Saturday, 11 April 2015

मूल्यवान चीजों को प्राप्त करना है तो लोगों की सुननी होगी: इससे रौशनी मिलेगी:- मुख्यमंत्री

पटना, 11 अप्रैल 2015:- मूल्यवान चीजों को प्राप्त करना है तो लोगों की सुननी होगी, इससे रौशनी मिलेगी। शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में जो कुछ भी कर पाये, उसकी बुनियाद मेरे जीवन के दो घटनायें हैं। जिन्होंने मुझे प्रेरणा दी और मैंने इन क्षेत्रों में कुछ करने का मन बनाया और मौका मिलने पर किया। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि जब मैं सांसद था और अपने क्षेत्र के दियारा इलाके के भ्रमण पर एक गाॅव में था, उसी समय दस-ग्यारह वर्ष के एक बच्चे ने मेरे समक्ष आकर एक सवाल किया कि क्या हम पढ़ेंगे नहीं। मैं उस बच्चे से स्कूल और स्कूल शिक्षकों के बारे में जानकारी ली, उस बच्चे ने मेरे मन पर अमिट छाप छोड़ दी और मेरे मन में ये बात बैठ गयी कि बच्चों के शिक्षा के लिये कुछ करना है। दूसरी घटना तब हुयी, जब एक अत्यंत गरीब आदमी ने मुझसे मुलाकात कर कहा था कि अस्पताल पर ध्यान दीजिये। गरीब आदमी इलाज के लिये कहाॅ जायेगा। ये दो अनुभव जो जनप्रतिनिधि के आधार पर मुझे प्राप्त हुआ था, वह मेरे लिये अत्यंत कीमती थे। काम करते हुये जो रास्ता दिखता है, उसको समझकर क्या करना है, करता हूॅ। उन्होंने कहा कि बिहार में आइडिया देने वालों की कमी नहीं है। आइडिया को सुने, परखें और जो अच्छा लगे, उसको ग्रहण करें। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज आद्री एवं पोपुलेशन फाउण्डेशन आॅफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में स्वास्थ्य, महिला और विकास तथा मीडिया की जिम्मेदारी विषय पर होटल मौर्या में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन वरिष्ठ मीडिया प्रतिनिधियों के साथ विचारों का प्रकटीकरण करते हुये कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकारों और उन्हें बुलाये जाने के लिये वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती नीरजा चैधरी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में अच्छी बातें हुयी है। सबने अपने-अपने ढ़ंग से महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चायें की है। महिला सशक्तिकरण के लिये बिहार में बहुत सारे कार्य हुये हैं। नगर निकाय एवं पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में महिलाओं को पचास प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। प्राथमिक स्तर की शिक्षा में पचास प्रतिशत शिक्षक के पद महिलाओं के लिये आरक्षित किये गये हैं। पुलिस के सिपाही एवं दारोगा स्तर के पदों के लिये नियुक्ति में 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था महिलाओं के लिये की गयी है। महिला सशस्त्र बटालियन का गठन किया गया है। अनुसूचित जनजाति महिलाओं की विशेष पुलिस बटालियन बनी है। महिला सशक्तिकरण के लिये जो कार्य चले हैं, उसका अच्छा असर पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइमरी स्कूल में जब बच्चियाॅ छठे क्लास में पहुॅचती है तो उनमें शारीरिक बदलाव होने लगता है। इसके लिये उनको उचित कपड़ा चाहिये। गरीबी के कारण उनके अभिभावक कपड़े का उचित प्रबंध नहीं कर पाते थे और मजबूरन बच्चियों का स्कूल में जाना बंद करा देते थे। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये जब मैंने पोशाक की योजना शुरू की, पोशाक के साथ जूता, बैग खरीदने के लिये पैसे देने की योजना शुरू की तो विद्यालयों में बच्चियों की उपस्थिति बढ़ने लगी। जब काम प्रारंभ किया तो चुनौतियाॅ और बढ़ने लगी। मेरे कार्यकाल संभालने के समय साढ़े बारह प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर रह रहे थे। मेरे सामने पहली चुनौती थी कि स्कूल से बाहर रह रहे बच्चों को स्कूल पहुॅचायें, इसके लिये कई योजना चलायी गयी। कई योजनाओं को चलाने के परिणामस्वरूप अब मात्र दो प्रतिशत ही बच्चे स्कूल से बाहर रह गये हैं। मैंने इस बात का भी सर्वेक्षण कराया कि कौन और किस वर्ग एवं समुदाय के बच्चे क्यों स्कूल से बाहर हैं तो मालूम हुआ कि इनमें अधिकांश संख्या मुस्लिम अल्पसंख्यक, महादलित बच्चों की थी। इन वर्गों को निरक्षरता से बाहर लाने के लिये ज्यादा काम किया। टोला सेवक और तालिमी मरकज की स्थापना की, जिसके माध्यम से विद्यालयों से बाहर छूटे बच्चों को विद्यालय में पहुॅचाया गया। अध्ययन से यह भी पता लगा कि 8वीं कक्षा तक बच्चियों को पढ़ा देने का बहुत फायदा नहीं है। कम से कम 10वीं तक बच्चियाॅ जरूर पढ़ें, इसके लिये साइकिल की योजना प्रारंभ की। समाज में ऐसी मानसिकता बनी हुयी थी कि लड़कियाॅ साइकिल यदि चलाती थी तो लोग क्या से क्या बोलते थे। बच्चियों को साइकिल दिये जाने से युगान्तरकारी बदलाव हुआ। बच्चियाॅ जब एक साथ साइकिल चलाकर अपने स्कूलों में जाने लगी तो समाज की सोंच में बदलाव आया। बच्चियों के अरमानों को पंख लगे। लोग अपने-अपने काम में व्यस्त हैं। हर आदमी की अपनी-अपनी प्राथमिकता है, मेरी प्राथमिकता शिक्षा की है। जनप्रतिनिधि के नाते हम लोगों से मिलते रहे, उनकी बातों को गंभीरता से सुनते थे। टाल के इलाकों में पैदल ही चलना पड़ता था। चार से छह महीने टाल में पानी ही रहता था। लड़कियों की मानसिकता मंे विकास लाने के लिये साइकिल योजना काफी कारगर सिद्ध हुयी। साइकिल चलाती हुयी स्कूल जाती हुयी लड़कियों की तस्वीर ने बिहार में परिवर्तन लाया। लड़के उदास न हों इसलिये लड़कों के लिये भी साइकिल योजना प्रारंभ की। लड़कियों में साइकिल से आत्मविश्वास आया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अपने क्षेत्रीय भ्रमण में स्कूलों की स्थिति को जाकर देखा। कई-कई स्कूलों में तो ब्लैक बोर्ड तक बच्चों के लिये बेंच था। क्लास के बाहर बरामदे में भी बच्चे थे। मैंने आदेश दिया कि क्लासों की संख्या बढ़ायी जाय और कक्षाओं के साइज को भी बढ़ायें। अब शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी पर फोकस कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव विकास मिशन की स्थापना की गयी है। उस विकास का कोई मतलब नहीं है, जिसमें मानव का विकास नहीं हुआ हो। मानव विकास के अवयवों को निर्धारित कर उन पर काम प्रारंभ किया गया। जनसंख्या स्थिरीकरण के लिये फर्टिलिटी रेट पर ध्यान देना होगा। राज्य का फर्टिलिटी रेट 3.9 है, जबकि राष्ट्रीय 3.4 का है। एक अध्ययन से यह पता चला कि 11वीं पास बच्चियों में प्रजनन दर 2 है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है। 12वीं पास बच्चियों में प्रजनन दर राज्य में 1.6 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1.7 का है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य का क्षेत्रफल 94 हजार स्कवायर किलोमीटर है इसलिये हमें जनसंख्या स्थिरीकरण पर ध्यान देना आवश्यक है। यदि हर लड़की को 12वीं कक्षा तक पढ़ा देते हैं तो जनसंख्या स्थिरीकरण स्वयं हो जायेगा इसलिये निर्णय लिया कि हर पंचायत में एक प्लस टू स्तर का विद्यालय खोलेंगे। जब हर लड़कियाॅ प्लस टू तक पढ़ लेगी तो जनसंख्या का स्थिरीकरण हो जायेगा।
मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूह की चर्चा करते हुये कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में आत्मविश्वास है। उनसे जब बातें की और उनकी बातों को सुनी तो देखा कि वे मजबूत संगठन के रूप में विकसित हो रही है। उन्होंने अपने अनुभव को सुनाया और बताया कि उन्होंने समाज को सजग कर बाल विवाह, भू्रण हत्या को रोकने का काम किया है। जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर जमीन हड़पने की घटनाओं से मुक्ति दिलायी है। मैंने राज्य में दस लाख स्वयं सहायता समूह बनाये जाने का निर्णय लिया। एक करोड़ दस लाख महिलाओं को इससे जोड़ा जायेगा। महिलायें आत्मनिर्भर एवं सशक्त होगी। स्वयं सहायता समूह की ये उपलब्धि रही कि जो महिलायें कुछ नहीं लिख सकती थी, वह आज प्रोसिडिंग लिख रही है। पी0डी0एस0 की दुकान चला रही है, अपने संगठन का हिसाब-किताब रखती है। कोई सदस्य बीमार पड़ता है तो उसकी देख-रेख करती है, दवा और इलाज का उचित इंतजाम कराती हैं। स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित पी0डी0एस0 के दुकानों के माध्यम से पाॅच हजार रूपये माहवार की बचत उन्हें हो रही है। शिक्षा और स्वयं सहायता समूह को जोड़ दें तो महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा और महिलायें सशक्त होगी। महिलायें आत्मनिर्भर की दिशा में आगे बढ़ रही है। तीन लाख स्वयं सहायता समूह बन चुका है। स्वयं सहायता समूह के प्रयास से लिंग अनुपात भी ठीक होगा। एडवर्स (विपरीत) सेक्स रेशियो समस्या है। पुरूष एवं स्त्रीयों की लिंग अनुपात बराबर नहीं होगी तो समाज अनेक बुराइयों से घिर जायेगा और समाज बर्बाद हो जायेगा। भू्रण हत्या रोक दी जाय तो सेक्स रेशियो ठीक हो जायेगा।
सामाजिक सोंच को विकसित करना होगा। मैंने सेनेटरी नैपकीन की योजना चलायी। स्वच्छता बोलने से नहीं आती, इसके लिये प्रयास आवश्यक है। सेनेटरी नैपकीन से महिलाआंे का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। वे बहुत सारी बीमारियों से बचेंगी। शौचालय के निर्माण पर जोर दिया। बी0पी0एल0 के साथ ए0पी0एल0 परिवारों को भी लोहिया स्वच्छता योजना बनाकर शौचालय निर्माण के लिये सहायता दी। राम मनोहर लोहिया जी ने कहा था कि महिलाओं को किस तरह किस तरह अपमानजनक स्थिति में शौच के लिये जाना पड़ता है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी से कहा था कि सबके लिये शौचालय बना दें तो हम विरोध करना छोड़ देंगे। शौचालय के लिये व्यापक योजना है। घर-घर में शौचालय बनवायें। खुलें में शौच न करें। खुलें में शौच नहीं करेंगे तो नब्बे प्रतिशत बीमारियाॅ नहीं होगीं मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शोध ने यह बताया है कि एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम का कारण गंदगी, प्रदूषण, कुपोषण तथा पानी का प्रदूषित हो जाना है। उन्होंने कहा कि पानी को गंदा होने से बचायें। महिला और स्वास्थ्य का गहन रिश्ता है। मेरा परामर्श यह होता कि इस कार्यशाला में हर शिक्षा को भी जोड़ देते तो कार्यशाला और भी उपयोगी सिद्ध होती। महिला सशक्तिकरण को रोका नहीं जा सकता। हमने महिला सशक्तिकरण नीति भी बनायी है। समाज की अहम भूमिका है। समाज अपनी सोंच में परिवर्तन लाये। अब लड़कियाॅ बोझ नहीं है। पैदा होने से छह वर्ष तक उन्हें आगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से कुपोषण से बचाया जाता है तथा उनके लिये अन्य व्यवस्था की जाती है। स्कूलों में मध्याह्न भोजन, पोशाक, किताब, छात्रवृति के साथ सब तरह की व्यवस्था है। हम सबको मानसिकता को बदलना होगा। मुख्यमंत्री ने विशेषकर मीडिया से मुखातिब होते हुये कहा कि इस तरह के कवरेज में मीडिया की अहम भूमिका होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया को चटपटी खबरों की जगह समाज को शिक्षित एवं परिवर्तन लाने वाली कहानियों को प्रमुखता देनी चाहिये। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन में मीडिया की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वयं सहायता समूह से उन्हें बड़ी आशा है, इसका कारगर रूप धीरे-धीरे सामने आने लगा है। स्वयं सहायता समूह के क्षेत्र में हम देर से आये, मगर दुरूस्त आये। हमारे स्वयं सहायता समूह को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा रहा है। समाज के अंदरूनी स्वास्थ्य की चिन्ता करनी होगी। किसान चाची की खोज मीडिया ने की थी। अब वह हमलोगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ चुकी हैं। लोगों की इच्छा का जग जाना कोई असाधारण बात नहीं है। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। कमियाॅ उजागर होगी, सुधार आती जायेगी। कुछ नया करने का अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री फिरोज अब्बास खाॅ के निर्देशन में टीवी सीरियल एवं पोस्टर मैं कुछ भी कर सकती हूॅ, का लोकार्पण भी किया।

इस अवसर पर आद्री के सदस्य सचिव श्री शैवाल गुप्ता, पोपुलेशन फाउण्डेशन आॅफ इंडिया की कार्यपालक निदेशक श्रीमती पूनम मूतेजा, एन0डी0टीवी की संपादक सुश्री निधि कुलपति, एडिटर नेशनल ओपिनियन सुश्री वंदिता मिश्रा, सुश्री प्रियदर्शिनी ने भी अपने-अपने विचारों को रखा। इस अवसर पर प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों के स्थानीय संपादक यथा- श्री मैमन मैथ्यू, श्री बिनोद बंधु, श्री दयाशंकर राय, श्री दीपक मिश्रा, श्री राजेन्द्र तिवारी, कुमाार प्रबोध, श्री श्रीकान्त प्रत्यूष एवं वरिष्ठ संवाददाताओं ने परिचर्चा में भाग लेेकर विषय वस्तु पर अपने-अपने विचार रखे।
इस अवसर पर प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री ब्रजेश मेहरोत्रा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डी डी0एस0 गंगवार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री चंचल कुमार सहित अनेक सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्तागण उपस्थित थे।


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