Thursday, 5 March 2015

मेरिट के आधार पर नही, प्रक्रिया का पालन न करने के आधार पर पूर्व सरकार के कुछ निर्णय को बातिल करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था-मुख्यमंत्री।

पटना, 05 मार्च 2015:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज शिक्षा विभाग की समीक्षात्मक बैठक किये जाने के बाद पत्रकारों से वार्ता की। पत्रकारों द्वारा कल पूर्व मंत्रिमंडल के प्रस्तावों को निरस्त किये जाने से जुड़े प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हीं तथाकथित फैसलों को निरस्त किए गये हैं जिसमें प्रक्रियाओं और नियम का पालन कर, नहीं किया गया था। रूल आॅफ एक्सक्यूटिव बिजनेस के तहत कैबिनेट का संचालन होता है जो संविधान से निकलता है। जिन फैसलों को निरस्त किये जाने का निर्णय लिया गया है वे अन्यान्य मद में लिए गये फैसले थे। कैबिनेट में जो फैसला लिया जाता है उसके लिए संबंधित प्रशासी विभाग से एक कैबिनेट नोट (मंत्रिपरिषद् के लिए संलेख) आता है। इस संलेख पर यदि विधिक राय लेनी होती है, विधि विभाग से राय ली जाती है। वित्तीय मामलों में वित्त विभाग की राय ली जाती है। सेवा इत्यादि से संबंधित मामलों में सामान्य प्रशासन विभाग मामले को देखता है और अपनी राय देता हैं। प्रशासी विभाग ऐसे मामलों को मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग को भेजता है। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग समीक्षा कर संबंधित विभागों द्वारा दी गई राय को देखते हुए मंत्रिपरिषद् के बैठक की कार्यसूची में शामिल करता है और उस पर मंत्रिमंडल विचार करता है और निर्णय लेता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्यान्य मद में बहुत सारे ऐसे निर्णय लिए गये थे जिसमें मंत्रिपरिषद् के लिए संलेख था ही नहीं। किसी भी संबद्ध विभाग से राय नहीं ली गई थी। मंत्रिपरिषद् की बैठक में ही कोई बात कर ली गई और इसे कैबिनेट का निर्णय के रूप में प्रचारित किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में रहने और राज्य में साढे आठ वर्षों तक मंत्रिमंडल की अध्यक्षता करने का मौका मिला है। उपरोक्त निर्णय के संबंध में विधिक राय ली गई। विधिक राय आई कि मंत्रिपरिषद् के निर्णय के लिए निर्धारित तौर-तरीके को अपनाया नहीं गया। ऐसे मामले में मंत्रिपरिषद् के निर्णय को बदलने, बातिल करने, निरस्त करने का अधिकार मंत्रिपरिषद् को है। विभागों को स्वतंत्रता दी गई है। विभाग स्वतंत्र है कि यदि वे चाहें तो ऐसे मामलों की समीक्षा कर नियमों का पालन कराते हुए नियम संगत फैसला लेने के लिए यदि चाहें तो, मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्ताव ला सकते हैं। नए सिरे से ऐसे मामलों पर विचार कर निर्णय लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘अन्यान्य’’ मद में ऐसे निर्णयों को बातिल करने का फैसला, मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि प्रक्रिया का पालन न करने के कारण मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया। ऐसे निर्णयों को बातिल करने के अतिरिक्त मंत्रिपरषिद के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। इस प्रकार कोई भी शासन प्रणाली स्वछंद तरीके से नहीं चलती है। सुविचारित प्रस्ताव विभाग लाता है, मंत्रिपरिषद उसपर विचार करता है और निर्णय लेता है। यहाँ लोकतंत्र है, इसकी भी अपनी मर्यादा है, यदि ऐसे निर्णयों को सुधारा नहीं जायेगा तो खतरनाक परम्परा शुरू हो जायेगी। यह जीते-जागते स्वछंदता का प्रतीक है। अगर पूर्व की सरकार भी चाहती तो वे खुद ऐसे निर्णयों पर कुछ नहीं कर सकते थे। पूर्व सरकार द्वारा लिए गये इन निर्णयों को ‘‘नो डिसीजन’’ कहा जायेगा। खबरों में आने के लिए उनके द्वारा ऐसे निर्णय लिए गये। उन्होंने कहा कि सरकार एक विषय पर समीक्षा कर के मेरिट के आधार पर कोई भी निर्णय ले सकते हैं। एक उदाहरण के तौर पर हम बता देते है कि अगर पुलिस कर्मियों को 13 महीने का वेतन देना है तो ये मेरे कार्यकाल में हीं सैद्धांतिक रूप से हुआ निर्णय है। इस विषय को अन्यान्य में नहीं करना चाहिए बल्कि उसको बाकायदा कैबिनेट नोट के जरिये करना चाहिए था। वो तो नहीं हुआ, इस प्रकार के निर्णय नहीं माने जायेंगे। इसी प्रकार अन्य विषयों पर पूरी प्रक्रिया को अपना कर उचित तरीके से यदि प्रशासी विभाग प्रस्ताव लाएगा तो इस पर मंत्रिपरिषद यथोचित निर्णय लेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी ‘‘रूल आॅफ लाॅ’’ स्थापित करने की है। अनियमित, स्वछंद तरीके से निर्णय लेने की नहीं। नियम के मुताबिक फैसले नहीं लिए गये थे इसलिए इससे भिन्न निर्णय नहीं लिया जा सकता है। हमारे कार्यकाल में जो निर्णय लिये गये थे या लिये जायेंगे वह प्रक्रिया का पालन करते हुए लिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर समस्त बिहार वासियों को होली की शुभकामना दी और कहा कि यह होली बिहार वासियों के जीवन में खुशियों का रंग भरे। सब के जीवन में खुशहाली लाए। इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री श्री पी0के0 शाही भी उपस्थित थे।


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