Wednesday, 4 February 2015

राज्य के हर पंचायत में सौ-सौ व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण का कार्य अविलम्ब शुरू कराया जाय: शौचालय निर्माण को गति देने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होगी:- मुख्यमंत्री

पटना, 04 फरवरी 2015:- राज्य के हर पंचायत में सौ-सौ व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण का कार्य अविलम्ब शुरू कराया जाय। शौचालय निर्माण को गति देने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होगी। 10 फरवरी को व्यक्गित शौचालय निर्माण के प्रगति की समीक्षा विडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला पदाधिकारियों के साथ करेंगे। प्रत्येक ग्राम को पर्याप्त मात्रा में पीने, खाना पकाने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं के लिये सुरक्षित पेयजल सुलभ करायें। इस मौलिक आवश्यकता हेतु जल गुणवता मानकों के अनुरूप जल की उपलब्धता हो, इसके लिये सघन योजना चलायी जाय। ग्रामीण बसावटों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना हमारी प्राथमिकता है। आज शाम मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी मुख्यमंत्री आवास के विमर्श सभाकक्ष में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यकलापों एवं प्राप्त उपलब्धियों की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री श्री महाचन्द्र प्रसाद सिंह, विकास आयुक्त श्री एस0के0 नेगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण श्रीमती अंशुली आर्य, सचिव ग्रामीण विकास श्री एस0एम0 राजू, प्रोजेक्ट डायरेक्टर वल्र्ड बैंक श्री विनय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अन्य वरीय अधिकारियों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि मनरेगा एवं निर्मल भारत अभियान के तहत जो व्यक्तिगत शौचालय बने हैं, उनके निर्माण पर हुये व्यय का भुगतान स्वच्छ भारत अभियान के मद से कराया जाय। स्वच्छ भारत मिशन की गहराई से मुख्यमंत्री ने समीक्षा की और निर्देश दिया कि हर हाल में राज्य के सभी 2,13,97,335 घरों में व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण निश्चित रूप से पूरा करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जाय। मुख्यमंत्री को प्रधान सचिव लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण श्रीमती अंशुली आर्य ने बताया कि सितम्बर 2014 तक 47,72,605 घरों में व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण हो चुका है, जिसमें 35,74,832 बी0पी0एल0 परिवार के घर हैं एवं 11,97,773 ए0पी0एल0 परिवार के घरों में व्यक्तिगत शौचालय बन चुके हैं। 1033 सामुदायिक शौचालय का निर्माण हो चुका है। शेष 1,66,24,730 घरों में व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण 2019 तक किये जाने का लक्ष्य है। लक्ष्य के अनुसार वर्ष 2014-15 में 2,50,0000, 2015 में 25,00,000, 2016 में 28,00,000, 2017 में 33,00,000, 2018 में 37,00,000 एवं 2019 में 40,74,730 व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार इस अवधि में 7,448 सामुदायिक शौचालय का निर्माण का कार्य भी पूरा होगा। इसके लिये भी वर्षवार लक्ष्य की जानकारी मुख्यमंत्री को दी गयी। मुख्यमंत्री को बताया गया कि व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिये लाभुकों को बारह हजार रूपये की सहायता राशि दी जाती है, जिसमें नौ हजार रूपये केन्द्रांश एवं तीन हजार रूपये राज्यांश है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि हर पंचायत में एक सामुदायिक शौचालय के निर्माण का लक्ष्य वर्तमान में रखा गया है। एक सामुदायिक शौचालय के निर्माण पर दो लाख रूपये के अनुमानित व्यय होते हैं, जिसमें साठ प्रतिशत केन्द्रांश, तीस प्रतिशत राज्यांश एवं दस प्रतिशत लाभार्थी समुदाय का अंशदान होता है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सामुदायिक शौचालय के निर्माण के लक्ष्य को और आगे बढ़ाया जाय, इसके लिये लाभार्थी समुदाय के अंशदान दस प्रतिशत की राशि की व्यवस्था मुख्यमंत्री क्षेत्र योजना, पंचायत, स्वयं सहायता समूह, स्कूल इत्यादि से पूरी की जाय और सभी सामुदायिक स्थलों पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जाय। बैठक में लोहिया स्वच्छता योजना के अन्तर्गत प्राप्त उपलब्धि की भी चर्चा की गयी और बताया गया कि इस योजना के तहत ए0पी0एल0 परिवार को व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण के लिये 4,600 रूपये की सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि स्वच्छ भारत मिशन का व्यापक प्रचार किया जाय और ग्रामीण क्षेत्र के तमाम लोगों को खुले में शौच के कारण होने वाली बीमारियों एवं अन्य कठिनाइयों की जानकारी दी जाय तथा उन्हें अपने घरों में व्यक्तिगत शौचालय बनाये जाने के लिये प्रेरित किया जाय।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 43 हजार गाॅव हैं। हर गाॅव में कम से कम एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण निश्चित रूप से कराया जाना चाहिये। व्यक्तिगत शौचालय को साफ-सुथरा रखा जाय, इसके लिये हर गाॅव में एक-एक स्वच्छता मित्र की नियुक्ति होगी। मुख्यमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के कार्यान्वयन के लिये बनाये गये एक्शन प्लान का गहराई से अध्ययन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 4,800 पंचायत हैं। सभी पंचायतों में एक-एक सौ व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण के कार्य को यथाशीघ्र प्रारंभ किया जाय।
शुद्ध पेयजल उपलब्धता के लिये लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की बैठक में विस्तार से चर्चा की गयी और बताया गया कि 1,07,642 बसावट राज्य में हैं, जिनमें 72,875 बसावटों में पेयजल की व्यवस्था पूर्णरूपेण हो चुकी है। 24,178 बसावटों में आंशिक रूप से पेयजल की सुविधा सुलभ है। जिन बसावटों में आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं आयरन युक्त पेयजल की समस्या है, वैसे बसावटों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गयी और बसावटों को शुद्ध पेयजल सुलभ कराये जाने की दिशा में त्वरित कार्रवाई करने को कहा गया। एन0आर0डी0डब्लू0पी0, मुख्यमंत्री चापाकल योजना, रूरल पाइप वाटर सप्लाई योजना, मिनी जलापूर्ति योजना की भी विस्तार से बैठक में चर्चा की गयी और इन योजनाओं में प्राप्त उपलब्धि एवं अब तक हुये खर्च की भी जानकारी ली गयी। मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत 2012-13 में 54,280 चापाकल एवं 2013-14 में 43,200 चापाकल गाड़े गये हैं। ग्रामीण पाइप वाटर सप्लाई योजना के अन्तर्गत प्राप्त उपलब्धियों एवं कठिनाइयों पर भी विस्तार से चर्चायें की गयी।
विश्व बैंक सम्पोषित ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता परियोजना राज्य के दस जिले यथा- पटना, नवादा, नालंदा, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सारण, मुॅगेर, पश्चिमी चम्पारण, बाॅका और पूर्णिया में चल रही है। इस योजना के तहत चार सौ ग्राम पंचायत, 2600 टोले एवं 24 लाख जनसंख्या को लाभान्वित किया जायेगा। 2019-20 तक यह सभी योजनायें पूरी हो जायेगी। इन पर 1606 करोड़ रूपये का व्यय होगा। विश्व बैंक द्वारा पचास प्रतिशत, केन्द्रांश के रूप में 33 प्रतिशत एवं राज्यांश के रूप में 16 प्रतिशत तथा लाभार्थी के अंशदान के रूप में एक प्रतिशत की राशि इस योजना पर खर्च की जायेगी। इस परियोजना के तहत हर परिवार को 450 रूपये, अनुसूचित जाति/जनजाति के परिवार से 225 रूपये लिया जायेगा और उनके घरों में गृह जल संयोजन दिया जायेगा। इस परियोजना के तहत 14 बहुग्रामीण योजना, 288 एकल ग्रामीण योजना, 28 पुरानी योजना का पुनर्गठन किया जायेगा। योजना के प्रथम बैच के सभी चार बहुग्रामीण योजनाओं का कार्य आदेश निर्गत किया गया है और कार्य प्रगति पर है।
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