Wednesday, 25 February 2015

14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर हम असंतोष प्रकट करते हैं: घाटे की भरपाई केन्द्र सरकार को करनी चाहिये:- मुख्यमंत्री

पटना, 25 फरवरी 2015:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज शाम संवादाताओं से वार्ता करते हुये कहा कि 14वें वित्त आयोग की जो अनुशंसा आयी है और जिसे केन्द्र सरकार ने स्वीकृत भी कर लिया है, उस हम अपना असंतोष प्रकट करते हैं। केन्द्र से माॅग करते हैं कि केन्द्र को राज्य के घाटे की भरपाई करनी चाहिये। 13वें वित आयोग की अनुशंसा के आलोक में टैक्स का 32 प्रतिशत राज्य को जाता था और शेष केन्द्र के पास रह जाता था। 13वें एवं 14वें वित आयोग से हमारी माॅग रही है कि केन्द्रीय टैक्स में राज्य की बराबर की हिस्सेदारी होनी चाहिये। वित आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्यों को योजना मद में भी पैसे दिये जाते थे। योजना में केन्द्र सरकार मदद करती रही है। कई तरह के ग्रांट के माध्यम से भी राज्यों को पैसे मिलते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि टैक्स में राज्य के हिस्से को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया जाना स्वागतयोग्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना मद में भी योजना आयोग द्वारा फाॅर्मूला आधारित मदद राज्यों को हो रही है, इसके अलावा कई प्रकार के ग्रांट से भी राज्यों को पैसा मिलता है। बी0आर0जी0एफ0 फंड में देश में जितना पैसा मिलता है, उसका 32 प्रतिशत बिहार को मिलता है। यह मदद बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक के अनुरूप है। 10वीं पंचवर्षीय योजना से बिहार को विशेष सहायता मिलना प्रारंभ हुआ। इस योजना के अन्तर्गत बारह हजार करोड़ रूपये की सहायता निर्धारित की गयी। वर्तमान वितीय वर्ष में अपेक्षित राशि नहीं दी गयी। केन्द्र प्रायोजित योजना में केन्द्र पहले केन्द्रांश रिलिज करते थे। वर्तमान वर्ष में 15-16 हजार करोड़ रूपये की राशि केन्द्र से मिलनी थी। नये वित आयोग के अनुशंसा पर जो पैसा अब मिलेगा, उसके अलावा कोई दूसरा पैसा नहीं मिलेगा। केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में जो केन्द्रांश मिलता था, वह भी बंद हो जायेगा। साथ ही दूसरे अनुदान भी बंद हो जायेंगे। टैक्स रेवेन्यू में जो 10 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है, उसी में सभी मिलती रही राशि समाहित हो जायेगी। योजना मद में मिलने वाला पैसा बंद हो जायेगा। 2015-16 में जो राशि मिलने की संभावना है, वह 2014-15 में मिली राशि से कम होगी। प्रारंभिक आकलन के अनुसार केन्द्र से मिलनी वाली राशि में कमी आने की संभावना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित आयोग की अनुशंसा में बिहार का जो हिस्सा है, पहले के वित आयोग की अनुशंसा से कम है। गत वर्ष 10.9 प्रतिशत के बदले इस वर्ष 9.6 प्रतिशत ही मिल पायेगा। पूर्व में मिली राशि की तुलना में वित आयोग की अनुशंसा के आधार पर 1.3 प्रतिशत कम राशि मिलने की संभावना है। बिहार को जो सहायता मिल रही है, कानून सम्मत है। इस पंचवर्षीय योजना में बारह हजार करोड़ रूपये की योजना स्वीकृत है। बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक के माध्यम से मिल रहे राशि में किसी तरह की कमी नहीं आनी चाहिये। बिहार को जो घाटा होगा, इसकी भरपाई अलग से की जानी चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कहना कि विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं है, उचित नहीं है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर निवेशकों को केन्द्रीय करों में छूट मिलेगी। विशेष राज्य का औचित्य बरकरार है। रघुराम राजन कमिटी की रिपोर्ट है, हमारी माॅग को ठंडे बस्ते में डाला जाना उचित नहीं है। विशेष राज्य की जो माॅग है, वह रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित आयोग की अनुशंसा का कुप्रभाव हमारे बजट पर पड़ेगा। योजना आकार प्रभावित होगा, नन प्लान साइज में भी संकट उत्पन्न होगा। यह न्यायोचित नहीं है, न्यायसंगत नहीं है। विशेष सहायता में कटौती करना गैर कानूनी एवं अनुचित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वित आयोग की अनुशंसा का फायदा विकसित राज्यों को पहुॅचेगा। बिहार जैसे गरीब राज्यों को इससे नुकसान होगा। केन्द्रीय करों में 42 प्रतिशत का हिस्सा मिलता और योजना मद का पैसा अलग से मिलता तो इसे फायदा मानते। जो बात हम कह रहे हैं, वह तथ्य पर आधारित है। बिहार जैसे राज्यों के घाटे की भरपाई की अलग से व्यवस्था की जाय। आॅध्रप्रदेश को जिस तरह की मदद की गयी थी, उसी तरह की मदद की बिहार को जरूरत है।


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