Tuesday, 3 February 2015

मानव धर्म ही सच्चा धर्म है:- मुख्यमंत्री

पटना, 03 फरवरी 2015:- मानव धर्म ही सच्चा धर्म है। किसी के दिल को नहीं दुखाना ही सबसे बड़ा धर्म है। मानव धर्म के कर्तव्य का पालन करते हैं जो हमारे पूर्वजों ने बताया है, उस आस्था को लेकर चलते हैं तो वही सबसे बड़ा धर्म है। किसी को दुख देना पाप है, हिंसा है। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी महावीर मंदिर पटना में संत शिरोमणि रविदास की जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास ने जिन मूल्यों के लिये अपना जीवन जिया और जिन मूल्यों को हमारे लिये छोड़कर गये हैं, उसके पालन करने का साहस, धैर्य, बुद्धि हममें हो और आज समाज को उनके आदर्श एवं मूल्यों की आवश्यकता है। आचार्य किशोर कुणाल के कार्यों की सराहना करते हुये उन्होंने कहा कि वे मानवता की सेवा कर रहे हैं। मानवता की सेवा करते हैं तो यह बहुत व्यापक विषय बन जाता है। उन्होंने सामाजिक, धार्मिक एवं परोपकार के कार्यों में अपना योगदान दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज धर्म पर आधारित नहीं हो, धर्म का मतलब धारण करना होता है। विचार और आचरण को धारण करना ही धर्म कहते हैं, इसमें मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध सभी धर्म समाहित होते हैं। उन्होंने कहा कि कहा गया है कि मजहब नहीं सीखाता, आपस में बैर करना। इस बात को लेकर चलते हैं तो समाज स्वस्थ होता है और समाज में अच्छी प्रवृति जगती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूजा का अर्थ अर्पण एवं समर्पण होता है, दिखावा से बचना चाहिये। उन्होंने धर्म एवं आस्था के संदर्भ में रामायण के दोहे- परहित सरिस धर्म नहीं भायी एवं परपीड़ा सम नहीं अगवानी को उद्धृत करते हुये इसके भावार्थों को अपनाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि संत शिरोमणि के आदर्शों को लेकर चलते हैं तो कोई भी व्यक्ति समाज में पूजित हो सकता है। गरीब परिवार में संत रविदास जन्मे थे। जन्मना कोई जाति नहीं होती, कर्मणा जाति होती है। आज परिस्थितियाॅ हमारे सामने चल रही है, इसमें जाति, धर्म, छूत-अछूत, अगड़ा-पिछड़ा का विवाद है। जाति में भी उपजाति है, यह सभी हमें सर्वनाश की ओर ले जा रहे हैं। हम सब मानव हैं, एक ही माता-पिता की संतान हैं तो झगड़ा किस बात का। हम लोभ एवं लाभ के लिये झगड़ा करते हैं, इसे छोड़कर चलना चाहिये। संत रविदास ने समाज को आगे बढ़ाने का काम किया था, खासकर अनुसूचित जाति जिसे अछूत कहते हैं। दुनिया में जो सफाई का काम करता है, जो गंदगी मिटाता है, वह सबसे ऊॅचा आदमी है, उसे नीचा नहीं कहना चाहिये। समाज को अपना दृष्टिकोण बदलना चाहिये, यही संत रविदास जी ने समझाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि संत होना, विद्वान होना, किसी जाति का मामला नहीं होता है, उस मनुष्य के कर्तव्य की बात होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल इसके प्रमाण हैं, जिन्होंने वैसे समाज के लोगों को पूजारी बनाकर उदाहरण पेश किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जात-पात, धर्म का भेदभाव मिटाकर, मानव धर्म को अपनाकर ही भगवान की प्राप्ति की जा सकती है। काम ही पूजा होती है। सतकर्म आप कर रहे हैं, उसका अर्थ है कि जो काम मिला है, उसे ईमानदारीपूर्वक करें, वही सतकर्म है, पूजा है। इसी तरीके से समाज का भला होगा।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री राम सुन्दर दास ने संत शिरोमणि रविदास के आदर्शों, उनके जीवन, मूल्यों के संबंध में विस्तृत रूप से चर्चा करते हुये कहा कि जो शक्ति संत रविदास ने अर्जित की, जिसके द्वारा समाज के सारे बंधनों को तोड़ने का काम किया है। संत रविदास के आदर्शों पर चलकर ही समता मूलक समाज की स्थापना में हम सफल होंगे, जिसके लिये संत, महात्मा लोग प्रयास करते रहे हैं।
धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने सभा की अध्यक्षता की और महावीर मंदिर संस्थान के द्वारा किये जा रहे सामाजिक, धार्मिक एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के कार्यों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्होंने सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री ने सर्वप्रथम महावीर मंदिर परिसर स्थित संत रविदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया और महावीर मंदिर में पूजा अर्चना की। संत रविदास जयंती के अवसर पर निकाली गयी शोभा यात्रा को झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। पूर्व गृह सचिव श्री जियालाल आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर सेवानिवृत न्यायमूर्ति एन0एन0 सिंह, सेवानिवृत न्यायमूर्ति पी0के0 सिन्हा, पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री आर0आर0 प्रसाद, श्री एस0सी0 मिश्रा, डाॅ0 एस0एच0 झा, डाॅ0 एस0एम0पी0 सिंह, डाॅ0 डोमन दास सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।


No comments:

Post a Comment