Tuesday, 3 February 2015

दक्षिण बिहार मेें भी जलवायु प्रतिरोध क्षमता वाले फसलों के ऊपर अनुसंधान एवं उनके बीजों की उपलब्धता किसानों को कराने के लिये इन्स्टीच्यूट की स्थापना करायी जाय:- मुख्यमंत्री

पटना, 03 फरवरी 2015:- दक्षिण बिहार मेें भी जलवायु प्रतिरोध क्षमता वाले फसलों के ऊपर अनुसंधान एवं उनके बीजों की उपलब्धता किसानों को कराने के लिये इन्स्टीच्यूट की स्थापना करायी जाय। यह माॅग आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी ने बोरोलाॅग इन्स्टीच्यूट फाॅर साउथ एशिया (ठप्ै।) के एक्सक्यूटिव कमिटी के सदस्यों के साथ मुलाकात के क्रम में की। समिति ने मुख्यमंत्री को समस्तीपुर में अवस्थित इन्स्टीच्यूट के फार्म की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। साथ ही फार्म को और सुदृढ़ करने के संबंध में अपनी माँग को रखा। समिति में ब्प्डडल्ज् (प्दजमतदंजपवदंस डंप्रम ंदक ॅीमंज प्उचतवअमउमदज ब्मदजमतए डमगपबव) के महानिदेशक डाॅ0 थाॅमस ए0 लम्पकीन एवं बोरोलाॅग इन्स्टीच्यूट कमिटी के अध्यक्ष डाॅ0 जाॅन स्नेप मौजूद थे। बैठक मुख्यमंत्री आवास में हुयी।
ज्ञातव्य है कि बोरोलाॅग इन्स्टीच्यूट फाॅर साउथ एशिया (ठप्ै।) देश के तीन राज्यों यथा- बिहार, मध्य प्रदेश एवं पंजाब में स्थित है। इस संस्था के लिये बिहार सरकार ने पूसा, समस्तीपुर में कुल 153.37 एकड़ जमीन उपलब्ध कराया है। बोरोलाॅग इन्स्टीच्यूट फाॅर साउथ एशिया (ठप्ै।), ब्प्डडल्ज् ;प्दजमतदंजपवदंस डंप्रम ंदक ॅीमंज प्उचतवअमउमदज ब्मदजमतए डमगपबव) के अन्तर्गत एक अन्र्तराष्ट्रीय संस्था है, जो  पूसा अवस्थित कृषि फार्म में मुख्य रूप से नये जलवायु प्रतिरोध क्षमता वाले (ब्सपउंजम त्मेपसपमदज) के धान, गेहूँ, मक्का, दलहन की खेती पर शोध करता है एवं इनके द्वारा उन्नत बीज उत्पादन भी किया जा रहा है। साथ ही इन्स्टीच्यूट जलवायु प्रतिरोध क्षमता वाले कृषि पद्धति जैसे- धान की सीधी खेती, परमानेंट रेज्ड बेड खेती एवं खेती की अन्य आधुनिक प्रणाली इत्यादि पर कार्य कर रहा है। इस कृषि पद्धति में कम पानी, कम उर्वरक की आवश्यकता होती है तथा लागत भी कम होती है, जिससे कि किसानों को ज्यादा लाभ मिलता है।
बैठक में एक्सक्यूटिव कमिटी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से इन्स्टीच्यूट के लिये उपलब्ध कराये जा रहे जमीन की लीज अवधि 30 वर्ष से बढ़ाकर 99 वर्ष करने की माँग रखी, जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति व्यक्त की। कमिटी ने ठप्ै। फार्म, पूसा में किसानों के प्रशिक्षण हेतु एक प्रशिक्षण केन्द्र राज्य स्तर से स्थापित करने की भी माँग की तथा फार्म के उपर से गुजर रहे हाईटेंशन के तार को हटाने के लिए तैयार किए गए डी0पी0आर0 के तहत करीब 65 लाख रूपये होने वाले व्यय का वहन राज्य सरकार से करने का अनुरोध किया। कमिटी ने फार्म में ऊपज किए गये बीज के प्रोसेसिंग एवं स्टोरेज हेतु भी व्यवस्था करने का अनुरोध किया। इन सभी बिन्दुओं पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति दी।
मुख्यमंत्री ने बोरोलाॅग इन्स्टीच्यूट फाॅर साउथ एशिया (ठप्ै।) के शिष्टमण्डल से अनुरोध किया कि प्रत्येक प्रखण्ड के एक-एक गाॅव को इन्स्टीच्यूट द्वारा गोद लिया जाय ताकि किसान नई कृषि पद्धति का प्रशिक्षण लेकर इसका लाभ ले सकें और फैसलों की उत्पादकता को बढ़ाकर अपनी आय में वृद्धि करने के योग्य हो सकें। मुख्यमंत्री ने उच्च प्रोटीन युक्त फसल प्रभेद पर शोध तथा धान, गेहूॅ एवं मक्का के जल्दी पकने वाले प्रभेदों की उपलब्धता कराने हेतु भी ठप्ै। कार्यकारिणी के सदस्यों से अनुरोध किया। समिति ने शीघ्र मुख्यमंत्री के अनुरोध पर कार्रवाई किये जाने पर अपनी सहमति जतायी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा, सचिव श्री अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी यथा- श्री धर्मेन्द्र सिंह एवं श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे।


No comments:

Post a Comment