Sunday, 22 March 2015

हमने बिजली की स्थिति में सुधार लाये जाने का संकल्प लिया है, सुधार की दिशा में हर दिन आगे बढ़ रहे हैं:- मुख्यमंत्री

पटना, 22 मार्च 2015:-  हमनें बिजली की स्थिति में सुधार लाये जाने का संकल्प लिया है। सुधार की दिशा में हर दिन आगे बढ़ रहे है। जहाॅ बिजली पहॅुच गया है, वहाॅ बिजली मिल रही है। शहरी क्षेत्र में 22 से 24 घंटे बिजली मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्र में 16 से 20 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है। जरूरत को पूरा करने के लिए बिजली पहॅुचाने का संकल्प है। 15  अगस्त 2012 को इस बात का एलान कर दिया था। इस बात की जो घोषणा की थी, उस पर चल रहे है। आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार 103वें बिहार स्थापना दिवस पर 3241.38 करोड़ रूपये की विभिन्न विद्युत परियोजनाओं का शिलान्यास एवं कार्यरम्भ तथा 105.68 करोड़ रूपये की योजनओं का उद्घाटन समेकित रूप से करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने आज बिहार दिवस की शुभकामना राज्यवासियों को दी तथा बिहार दिवस के अवसर पर विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास एवं कार्य प्रारंभ कराये जाने के लिए उर्जा विभाग को बधाई दी कहा कि आज जिन योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास हुआ है वे सभी योजनायें विद्युत संचरण (ट्रांसमिशन सिस्टम ) को बेहतर करने वाली है। विद्युत आपूर्ति के तीन अव्यव जेनरेशन, ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन का बड़ा महत्व है। विद्युत का उत्पादन कर दे, मगर इसे उपभोक्ता को सुलभ नहीं करा पाये तो इसका कोई मतलब नहीं है। बिजली उत्पादन को ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहॅचाना महत्वपूर्ण कार्य है। बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है तथा धन खर्च करने होते है। पावर प्लांट से सीधे ट्रांसमिशन सिस्टम से विद्युत पहॅुचाने में थोड़ी भी चुक रह जाती है तो सारा सिस्टम फेल हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उन्होंने 2005 में राज्य का कार्यभार संभाला था तो उस समय मात्र 45 ग्रिड सब स्टेशन राज्य में थे। बिजली पहॅुचाने के लिए नेटवर्क नहीं थे। ट्रांसमिशन लाइन मात्र 5033 किलोमीटर ही था। अधिकतम 1000 मेगावाट बिजली आपूर्ति करने की क्षमता थी। जितनी भी बिजली केन्द्र से मिलती थी, उसका भी उपयोग नहीं कर पाते थे। मात्र 12565 विद्युतीकरण गाॅव की संख्या थी। शहरों में 10 से 12 घंटे बिजली की उपलब्धता हो पाती थी। गाॅव की स्थिति और भी बदतर थी। एल0टी0 लाइन और 33000 लाइन भी काफी कमी थी। उर्जा के क्षेत्र पर हमनें काफी ध्यान दिया। उर्जा के हर पहलु पर काम हुआ। उन्होंने कहा कि यह स्थिति थी कि जहाॅ पर बिजली उत्पादन की ईकाई स्थापित होती थी, तो पावर परचेज एग्रीमेंट कैसे होता है, इसकी भी जानकारी की कमी थी। बाढ़ में 660ग3 मेगावाट का ईकाई स्थापित करने का निर्णय लिया। मार्च 1999 में माननीय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था। बिहार में पावर प्लांट होगा तो बिजली की उपलब्धता काफी हो जायेगी। बिहार में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जबकि बिहार सरकार के सहयोग के बिना राज्य में कोई भी पावर प्लांट नहीं लग सकता था। पावर प्लांट के जमीन, पानी की व्यवस्था नहीं हो सकती थी। बिहार बिजली बोर्ड को यह समझ नहीं थी कि भविष्य में बिजली की आवश्यकता बढ़ेगी। बिहार सरकार ने बाढ़ विद्युत घर के लिए तत्काल सभी कार्योंं में मदद की। किन्तु भविष्य में जरूरत बढ़ेगी इसके लिए 10 प्रतिशत के अतिरिक्त कोई दावा नहीं किया था। एन0टी0पी0सी0 के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट होना था वह नहीं हुआ था। बाढ़ पावर प्लांट के लिए राज्य सरकार की मेहरबानी से 25 एकड़ जमीन रातो-रात मिला था और उसी पर शिलान्यास का कार्यक्रम हुआ था। उन्होंने कहा कि उनका केन्द्र से राज्य के विद्युत कोटे को बढ़ाने की मांग रही थी और इसके लिए लगातार कोशिश उन्होंने किया। संचरण वितरण प्रणाली को सुदृढ़ कर रहे है। बाढ़ एक्सटेंशन प्रोेजेक्ट में 660 मेगावाट में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल गई है। बाढ़ विद्युत संयंत्र से बिहार को कोटे को भी बढ़ाया है। कांटी में एन0टी0पी0सी0 के साथ कांटी विद्युत तापघर का विस्तारीकरण एवं शुद्धीकरण कर रहे है। बरौनी में 500 मेगावाट की नई ईकाई राज्य सरकार अपने बल बुते पर खड़ा कर रही है। 660ग3 ईकाई नवीनगर में बन रही है। निजी क्षेत्र में चैसा, पीरपैंती एवं कजरा में 1320ग2 की ईकाई आयेगी। तीनों का निर्माण भारत सरकार के उपकरण द्वारा होगा। जहाॅ पर 1000 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति नहीं कर पाते थे। वहीं आज इस क्षमता को बढ़ाकर 4200 मेगावाट करने में सफलता पाई है। इस वर्ष के अंत तक यह क्षमता पाॅच हजार मेगावाट हो जायेगी। हर अनुमण्डल में ग्रिड बन रहे हैं एवं हर प्रखण्ड में पावर सब स्टेशन बने हैं। बड़ी संख्या में ग्रीड सब स्टेशन बनाये गये हैं और ऊर्जा क्षेत्र में विकास के लिये अनेक योजनाओं पर कार्य चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण विद्युतीकरण में कंडेक्टर गायब होता है, पोल उखड़ने लगता है, जिस कारण बहुत सारे हिस्से में पुर्नविद्युतीकरण करना पड़ रहा है। जो इच्छुक हैं, उन्हें बिजली मिले, जिस प्रकार की जरूरत है, चाहे वे घरेलू, व्यावसायिक या जिस प्रकार के काम के लिये वे बिजली चाहें, उन्हें हम बिजली दे सकें। उन्हें गुणवतापूर्ण बिजली देना हमारा लक्ष्य है। पानी, ऊर्जा की बचत करनी चाहिये। सौर ऊर्जा पर बातें करने एक संस्था आयी थी। उन्हें जहानाबाद के एक गाॅव में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की इच्छा की। जब उन्होंने वहाॅ पर सौर ऊर्जा से बिजली पहुॅचायी तो उन्होंने मुझे इसे देखने का अनुरोध किया। मैं जब वहाॅ गया तो लोगों ने माॅग किया कि उन्हें नकली नहीं असली बिजली चाहिये। उनकी माॅग को देखते हुये उस गाॅव में बिजली पहुॅचा दी गयी, तब उन्हें सौर ऊर्जा (अक्षय ऊर्जा) के पहलू से वाकिफ कराया, सौर ऊर्जा के महत्व को समझाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत नौ सालों में विद्युत के क्षेत्र में हुयी उपलब्धि की कोई कहानी लिखे तो उसे पता चलेगा कि बिहार ने किस हद तक प्रगति की है। विद्युत आपूर्ति में घाटे की भरपाई के लिये जो धन दे रहे हैं, उससे पता चलेगा कि इस क्षेत्र में कितनी मशक्कत और खर्च की जा रही है। कितने धन का निवेश और खर्च हो रहा है। इस क्षेत्र में निरंतर सुधार लायी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देख-रेख की समस्या पर भी ध्यान देना होगा। ट्रांसफर्मर जो जल जाते हैं, उसे ससमय बदलना चाहिये। ट्रांसफर्मर बदलने की जो नीति बनायी गयी है, ग्रामीण क्षेत्र में 72 घंटे और शहरी क्षेत्र में 24 घंटे के अंदर तत्काल ट्रांसफर्मर बदल जाना चािहये। विद्युत लाइन में किसी तरह की फाॅल्ट आने पर ससमय इसे ठीक होना चाहिये। उपभोक्ता के हित को ध्यान देना चाहिये। ठीक बिल उपभोक्ताओं को मिलना चाहिये। बिजली बिल ठीक नहीं रहने पर इसे सुधार कराने में उपभोक्ता को काफी यतन करना पड़ता है। घाटे की भरपाई राज्य सरकार अपने खजाने से कर रही है। बिजली के क्षेत्र में हम कहाॅ से कहाॅ पहुॅच गये हैं, इसमें और आगे प्रगति होती रहनी चाहिये। बिजली मिलने लगेगी तो और बिजली की माॅग बढ़ेगी। चोरी की संभावनाओं को टेक्नोलाॅजी के माध्यम से समाप्त करें। उपयोग के आधार पर उपभोक्ताओं को बिल मिलना चाहिये। उपभोक्ताओं की संतुष्टि को आधार बनायें। पुराने रोग को समाप्त करें। इफिसियेंसी लाये बिना हम लोगों को बिजली क्षेत्र में पूरा सुधार नहीं ला पायेंगे। रखरखाव की नीति होनी चाहिये ताकि आप से आप फाॅल्ट ठीक करने की कार्रवाई हो जाय। मेरी शुभकामना है कि कदम-कदम बेहतरी की ओर आप आगे बढ़ें। राज्य को विद्युत के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनायें।
समारोह की अध्यक्षता ऊर्जा मंत्री श्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने किया। उन्होंने कहा कि 2005 में जब मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी थी, उस समय छह सौ से सात सौ मेगावाट विद्युत खपत कर पाते थे, उत्पादन शून्य था। ट्रांसमिशन लाइन की स्थिति अत्यंत जर्जर थी किन्तु आज कोई जिला ऐसा नहीं है, जहाॅ पर कम से कम एक ग्रिड स्टेशन नहीं है। कोई ऐसा प्रखण्ड नहीं है, जहाॅ पर पावर ग्रिड नहीं है। 2800 से 3000 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति कर रहे हैं। आज जिन प्रोजेक्ट का उद्घाटन एवं शिलान्यास हुआ है, उनके पूरा हो जाने से विद्युत आपूर्ति की क्षमता पाॅच हजार मेगावाट हो जायेगी। जिरो जेनरेशन से पाॅच हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति की उपलब्धि प्राप्त हो जायेगी। उन्होंने कहा कि हम सब कुछ हो जाने का दावा नहीं करते हैं, मगर जो कुछ कर पाये हैं, वह कम नहीं है। आठ-नौ साल के अंदर जेनरेशन, ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन के मामले में निरंतर उपलब्धि प्राप्त की है।
विकास आयुक्त श्री एस0के0 नेगी ने समारोह को संबोधित करते हुये ऊर्जा क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। ऊर्जा सचिव श्री प्रत्यय अमृत ने कहा कि आवश्यकतानुसार राज्य सरकार ने ऊर्जा विभाग को राशि उपलब्ध करायी है। 4052 ग्रामों के विद्युतीकरण का काम चल रहा है। इन गाॅवों के ऊर्जान्व्ति किये जाने के लक्ष्य को हम समय सीमा के अंदर प्राप्त करेंगे।
इस अवसर पर समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लेशी सिंह, मुख्यमंत्री के ऊर्जा सलाहकार श्री पी0के0 राय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री डी0एस0 गंगवार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री चंचल कुमार, सचिव व्यय वित विभाग श्री प्रभात शंकर, साउथ बिहार पावर होल्डिंग कम्पनी के प्रबंध निदेशक श्री आर0 लक्ष्मण, नाॅर्थ बिहार पावर होल्डिंग कम्पनी के प्रबंध निदेशक श्री बाला डी0 मुरगन, जेनरेशन कम्पनी के प्रबंध निदेशक श्री मनीष कुमार वर्मा सहित विद्युत विभाग विभिन्न कम्पनियों के वरीय अधिकारीगण उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग के प्रथम पावर एटलस का लोकार्पण किया तथा एक लघु वृतचित्र का भी अवलोकन किया।


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