पटना, 25 फरवरी 2015:- राज्य में धान के रिकाॅर्ड उत्पादन को देखते हुये खरीफ विणन मौसम 2014-15 में राज्य सरकार ने तीस लाख मेट्रिक टन धान के खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। धान, चावल अधिप्राप्ति हेतु बिहार राज्य खाद्य निगम, पैक्स, व्यापार मण्डलों को राज्य अभिकरण के रूप में नामित किया गया है। राज्य में पहली बार पैक्सों एवं व्यापार मण्डलों को चार लाख मेट्रिक टन सी0एम0आर0 चावल तैयार कर राज्य खाद्य निगम को दिये जाने का लक्ष्य दिया गया है, जिससे पैक्स, व्यापार मण्डल के राईस मिलों का उपयोग होगा। निर्धारित लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त किया जाय ताकि किसानों को उत्पादित धान का उचित मूल्य मिले। आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार मुख्य सचिवालय स्थित कार्यालय कक्ष में धान अधिप्राप्ति एवं खाद्य उपभोक्ता संरक्षण विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री को बताया गया कि धान अधिप्राप्ति हेतु 3.3 लाख किसानों का डाटाबेस पैक्स के द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें किसानों की जमीन का खाता, खेसरा के साथ सभी आवश्यक सूचनायें सुलभ कराकर जिला के बेवसाइट पर लोड कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इसमें किसानों के मोबाइल फोन नंबर को भी अंकित किया जाय। किसानों को उनके ऊपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, इसके लिये एन0ई0एफ0टी0 /आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से किसानों के खाता में सीधे भुगतान की व्यवस्था की जाय। मुख्यमंत्री को बताया गया कि चालू खरीफ विपणन मौसम में 8.33 लाख मेट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हो चुकी है, जबकि गत वर्ष इस मौसम में 2.5 लाख मेट्रिक टन धान की ही अधिप्राप्ति हो पायी थी। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि धान अधिप्राप्ति के लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त किया जायेगा। मिलरों से अग्रिम सी0एम0आर0 प्राप्त कर धान की मिलिंग करने की व्यवस्था की गयी है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त तीन सौ रूपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस भी दिया जा रहा है, इसके लिये बिहार राज्य खाद्य निगम को दो सौ करोड़ रूपये की राशि दी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि वैसे पैक्स जो किसी कारणवश अधिप्राप्ति कार्य करने में सक्षम नहीं हैं, उस पंचायत के किसानों का धान प्रखण्ड स्थित बिहार राज्य खाद्य निगम के क्रय केन्द्र पर कराये जाने की व्यवस्था की जाय। धान की मिलिंग कराने का कार्य बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा किया जाय। पैक्स से प्राप्त धान बिहार राज्य खाद्य निगम के क्रय केन्द्र/बेस गोदाम से मिल पर तथा मिल से सी0एम0आर0 गोदाम पर पहुॅचाने की जिम्मेदारी बिहार राज्य खाद्य निगम की होगी। उन्होंने कहा कि अधिप्राप्ति कार्य का संचालन करने तथा बिचैलिये सक्रिय न हों इसलिये जिला स्तर पर अनुश्रवण/पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण का कार्य निरंतर रूप से चलायी जाय। मुख्यमंत्री को बताया गया कि इस कार्यक्रम में बिचैलिये सक्रिय न हों और दूसरे राज्य का धान यहाॅ पर नहीं बिके, इसके लिये पन्द्रह उड़न दस्ते का गठन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को अधिप्राप्ति का अधिक से अधिक लाभ मिले। उन्होंने कहा कि राज्य में खेती को बढ़ावा देने के लिये धान की खरीद पर बोनस की व्यवस्था की गयी है, इसका लाभ किसानों को मिलना चाहिये।
मिलरों से अग्रिम सी0एम0आर0 लिया जाय तथा जिन मिलरों के यहाॅ धान का बकाया राशि है, उसको वसूलने के लिये तत्पर कार्रवाई की जाय। बड़े बकायेदारों का लिस्ट बनाया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिप्राप्ति का कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ होना चाहिये।
बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों की भी समीक्षा मुख्यमंत्री ने की। मुख्यमंत्री को बताया गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बिहार पहला राज्य है, जहाॅ पर लाभान्वितों की सूची ई0पी0डी0एस0 साॅफ्टवेयर पर अपलोड करने के लिये एन0आई0सी0 दिल्ली को सुलभ करा दिया गया है। खाद्यान्नों का उठाव एवं वितरण लगभग 96 प्रतिशत है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 8.71 करोड़ आबादी का 1.43 करोड़ परिवार को इस योजना से लाभान्वित किया जाना है, जिसके विरूद्ध 8.22 करोड़ आबादी एवं 1.38 करोड़ परिवारों को इस योजना से आच्छादित कर दिया गया है। 32 लाख लाभान्वितों की सूची तैयार है, जिनके लिये पन्द्रह दिनों के अंदर राशन कार्ड बन जायेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त खाद्यान्न के आवंटन, उठाव एवं वितरण का भी गहराई से अध्ययन किया गया। मुख्यमंत्री ने कृषि रोड मैप के अन्तर्गत गोदामों के निर्माण की अद्यतन स्थिति जाननी चाही तो उन्हें बताया गया कि कृषि रोड मैप के अन्तर्गत 961 गोदाम बनाना था, जिसकी भंडारण क्षमता 11.99 लाख मेट्रिक टन का है, जिसके विरूद्ध 708 गोदामों का निर्माण हो चुका है, जिसकी भण्डारण क्षमता 5.42 लाख मेट्रिक टन है।
जन वितरण प्रणाली की अनुमान्यता एवं वर्तमान में कार्यरत दुकानों की भी समीक्षा की गयी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 13,703 जन वितरण दुकानों की जो रिक्ति है, उसे तुरंत भरा जाय ताकि अधिक से अधिक लोगों को इससे रोजगार मिल सके। मुख्यमंत्री को बताया गया कि मानक के अनुसार राज्य में 55,567 दुकान होनी चाहिये, जिसके विरूद्ध 41,864 दुकानें कार्यरत हैं। मानक के अनुसार शहरी क्षेत्र में 1900 की आबादी पर एक जन वितरण की दुकान एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 1350 की आबादी पर एक दुकान का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 13,703 दुकानों के लिये एक माह के अंदर अनुज्ञप्ति निर्गत कर इन रिक्तियों को भरा जाय।
बैठक में सहकारिता मंत्री श्री जय कुमार सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव योजना एवं विकास श्री डी0एस0 गंगवार, सचिव खाद्य उपभोक्ता संरक्षण श्री हुकूम सिंह मीणा, सचिव उत्पाद एवं निबंधन श्री पंकज कुमार, सचिव ग्रामीण विकास श्री एस0एम0 राजू, प्रबंध निदेशक बिहार राज्य खाद्य निगम श्री विनय कुमार एवं अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री को बताया गया कि धान अधिप्राप्ति हेतु 3.3 लाख किसानों का डाटाबेस पैक्स के द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें किसानों की जमीन का खाता, खेसरा के साथ सभी आवश्यक सूचनायें सुलभ कराकर जिला के बेवसाइट पर लोड कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इसमें किसानों के मोबाइल फोन नंबर को भी अंकित किया जाय। किसानों को उनके ऊपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले, इसके लिये एन0ई0एफ0टी0 /आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से किसानों के खाता में सीधे भुगतान की व्यवस्था की जाय। मुख्यमंत्री को बताया गया कि चालू खरीफ विपणन मौसम में 8.33 लाख मेट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हो चुकी है, जबकि गत वर्ष इस मौसम में 2.5 लाख मेट्रिक टन धान की ही अधिप्राप्ति हो पायी थी। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि धान अधिप्राप्ति के लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त किया जायेगा। मिलरों से अग्रिम सी0एम0आर0 प्राप्त कर धान की मिलिंग करने की व्यवस्था की गयी है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त तीन सौ रूपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस भी दिया जा रहा है, इसके लिये बिहार राज्य खाद्य निगम को दो सौ करोड़ रूपये की राशि दी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि वैसे पैक्स जो किसी कारणवश अधिप्राप्ति कार्य करने में सक्षम नहीं हैं, उस पंचायत के किसानों का धान प्रखण्ड स्थित बिहार राज्य खाद्य निगम के क्रय केन्द्र पर कराये जाने की व्यवस्था की जाय। धान की मिलिंग कराने का कार्य बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा किया जाय। पैक्स से प्राप्त धान बिहार राज्य खाद्य निगम के क्रय केन्द्र/बेस गोदाम से मिल पर तथा मिल से सी0एम0आर0 गोदाम पर पहुॅचाने की जिम्मेदारी बिहार राज्य खाद्य निगम की होगी। उन्होंने कहा कि अधिप्राप्ति कार्य का संचालन करने तथा बिचैलिये सक्रिय न हों इसलिये जिला स्तर पर अनुश्रवण/पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण का कार्य निरंतर रूप से चलायी जाय। मुख्यमंत्री को बताया गया कि इस कार्यक्रम में बिचैलिये सक्रिय न हों और दूसरे राज्य का धान यहाॅ पर नहीं बिके, इसके लिये पन्द्रह उड़न दस्ते का गठन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को अधिप्राप्ति का अधिक से अधिक लाभ मिले। उन्होंने कहा कि राज्य में खेती को बढ़ावा देने के लिये धान की खरीद पर बोनस की व्यवस्था की गयी है, इसका लाभ किसानों को मिलना चाहिये।
मिलरों से अग्रिम सी0एम0आर0 लिया जाय तथा जिन मिलरों के यहाॅ धान का बकाया राशि है, उसको वसूलने के लिये तत्पर कार्रवाई की जाय। बड़े बकायेदारों का लिस्ट बनाया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिप्राप्ति का कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ होना चाहिये।
बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों की भी समीक्षा मुख्यमंत्री ने की। मुख्यमंत्री को बताया गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बिहार पहला राज्य है, जहाॅ पर लाभान्वितों की सूची ई0पी0डी0एस0 साॅफ्टवेयर पर अपलोड करने के लिये एन0आई0सी0 दिल्ली को सुलभ करा दिया गया है। खाद्यान्नों का उठाव एवं वितरण लगभग 96 प्रतिशत है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 8.71 करोड़ आबादी का 1.43 करोड़ परिवार को इस योजना से लाभान्वित किया जाना है, जिसके विरूद्ध 8.22 करोड़ आबादी एवं 1.38 करोड़ परिवारों को इस योजना से आच्छादित कर दिया गया है। 32 लाख लाभान्वितों की सूची तैयार है, जिनके लिये पन्द्रह दिनों के अंदर राशन कार्ड बन जायेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त खाद्यान्न के आवंटन, उठाव एवं वितरण का भी गहराई से अध्ययन किया गया। मुख्यमंत्री ने कृषि रोड मैप के अन्तर्गत गोदामों के निर्माण की अद्यतन स्थिति जाननी चाही तो उन्हें बताया गया कि कृषि रोड मैप के अन्तर्गत 961 गोदाम बनाना था, जिसकी भंडारण क्षमता 11.99 लाख मेट्रिक टन का है, जिसके विरूद्ध 708 गोदामों का निर्माण हो चुका है, जिसकी भण्डारण क्षमता 5.42 लाख मेट्रिक टन है।
जन वितरण प्रणाली की अनुमान्यता एवं वर्तमान में कार्यरत दुकानों की भी समीक्षा की गयी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 13,703 जन वितरण दुकानों की जो रिक्ति है, उसे तुरंत भरा जाय ताकि अधिक से अधिक लोगों को इससे रोजगार मिल सके। मुख्यमंत्री को बताया गया कि मानक के अनुसार राज्य में 55,567 दुकान होनी चाहिये, जिसके विरूद्ध 41,864 दुकानें कार्यरत हैं। मानक के अनुसार शहरी क्षेत्र में 1900 की आबादी पर एक जन वितरण की दुकान एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 1350 की आबादी पर एक दुकान का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 13,703 दुकानों के लिये एक माह के अंदर अनुज्ञप्ति निर्गत कर इन रिक्तियों को भरा जाय।
बैठक में सहकारिता मंत्री श्री जय कुमार सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव योजना एवं विकास श्री डी0एस0 गंगवार, सचिव खाद्य उपभोक्ता संरक्षण श्री हुकूम सिंह मीणा, सचिव उत्पाद एवं निबंधन श्री पंकज कुमार, सचिव ग्रामीण विकास श्री एस0एम0 राजू, प्रबंध निदेशक बिहार राज्य खाद्य निगम श्री विनय कुमार एवं अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।
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