारे के बाद 1948 में पंजाबी बिरादरी की स्थापना हुयी। यह बिरादरी देश के हर जगह जहाॅ रेल का संबंध था, वहाॅ आये। देश की आजादी और देश की रक्षा के लिये लड़े। सरहद की रक्षा में हमेशा इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। इनमें उद्यमिता बहुत है। जो भी पाकिस्तान से आये, उन्होंने भीख नहीं माॅगा। अपनी मेहनत और उद्यमिता से अपने पैरों पर खड़े हुये। उनके जज्बे को सलाम करता हूॅ। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना के लाला लाजपत राय भवन से उनका भावनात्मक संबंध है। इसी हाॅल से उनका विवाह 2 फरवरी 1973 को हुआ था। शादी की समारोह की अध्यक्षता तत्कालीन कुलपति पटना विश्वविद्यालय श्री सचिन दता ने की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी बिरादरी का पटना से भावनात्मक लगाव है। गुरू गोविन्द सिंह की 350वीं जन्मोत्सव 2017 में मनायेंगे। कोशिश रहेगी कि इस जन्मोत्सव में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई तकलीफ न हो। हम सब मिलकर उनके स्वागत में लगेंगे। पंजाबी बिरादरी की ओर से श्री आर0सी0 मल्होत्रा ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
समारोह को खाद्य उभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री श्याम रजक, विधान पार्षद श्रीमती किरण घई, सचिव पर्यटन श्रीमती हरजोत कौर ने भी संबोधित किया और बैसाखी के महत्व से लोगों को अवगत कराया। स्वागत भाषण श्री गुरूचरण गाॅधी ने किया और कहा कि बैसाखी का त्योहार कृषि से जुड़ा त्योहार है, इसका दूसरा महत्व यह भी है कि इसी दिन गुरू गोविन्द सिंह महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। अनेकता में एकता का संदेश दी थी। आज के ही दिन जलियाबाला बाग में जेनरल डायर ने देशभक्तों पर गोली बरसायी थी। आज के दिन शहीदों की जय-जयकार भी की जाती है।
इस अवसर पर प्रसिद्ध सूफी गायिका रेखा राज ने अपनी आकर्षक प्रस्तुती दी, जिसे स्रोताओं ने सराहा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री चंचल कुमार, श्री कुलवंत सिंह सलूजा, श्री इन्द्रजीत सिंह, श्री आर0एस0 जीत सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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