लीची की फसल पर माईट कीट के लगने पर कीट का प्रबंधन आवश्यक है ताकि फसल के नुकसान को रोका जा सके। उक्त जानकारी उप (कृषि) निदेशक सूचना श्री अशोक प्रसाद ने दी। प्राप्त सूचना में बताया गया है कि वयस्क तथा शिशु कीट, पत्तियों की निचली भाग पर रहकर, रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियाँ भूरे रंग के मखमल की तरह हो जाती है तथा सिकुड़ कर अंत में सूख जाती है। इसे ‘‘इरिनियम’’ के नाम से जाना जाता है। ये कीट मार्च से जुलाई तक काफी सक्रिय रहते हैं। इससे बचाव के लिए माईट से ग्रसित पत्तियों, टहनियों को काटकर जला देना चाहिए, माईट से आक्रान्त नया पौधा नहीं लगाना चाहिए तथा कीट के आक्रमण होने पर सल्फर 80 घु0 चू0 का 3 ग्राम या इथियान 50 ई0सी0 या डायकोफाॅल 18.5 ई0सी0 का 2 मि0ली0 या प्रोपरजाईट 57 ई0सी0 या फेनप्रौक्सिमेट 5 ई0सी0 का एक मि0ली0 प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
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