पटना, 02 अप्रील 2015:- दूध के उत्पादन में हम आगे बढ़े हैं, अभी और आगे बढ़ना है। जो राज्य इस क्षेत्र में पीछे रह गये हैं, उन्हें आगे लाने का प्रयास होना चाहिये। बिहार में डेयरी के क्षेत्र में जो काॅपरेटिव बना, वह बहुत कारगर सिद्ध हुआ। जहाॅ प्रतिदिन चार लाख लीटर दूध का संग्रहण होता था, वहीं आज पन्द्रह लाख लीटर से अधिक संग्रहण प्रतिदिन हो रहा है। दिल्ली, कोलकाता तक सुधा ब्राण्ड के दूध को लोग जानते हैं। इस ब्राण्ड के दूध और अन्य उत्पादनों की विश्वसनीयता है। आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार राजगीर के अन्तर्राष्ट्रीय समागम केन्द्र में इन्टरनेशनल काॅन्फ्रेंस आॅन सब्सटेनेबुल इनोवेशंस इन डेयरी का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर कर रहे थे। यह सम्मेलन 2 अप्रैल से 5 अप्रैल तक चलेगा और इस सम्मेलन का आयोजन डेयरी टेक्नोलाॅजी सोसायटी आॅफ इंडिया करनाल एवं संजय गाॅधी इन्स्टीच्यूट आॅफ डेयरी टेक्नोलाॅजी पटना के संयुक्त तत्वावधान में आयेाजित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन में उन्हें आमंत्रित किये जाने के लिये बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति श्री मेवालाल चैधरी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार जैसे राज्यों के लिये इसकी अहमियत है। डेयरी और पशुपालन के क्षेत्र में जो नवाचार हो रहा है, उस पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन कर देश एवं दुनिया को डेयरी क्षेत्र में हो रहे नवाचार की जानकारी दी जा रही है, यह हर्ष का विषय है। देश के विभिन्न भागों से किसान इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। विदेश के प्रतिनिधिगण भी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, उन सबका मैं बिहार की इस ऐतिहासिक धरती पर स्वागत एवं अभिनंदन करता हूॅ। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस तरह के सम्मेलन का लाभ डेयरी क्षेत्र में लगे लोगों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इसलिये भी ऐतिहासिक है कि यह मगध साम्राज्य की राजधानी रह चुकी राजधानी राजगीर में हो रही है। यह जरासंघ की भी जगह रही है। यहाॅ से पाण्डव का इतिहास जुड़ा है। यहाॅ पाण्डव पोखर है, जिसका विकास भी कर रहे हैं। भगवान महावीर से भी यह जगह जुड़ी हुयी है। महावीर जयंती के अवसर पर हम अपनी शुभकामनायें राज्यवासियों को प्रेषित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण प्रति परिवार जमीन बहुत कम रह गया है। ऐसी स्थिति में पशुपालन का बड़ा महत्व है। 76 प्रतिशत आबादी की जीविका कृषि कार्य पर निर्भर है। मेरा ध्यान कृषि प्रक्षेत्र पर सर्वाधिक है। बिहार का विकास होना है तो कृषि का विकास करना होगा। कृषि के विकास के लिये महत्वाकांक्षी कृषि रोड मैप बनाया है। इसका काॅन्सेप्ट इन्द्रधनुषी क्रान्ति का है। भारत सरकार में जब मैं कृषि मंत्री था, उस समय में भी मेरा जोर कृषि पर था। इन्द्रधनुषी क्रान्ति हो, ऐसा प्रयास किया। कृषि रोड मैप के अनुश्रवण के लिये कृषि कैबिनेट भी बनाया है। पहला लक्ष्य यह रखा है कि कुल मिलाकर उत्पादन और उत्पादकता बढ़े। प्रथम लक्ष्य है कि किसानों की आमदनी बढ़े। स्वामीनाथन आयोग ने कृषकों की जो परिभाषा की है, उनके अनुसार जमीन पर काम करने वाले सभी किसान हैं। सबकी आमदनी को बढ़ाकर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लायक बनाना मेरा प्रयास रहा है। आमदनी बढ़ेगी तब उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी। हमने बीज पर ध्यान दिया, कृषि रोड मैप से उत्साहित होकर नालंदा जिला के पाॅच किसानों ने धान के उत्पादन में विश्व का रिकाॅर्ड तोड़ा है। राज्य को दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की आबादी देश की आबादी का 1.3 प्रतिशत है। जानवरों की संख्या भी मनुष्य के आबादी के तुलना में होनी चाहिये। गाय, भैंस, बकरी पालन को बढ़ावा देना चाहिये, इनकी आबादी भी कम से कम देश के जानवरों की आबादी का 8.3 प्रतिशत होना चाहिये। डेयरी टेक्नोलाॅजी में विकास की अपार संभावनायें हैं। मैंने करनाल के प्रोजेक्ट को जाकर खुद देखा है। जब केन्द्र में कृषि मंत्री था तो कृषि भवन में करनाल के प्रोडक्ट को मंगाना प्रारंभ किया। रेल मंत्री बना तो वहाॅ भी करनाल के प्रोडक्ट को बढ़ावा दिया। करनाल में डेयरी क्षेत्र में जो कुछ हुआ, इससे हम पूर्णतः परिचित हैं। जो सर्वश्रेष्ठ तरीका है, उसे अपनाने की कोशिश करें। पशुओं को स्वस्थ रखना होगा, उन्हें कैसे स्वस्थ रखा जाय, इस पर विस्तार से इस सम्मेलन में चर्चा होनी चाहिये। एक जगह के नवाचार का लाभ दूसरे जगह पर ले जा सकते हैं। इसके आधार पर पशुओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। देशी नस्ल के पशुओं को बढ़ावा देना चाहिये, इससे उत्पादकता कैसे बढ़े, इस पर चर्चा होनी चाहिये। नवाचार का इस्तेमाल करें, इसे लोगों तक पहुॅचायें। इस क्षेत्र में जो काम हुआ है, वह काबिले तारीफ है। ऐसा प्रयास होना चाहिये कि दुनिया के बाजार में बिहार का मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट छा जाये, ऐसा प्रयास रहेगा तो दुग्ध उत्पादकों की आमदनी बढ़ेगी। ज्यादातर जनता गाॅव मंे रहती है। हमारे हर गाॅव को स्वावलंबी होना चाहिये। समाजवाद का अर्थ होता है समता $ संपन्नता इसलिये प्रयास करें कि आत्मनिर्भर हों और खुशहाल हों। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में यहाॅ से कोई नई चीज निकलेगी, जिसे हम अपने कृषि रोड मैप में समावेश कर पायें।
समारोह की अध्यक्षता कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय श्री मेवालाल चैधरी ने किया और कृषि विश्वविद्यालय सबौर के बढ़ते कदम की चर्चा की और कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय में नैनो टेक्नोलाॅजी विभाग स्थापित किये गये हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने धान, गेहूॅ की नई प्रजाति को इजाद किया है, जो अधिक तापमान में भी 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उत्पादन देती है। उन्होंने बताया कि किसानों को गुणवता वाले बीज उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से किसानों को कृषि के लिये समुचित सलाह दी जाती है। ज्ञान रथ प्रारंभ किया गया है। बस के माध्यम से दूरदराज के किसानों तक पहुॅचकर किसानों को कृषि के लिये कृषि क्षेत्र में हुये नवाचारों की जानकारी दी जा रही है।
इस अवसर पर डाॅ0 ए0के0 श्रीवास्तव सहित कई अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने भी समारोह को संबोधित किया और कृषि, डेयरी के क्षेत्र में हो रहे नये-नये शोध की जानकारी दी तथा पशुओं को स्वस्थ रखने की अनेक जानकारियाॅ दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालय सबौर की तीन पुस्तकों का लोकार्पण एवं एक समारिका का लोकार्पण भी किया।
इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त श्री विजय प्रकाश, सचिव पशुपालन श्री नर्मदेश्वर लाल ने भी पशुपालकों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाॅ दी। इस अवसर पर सांसद श्री कौशलेन्द्र कुमार, विधायक श्री जीतेन्द्र कुमार, श्रीमती नीता चैधरी, विधान पार्षद श्री हीरा बिन्द, पूर्व विधायक श्री ई0 सुनील, सदस्य राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग श्री अरूण कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री डी0एस0 गंगवार, कम्फेड के प्रबंध निदेशक श्री ओदश तितरमारे, जदयू के वरिष्ठ नेता यथा- श्री अनिल महाजन, श्री बिपिन यादव, जिला जदयू नालंदा अध्यक्ष श्री सियाशरण ठाकुर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन में उन्हें आमंत्रित किये जाने के लिये बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति श्री मेवालाल चैधरी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार जैसे राज्यों के लिये इसकी अहमियत है। डेयरी और पशुपालन के क्षेत्र में जो नवाचार हो रहा है, उस पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन कर देश एवं दुनिया को डेयरी क्षेत्र में हो रहे नवाचार की जानकारी दी जा रही है, यह हर्ष का विषय है। देश के विभिन्न भागों से किसान इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। विदेश के प्रतिनिधिगण भी इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, उन सबका मैं बिहार की इस ऐतिहासिक धरती पर स्वागत एवं अभिनंदन करता हूॅ। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस तरह के सम्मेलन का लाभ डेयरी क्षेत्र में लगे लोगों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इसलिये भी ऐतिहासिक है कि यह मगध साम्राज्य की राजधानी रह चुकी राजधानी राजगीर में हो रही है। यह जरासंघ की भी जगह रही है। यहाॅ से पाण्डव का इतिहास जुड़ा है। यहाॅ पाण्डव पोखर है, जिसका विकास भी कर रहे हैं। भगवान महावीर से भी यह जगह जुड़ी हुयी है। महावीर जयंती के अवसर पर हम अपनी शुभकामनायें राज्यवासियों को प्रेषित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण प्रति परिवार जमीन बहुत कम रह गया है। ऐसी स्थिति में पशुपालन का बड़ा महत्व है। 76 प्रतिशत आबादी की जीविका कृषि कार्य पर निर्भर है। मेरा ध्यान कृषि प्रक्षेत्र पर सर्वाधिक है। बिहार का विकास होना है तो कृषि का विकास करना होगा। कृषि के विकास के लिये महत्वाकांक्षी कृषि रोड मैप बनाया है। इसका काॅन्सेप्ट इन्द्रधनुषी क्रान्ति का है। भारत सरकार में जब मैं कृषि मंत्री था, उस समय में भी मेरा जोर कृषि पर था। इन्द्रधनुषी क्रान्ति हो, ऐसा प्रयास किया। कृषि रोड मैप के अनुश्रवण के लिये कृषि कैबिनेट भी बनाया है। पहला लक्ष्य यह रखा है कि कुल मिलाकर उत्पादन और उत्पादकता बढ़े। प्रथम लक्ष्य है कि किसानों की आमदनी बढ़े। स्वामीनाथन आयोग ने कृषकों की जो परिभाषा की है, उनके अनुसार जमीन पर काम करने वाले सभी किसान हैं। सबकी आमदनी को बढ़ाकर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लायक बनाना मेरा प्रयास रहा है। आमदनी बढ़ेगी तब उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी। हमने बीज पर ध्यान दिया, कृषि रोड मैप से उत्साहित होकर नालंदा जिला के पाॅच किसानों ने धान के उत्पादन में विश्व का रिकाॅर्ड तोड़ा है। राज्य को दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की आबादी देश की आबादी का 1.3 प्रतिशत है। जानवरों की संख्या भी मनुष्य के आबादी के तुलना में होनी चाहिये। गाय, भैंस, बकरी पालन को बढ़ावा देना चाहिये, इनकी आबादी भी कम से कम देश के जानवरों की आबादी का 8.3 प्रतिशत होना चाहिये। डेयरी टेक्नोलाॅजी में विकास की अपार संभावनायें हैं। मैंने करनाल के प्रोजेक्ट को जाकर खुद देखा है। जब केन्द्र में कृषि मंत्री था तो कृषि भवन में करनाल के प्रोडक्ट को मंगाना प्रारंभ किया। रेल मंत्री बना तो वहाॅ भी करनाल के प्रोडक्ट को बढ़ावा दिया। करनाल में डेयरी क्षेत्र में जो कुछ हुआ, इससे हम पूर्णतः परिचित हैं। जो सर्वश्रेष्ठ तरीका है, उसे अपनाने की कोशिश करें। पशुओं को स्वस्थ रखना होगा, उन्हें कैसे स्वस्थ रखा जाय, इस पर विस्तार से इस सम्मेलन में चर्चा होनी चाहिये। एक जगह के नवाचार का लाभ दूसरे जगह पर ले जा सकते हैं। इसके आधार पर पशुओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। देशी नस्ल के पशुओं को बढ़ावा देना चाहिये, इससे उत्पादकता कैसे बढ़े, इस पर चर्चा होनी चाहिये। नवाचार का इस्तेमाल करें, इसे लोगों तक पहुॅचायें। इस क्षेत्र में जो काम हुआ है, वह काबिले तारीफ है। ऐसा प्रयास होना चाहिये कि दुनिया के बाजार में बिहार का मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट छा जाये, ऐसा प्रयास रहेगा तो दुग्ध उत्पादकों की आमदनी बढ़ेगी। ज्यादातर जनता गाॅव मंे रहती है। हमारे हर गाॅव को स्वावलंबी होना चाहिये। समाजवाद का अर्थ होता है समता $ संपन्नता इसलिये प्रयास करें कि आत्मनिर्भर हों और खुशहाल हों। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में यहाॅ से कोई नई चीज निकलेगी, जिसे हम अपने कृषि रोड मैप में समावेश कर पायें।
समारोह की अध्यक्षता कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय श्री मेवालाल चैधरी ने किया और कृषि विश्वविद्यालय सबौर के बढ़ते कदम की चर्चा की और कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय में नैनो टेक्नोलाॅजी विभाग स्थापित किये गये हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने धान, गेहूॅ की नई प्रजाति को इजाद किया है, जो अधिक तापमान में भी 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उत्पादन देती है। उन्होंने बताया कि किसानों को गुणवता वाले बीज उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से किसानों को कृषि के लिये समुचित सलाह दी जाती है। ज्ञान रथ प्रारंभ किया गया है। बस के माध्यम से दूरदराज के किसानों तक पहुॅचकर किसानों को कृषि के लिये कृषि क्षेत्र में हुये नवाचारों की जानकारी दी जा रही है।
इस अवसर पर डाॅ0 ए0के0 श्रीवास्तव सहित कई अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने भी समारोह को संबोधित किया और कृषि, डेयरी के क्षेत्र में हो रहे नये-नये शोध की जानकारी दी तथा पशुओं को स्वस्थ रखने की अनेक जानकारियाॅ दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालय सबौर की तीन पुस्तकों का लोकार्पण एवं एक समारिका का लोकार्पण भी किया।
इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त श्री विजय प्रकाश, सचिव पशुपालन श्री नर्मदेश्वर लाल ने भी पशुपालकों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाॅ दी। इस अवसर पर सांसद श्री कौशलेन्द्र कुमार, विधायक श्री जीतेन्द्र कुमार, श्रीमती नीता चैधरी, विधान पार्षद श्री हीरा बिन्द, पूर्व विधायक श्री ई0 सुनील, सदस्य राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग श्री अरूण कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री डी0एस0 गंगवार, कम्फेड के प्रबंध निदेशक श्री ओदश तितरमारे, जदयू के वरिष्ठ नेता यथा- श्री अनिल महाजन, श्री बिपिन यादव, जिला जदयू नालंदा अध्यक्ष श्री सियाशरण ठाकुर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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