पटना, 12 फरवरी 2015:- देश के विकास, घरेलू सकल उत्पाद में वृद्धि तथा अधिक से अधिक लोगों को नियेाजित करने में कृषि एवं कृषि प्रक्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है। कृषि के क्षेत्र में अनेक संभावनायें हैं। कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये परंपरागत तरीके से जो खेती हो रही है, उसमें आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग की आवश्यकता बढ़ गयी है। किसान नये एवं आधुनिक कृषि यंत्रों के संबंध में विशेष जानकारी लें, इसका उपयोग कृषि उत्पादन को बढ़ाने में करें तथा गुणात्मक रूप से कृषि उत्पादन को बढ़ायें। आज दोपहर मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी स्थानीय वेटनरी काॅलेज प्रांगण में पाॅचवीं राज्यस्तरीय कृषि यांत्रिकीकरण प्रदर्शनी एवं एग्रो बिहार 2015 का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि की महत्ता एवं प्रासंगिकता काफी बढ़ गयी है, इस प्रदर्शनी में देश के अन्य राज्यों के साथ विदेशों में बने कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसका लाभ किसानों को मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम एवं जोत के आकार में बदलाव हो रहा है, जो कृषि के लिये चैलेंज है। 2008 में कृषि रोड मैप बनाकर कृषि क्षेत्र में आये सभी चुनौतियों का मुकाबला किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बिहार के किसानों को उत्पादकता के लिये दो बार भारत सरकार ने कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया है। धान, गेहूॅ, आलू का उत्पादन बढ़ा है। हर वर्ष हमारे उत्साही किसान उत्पादन का रिकाॅर्ड बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता भर उत्पादन करने की स्थिति में हमारे किसान हैं, मगर हम उत्पादकता को निरंतर बढ़ाना चाहते हैं ताकि राज्य के लोगों की आवश्यकता पूरी करने के बाद हम दूसरों की आवश्यकताओं को पूरा करने के योग्य हो सकें। उत्पादकता में गुणवता पर ध्यान देने की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा उवर्रक एवं कीटनाशक दवाओं का उपयोग हो रहा है, जो मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिये भी हानिकारक है। अत्यधिक कीटनाशक और रसायनिक खाद के प्रयोग से दूध, फल, सब्जियों की गुणवता में कमी आ रही है। आने वाली पीढ़ी को ठीक रखने के लिये हमें सोंचना होगा। उवर्रक एवं कीटनाशकों के नियंत्रित उपयोग पर सोंचना होगा। अधिक से अधिक जैविक खाद एवं जैविक खेती पर ध्यान देना होगा। क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य में कृषि को विकास का नया आयाम मिला है। कृषि काॅलेज एवं कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या राज्य में बढ़ी है। कृषि काॅलेज एवं कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहन राशि दिये जा रहे हैं। राज्य में अधिक से अधिक कृषि स्नातक पैदा हों और वे कृषि की ओर ध्यान दें और राज्य को कृषि के क्षेत्र में विकास के शिखर पर पहुॅचायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरित चादर कम होती जा रही है। वृक्षों की कटाई हो रही है, राज्य में जंगलों का क्षेत्रफल कम है। जरूरत है कि जंगलों का क्षेत्रफल 33 प्रतिशत किया जाय, मगर कम से कम हरित क्षेत्र 20 प्रतिशत निश्चित रूप से किया जाना चाहिये। औषधि पौधों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये। धान, गेहूॅ, मक्का, मरूआ हर तरह के खाद्यान्न, फल, सब्जी का उत्पादन राज्य में होना चाहिये। कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये 52 तरह के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति के विकास के लिये विशेष अंगीभूत योजना के तहत 16 प्रतिशत का आवंटन कर्णांकित है। विशेष अंगीभूत योजना के पैसे का उपयोग अनुदान पर खर्च किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों को कृषि यंत्रों के क्रय के लिये अनुदान को बढ़ाकर अस्सी प्रतिशत तक करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान बिचैलियों से सर्तक रहें, कृषि क्षेत्र में हम ऐसी व्यवस्था करने जा रहे हैं कि किसान जिस दूकान से चाहे, वहाॅ से कृषि ंयंत्र खरीद कर सके और अनुदान की राशि किसान के खाते में सीधे जमा हो जाय।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा किया कि पाॅच एकड़ तक के जोत वाले किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिये सोंच रहे हैं। शीघ्र ही मंत्रिमण्डल की बैठक में निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि किसान, कृषि विभाग के अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक ऐसा प्रयास करें कि खेती ही सबसे बड़ी चीज हो जाय।
समारोह की अध्यक्षता कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह ने किया। राज्य में कृषि का व्यापक विकास हुआ है। कृषि रोड मैप 2008 में बना है। पाॅच साल के दरम्यान हुये सफलता को देखते हुये दूसरा कृषि रोड मैप 2017 तक के लिये बनाया है। हमारा कृषि रोड मैप देश के लिये अनुकरणीय है। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में परिणित किया गया है। हमारे किसानों को सिंचाई एवं बिजली चाहिये। जिन-जिन कृषि यंत्रों पर अनुदान की राशि घटी थी, वहाॅ पर कृषि यंत्रों के अनुदान के प्रतिशत को बढ़ाया है। कृषि यंत्रों के लिये आॅनलाइन निबंधन करायें, आॅनलाइन सेवा से किसान जुड़ें। विगत सात वर्षों में बारह हजार करोड़ रूपये का अनुदान कृषि यंत्रों पर दिया गया है, यह सब बिहार में हो पाया है। हम निरंतर कृषि क्षेत्र में विकास के लिये लगे हुये हैं। किसानों के घरों में खुशहाली आये और उनकी आय में वृद्धि हो, इसके लिये सरकार प्रयत्न कर रही है।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री विजय प्रकाश ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि वर्ष 2007-08 में चावल का उत्पादन राज्य में 45 लाख मे0टी0 था, जो बढ़कर 2012 में 83 लाख मे0टी0 हो गया। इस वर्ष किसानों की मदद से 126 लाख मेट्रिक धान का उत्पादन होने की उम्मीद है। गेहूॅ के क्षेत्र में उत्पादन 65 लाख मेट्रिक टन हो गया है। इस वर्ष गेहूॅ के उत्पादन में पिछला रिकाॅर्ड टूटेगा। अन्य फसल मक्का, अरहड़, मरूआ के क्षेत्र में भी अलग- अलग योजना बना रहे हैं। फल, सब्जी के उत्पादन को भी बढ़ायेंगे। पहले बीज पर ध्यान दिया, अब कृषि यंत्रों के उपयोग पर ध्यान दे रहे हैं। कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा इस मेला परिसर में प्रतिदिन किसानों के मनोरंजन के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मेले में किसानों के हित में प्रतिदिन किसान पाठशाला का आयोजन होगा, जिसमें कृषि वैज्ञानिक, कृषकों को तकनीकी ज्ञान देंगे तथा फसल संबंधी समस्याओं के निदान पर भी चर्चायें होगी। स्वागत भाषण अध्यक्ष सी0आई0आई0 श्री एस0पी0 सिन्हा ने किया और कहा कि इस मेले में खेत की जोताई से लेकर फसल कटाई एवं प्रसंस्करण तक तमाम मशीनों का प्रदर्शन किया गया है।
इस अवसर पर अपर आयुक्त कृषि मंत्रालय भारत सरकार श्री भी0एन0 काले, कृषि निदेशक श्री धर्मेन्द्र सिंह, निदेशक उद्यान श्री अरविन्दर सिंह, उपाध्यक्ष सी0आई0आई0 बिहार श्री पी0के0 सिन्हा, क्षेत्राीय निदेशक सी0आई0आई0 श्री सौगत मुखर्जी सहित अनेक कृषि वैज्ञानिक एवं कृषक उपस्थित थे। मुख्यमंत्री को इस अवसर पर स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया तथा मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग के एक एक्सक्यूटिव डायरी का भी लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि की महत्ता एवं प्रासंगिकता काफी बढ़ गयी है, इस प्रदर्शनी में देश के अन्य राज्यों के साथ विदेशों में बने कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसका लाभ किसानों को मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम एवं जोत के आकार में बदलाव हो रहा है, जो कृषि के लिये चैलेंज है। 2008 में कृषि रोड मैप बनाकर कृषि क्षेत्र में आये सभी चुनौतियों का मुकाबला किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बिहार के किसानों को उत्पादकता के लिये दो बार भारत सरकार ने कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया है। धान, गेहूॅ, आलू का उत्पादन बढ़ा है। हर वर्ष हमारे उत्साही किसान उत्पादन का रिकाॅर्ड बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता भर उत्पादन करने की स्थिति में हमारे किसान हैं, मगर हम उत्पादकता को निरंतर बढ़ाना चाहते हैं ताकि राज्य के लोगों की आवश्यकता पूरी करने के बाद हम दूसरों की आवश्यकताओं को पूरा करने के योग्य हो सकें। उत्पादकता में गुणवता पर ध्यान देने की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा उवर्रक एवं कीटनाशक दवाओं का उपयोग हो रहा है, जो मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिये भी हानिकारक है। अत्यधिक कीटनाशक और रसायनिक खाद के प्रयोग से दूध, फल, सब्जियों की गुणवता में कमी आ रही है। आने वाली पीढ़ी को ठीक रखने के लिये हमें सोंचना होगा। उवर्रक एवं कीटनाशकों के नियंत्रित उपयोग पर सोंचना होगा। अधिक से अधिक जैविक खाद एवं जैविक खेती पर ध्यान देना होगा। क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत है। राज्य में कृषि को विकास का नया आयाम मिला है। कृषि काॅलेज एवं कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या राज्य में बढ़ी है। कृषि काॅलेज एवं कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहन राशि दिये जा रहे हैं। राज्य में अधिक से अधिक कृषि स्नातक पैदा हों और वे कृषि की ओर ध्यान दें और राज्य को कृषि के क्षेत्र में विकास के शिखर पर पहुॅचायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरित चादर कम होती जा रही है। वृक्षों की कटाई हो रही है, राज्य में जंगलों का क्षेत्रफल कम है। जरूरत है कि जंगलों का क्षेत्रफल 33 प्रतिशत किया जाय, मगर कम से कम हरित क्षेत्र 20 प्रतिशत निश्चित रूप से किया जाना चाहिये। औषधि पौधों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये। धान, गेहूॅ, मक्का, मरूआ हर तरह के खाद्यान्न, फल, सब्जी का उत्पादन राज्य में होना चाहिये। कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये 52 तरह के कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति के विकास के लिये विशेष अंगीभूत योजना के तहत 16 प्रतिशत का आवंटन कर्णांकित है। विशेष अंगीभूत योजना के पैसे का उपयोग अनुदान पर खर्च किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों को कृषि यंत्रों के क्रय के लिये अनुदान को बढ़ाकर अस्सी प्रतिशत तक करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान बिचैलियों से सर्तक रहें, कृषि क्षेत्र में हम ऐसी व्यवस्था करने जा रहे हैं कि किसान जिस दूकान से चाहे, वहाॅ से कृषि ंयंत्र खरीद कर सके और अनुदान की राशि किसान के खाते में सीधे जमा हो जाय।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा किया कि पाॅच एकड़ तक के जोत वाले किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिये सोंच रहे हैं। शीघ्र ही मंत्रिमण्डल की बैठक में निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि किसान, कृषि विभाग के अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक ऐसा प्रयास करें कि खेती ही सबसे बड़ी चीज हो जाय।
समारोह की अध्यक्षता कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह ने किया। राज्य में कृषि का व्यापक विकास हुआ है। कृषि रोड मैप 2008 में बना है। पाॅच साल के दरम्यान हुये सफलता को देखते हुये दूसरा कृषि रोड मैप 2017 तक के लिये बनाया है। हमारा कृषि रोड मैप देश के लिये अनुकरणीय है। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में परिणित किया गया है। हमारे किसानों को सिंचाई एवं बिजली चाहिये। जिन-जिन कृषि यंत्रों पर अनुदान की राशि घटी थी, वहाॅ पर कृषि यंत्रों के अनुदान के प्रतिशत को बढ़ाया है। कृषि यंत्रों के लिये आॅनलाइन निबंधन करायें, आॅनलाइन सेवा से किसान जुड़ें। विगत सात वर्षों में बारह हजार करोड़ रूपये का अनुदान कृषि यंत्रों पर दिया गया है, यह सब बिहार में हो पाया है। हम निरंतर कृषि क्षेत्र में विकास के लिये लगे हुये हैं। किसानों के घरों में खुशहाली आये और उनकी आय में वृद्धि हो, इसके लिये सरकार प्रयत्न कर रही है।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री विजय प्रकाश ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि वर्ष 2007-08 में चावल का उत्पादन राज्य में 45 लाख मे0टी0 था, जो बढ़कर 2012 में 83 लाख मे0टी0 हो गया। इस वर्ष किसानों की मदद से 126 लाख मेट्रिक धान का उत्पादन होने की उम्मीद है। गेहूॅ के क्षेत्र में उत्पादन 65 लाख मेट्रिक टन हो गया है। इस वर्ष गेहूॅ के उत्पादन में पिछला रिकाॅर्ड टूटेगा। अन्य फसल मक्का, अरहड़, मरूआ के क्षेत्र में भी अलग- अलग योजना बना रहे हैं। फल, सब्जी के उत्पादन को भी बढ़ायेंगे। पहले बीज पर ध्यान दिया, अब कृषि यंत्रों के उपयोग पर ध्यान दे रहे हैं। कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा इस मेला परिसर में प्रतिदिन किसानों के मनोरंजन के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मेले में किसानों के हित में प्रतिदिन किसान पाठशाला का आयोजन होगा, जिसमें कृषि वैज्ञानिक, कृषकों को तकनीकी ज्ञान देंगे तथा फसल संबंधी समस्याओं के निदान पर भी चर्चायें होगी। स्वागत भाषण अध्यक्ष सी0आई0आई0 श्री एस0पी0 सिन्हा ने किया और कहा कि इस मेले में खेत की जोताई से लेकर फसल कटाई एवं प्रसंस्करण तक तमाम मशीनों का प्रदर्शन किया गया है।
इस अवसर पर अपर आयुक्त कृषि मंत्रालय भारत सरकार श्री भी0एन0 काले, कृषि निदेशक श्री धर्मेन्द्र सिंह, निदेशक उद्यान श्री अरविन्दर सिंह, उपाध्यक्ष सी0आई0आई0 बिहार श्री पी0के0 सिन्हा, क्षेत्राीय निदेशक सी0आई0आई0 श्री सौगत मुखर्जी सहित अनेक कृषि वैज्ञानिक एवं कृषक उपस्थित थे। मुख्यमंत्री को इस अवसर पर स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया तथा मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग के एक एक्सक्यूटिव डायरी का भी लोकार्पण किया।
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