दूसरों की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं:- मुख्यमंत्री
पटना, 08 जनवरी 2015:- दूसरो की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। दूसरों को दुख देने से बड़ा कोई पाप नहीं है। हम सब एक परमपिता परमेश्वर की संतान है। हम सबने सेवा के लिए ही इस धरती पर जन्म लिया है। हम सबका एक ही उद्देश्य सेवा है। भारतीय संस्कृति में एक धर्म नहीं, अनेक धर्म की बात आती है। हमारी संस्कृति में भी सभी धर्म का समावेश है। हम सब सेवा को अपने जीवन का अंग बनायें, सेवा के किसी अवसर से न चुकंे। बिना भेदभाव के सबकी सेवा को अपनी जीवन पद्धती में डालंे। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी स्थानीय श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे इस आयोजन के आयोजकों को साधुवाद देते है। उन्होंने यहाॅ आने के लिए मुझे आमंत्रित किया और प्रतिष्ठा दी, इसके लिए उन्हें दिल की गहराई से बधाई देते हैं। उन्होंने कहा कि वे कोई विद्वान नहीं है। उन्होंने जीवन के जिन बसंतों को देखा है, उसके आधार पर कुछ बोलते हैं और सबकी सेवा करने की इच्छा रखते हंै। उन्होंने रामायण कि एक पंक्ति का हवाला देते हुये कहा कि हमारा शरीर पंचतत्व से बना है। इसे संजोने वाला कोई न कोई तो है। उसे ही ईश्वर, अल्लाह, गाॅर्ड, वाहेगुरू या प्रकृति कहते हंै। ओल्ड टेस्टामेंट में भी यही बातें कही गई है, हम सबका सृजन आदम और इव से हुआ है। मनुष्य की प्रवृति है कि किसी चीज से परहेज करने को कहा जाता है तो उसके प्रति ज्यादा लगाव बढ़ जाता है। आदम को भी एक फल विशेष खाने से मना किया गया था, मगर उन्होंने फल तोड़कर खा लिया, तब उन्हें बताया गया कि यह बुद्धि का फल था। अब संसार में जाओ, सेवा करो और अपनी बुद्धि का उपयोग समाज की सेवा में लगाओ। सेवा को सबसे बड़ा धर्म कहा जाता है। एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस सेवा का प्रशिक्षण दे रहा है। हमें इस बात का मूल्यांकन समय-समय पर करना चाहिये कि हम जिस सेवा में लगे हुये हैं, क्या उसके सेवा धर्म के अनुसार सेवा दे पा रहे हैं। हम पाते हैं कि कहीं न कहीं सेवा में कमी है और सेवा में अभाव रह गयी है। अपने-अपने क्षेत्र में मानवता की सेवा करें तो समाज में सेवा की भाव जगेगी और इसका लाभ सबको मिलेगा। प्राचीन जमाने में हम सबों के बीच प्रेम और सद्भाव की भावना बनी रहती थी। सब एक दूसरे से प्यार करते थे। परंपरा से दूर हट जाने के कारण ही आज समाज में गिरावट आती जा रही है और अनेक तरह की कठिनाइयाॅ समाज को झेलनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं से भी कोई अच्छी बात जेहन में आ जाये तो उसे याद रखना चाहिये और उसका उपयोग जीवन में करना चाहिये। किसी को कष्ट पहुॅचाया तो इससे बड़ा कोई पाप नहीं है। ऐसी करनी कर चलो कि तुम हसों जग रोये, यही जीवन की सार्थकता है। इसे अपने जीवन का आदर्श बनाकर रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वनियोजन से बढ़कर कोई दूसरी बात नहीं है। बेटी पैदा होने पर कुछ लोग अपना सिर पिटते हैं और दुखड़ा रोते हैं, मगर ऐसी भी प्रथा है कि बेटी पैदा होने पर बीस शिशम के वृक्ष लगाते हैं। बेटी जब जवान होकर शादी योग्य होती है तो एक-एक शिशम का मूल्य 25-25 हजार रूपये हो जाता है। ये सभी स्वनियोजन की बाते हैं। बेटा-बेटी में फर्क न करें, दोनों की ईश्वर के वरदान हैं। उनको अच्छी शिक्षा-दीक्षा दें और सफल इंसान बनायें। घरेलू उद्योग, पशुपालन, कृषि पर ध्यान दें और इसके माध्यम से अपनी आमदनी को बढ़ायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 97 हजार हेल्थ सेन्टर हैं। 7500 गे्रड ए की नर्सें कार्यरत हैं। 3500 ग्रेड ए के नर्सों की वेकेंसी है। 40 हजार ए0एन0एम0 का पद सृजित है, 20 हजार ए0एन0एम0 के पद रिक्त हैं। जनसंख्या बढ़ी है, हम हर जगह पर गे्रड ए नर्स और ए0एन0एम0 की कमी को पूरा करेंगे। हमारे सामने ‘न’ शब्द नहीं है। पुलिस की माॅगों को पूरा किया, होमगार्ड के जवानों से बातें कर उनकी समस्याओं को सुना, उनकी माॅगों को पूरा किया। बिहार की सेवा हमारा फर्ज है। 57 हजार करोड़ रूपये का योजना बजट बनाया है। विभिन्न मदों से बीस हजार करोड़ रूपये की कटौती केन्द्र ने कर ली है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता तो किसी को नारा, प्रदर्शन एवं जुलूस निकालने की जरूरत नहीं होती, सबकी माॅगों को हम पूरी करते। भारत सरकार हमारे साथ उचित रूप से पेश नहीं आ रही है। हमारे छात्र किसी से कम नहीं हैं। बिहार में जितनी तकनिकी शिक्षा के संस्थान होने चाहिये थी, उतनी नहीं है। हम इस कमी को दूर करने में लगे हैं, आप सब तन-मन से काम करें। प्राइवेट एवं पब्लिक सेक्टर में भी संस्थाओं को रहना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर का काम बेहतर है। प्राइवेट सेक्टर के संस्थानों की भी हम मदद करेंगे। पब्लिक एवं प्राइवेट सेक्टर के बीच स्पद्र्धा की भावना जगनी चाहिये, तभी दोनों तरफ अच्छे माहौल बनेंगे और अच्छे कौशलवान छात्र-छात्रायें सामाजिक क्षेत्र में निकलकर आयेंगे। अपनी जिम्मेदारियों का निर्बाह ठीक ढ़ंग से कर सकेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपनी शुभकामनायें एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस के छात्र-छात्राओं को दी और कहा कि काम कोई छोटा नहीं होता है। सेवा, सेवा होती है, श्रम की ही जय होती है।
इस अवसर पर एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस के अध्यक्ष श्री एस0के0 मण्डल ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न, अंगवस्त्र एवं पुष्प-गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री वृशिण पटेल, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव, श्रम संसाधन मंत्री श्री दुलालचंद गोस्वामी, कला, संस्कृति मंत्री श्री विनय बिहारी, विधायक श्री ललन भूईयां, डाॅ0 राजीव रंजन प्रसाद ने भी अपने-अपने विचारों को रखा। प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री ब्रजेश मेहरोत्रा ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि पारा मेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ की काफी कमी है। इन पदों को भरने के लिये कई हजार नियुक्ति होने जा रही है, आपलोग इसका लाभ उठायें। स्वागत भाषण संस्थान के अध्यक्ष श्री एस0के0 मण्डल ने किया।
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पटना, 08 जनवरी 2015:- दूसरो की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। दूसरों को दुख देने से बड़ा कोई पाप नहीं है। हम सब एक परमपिता परमेश्वर की संतान है। हम सबने सेवा के लिए ही इस धरती पर जन्म लिया है। हम सबका एक ही उद्देश्य सेवा है। भारतीय संस्कृति में एक धर्म नहीं, अनेक धर्म की बात आती है। हमारी संस्कृति में भी सभी धर्म का समावेश है। हम सब सेवा को अपने जीवन का अंग बनायें, सेवा के किसी अवसर से न चुकंे। बिना भेदभाव के सबकी सेवा को अपनी जीवन पद्धती में डालंे। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम मांझी स्थानीय श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे इस आयोजन के आयोजकों को साधुवाद देते है। उन्होंने यहाॅ आने के लिए मुझे आमंत्रित किया और प्रतिष्ठा दी, इसके लिए उन्हें दिल की गहराई से बधाई देते हैं। उन्होंने कहा कि वे कोई विद्वान नहीं है। उन्होंने जीवन के जिन बसंतों को देखा है, उसके आधार पर कुछ बोलते हैं और सबकी सेवा करने की इच्छा रखते हंै। उन्होंने रामायण कि एक पंक्ति का हवाला देते हुये कहा कि हमारा शरीर पंचतत्व से बना है। इसे संजोने वाला कोई न कोई तो है। उसे ही ईश्वर, अल्लाह, गाॅर्ड, वाहेगुरू या प्रकृति कहते हंै। ओल्ड टेस्टामेंट में भी यही बातें कही गई है, हम सबका सृजन आदम और इव से हुआ है। मनुष्य की प्रवृति है कि किसी चीज से परहेज करने को कहा जाता है तो उसके प्रति ज्यादा लगाव बढ़ जाता है। आदम को भी एक फल विशेष खाने से मना किया गया था, मगर उन्होंने फल तोड़कर खा लिया, तब उन्हें बताया गया कि यह बुद्धि का फल था। अब संसार में जाओ, सेवा करो और अपनी बुद्धि का उपयोग समाज की सेवा में लगाओ। सेवा को सबसे बड़ा धर्म कहा जाता है। एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस सेवा का प्रशिक्षण दे रहा है। हमें इस बात का मूल्यांकन समय-समय पर करना चाहिये कि हम जिस सेवा में लगे हुये हैं, क्या उसके सेवा धर्म के अनुसार सेवा दे पा रहे हैं। हम पाते हैं कि कहीं न कहीं सेवा में कमी है और सेवा में अभाव रह गयी है। अपने-अपने क्षेत्र में मानवता की सेवा करें तो समाज में सेवा की भाव जगेगी और इसका लाभ सबको मिलेगा। प्राचीन जमाने में हम सबों के बीच प्रेम और सद्भाव की भावना बनी रहती थी। सब एक दूसरे से प्यार करते थे। परंपरा से दूर हट जाने के कारण ही आज समाज में गिरावट आती जा रही है और अनेक तरह की कठिनाइयाॅ समाज को झेलनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं से भी कोई अच्छी बात जेहन में आ जाये तो उसे याद रखना चाहिये और उसका उपयोग जीवन में करना चाहिये। किसी को कष्ट पहुॅचाया तो इससे बड़ा कोई पाप नहीं है। ऐसी करनी कर चलो कि तुम हसों जग रोये, यही जीवन की सार्थकता है। इसे अपने जीवन का आदर्श बनाकर रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वनियोजन से बढ़कर कोई दूसरी बात नहीं है। बेटी पैदा होने पर कुछ लोग अपना सिर पिटते हैं और दुखड़ा रोते हैं, मगर ऐसी भी प्रथा है कि बेटी पैदा होने पर बीस शिशम के वृक्ष लगाते हैं। बेटी जब जवान होकर शादी योग्य होती है तो एक-एक शिशम का मूल्य 25-25 हजार रूपये हो जाता है। ये सभी स्वनियोजन की बाते हैं। बेटा-बेटी में फर्क न करें, दोनों की ईश्वर के वरदान हैं। उनको अच्छी शिक्षा-दीक्षा दें और सफल इंसान बनायें। घरेलू उद्योग, पशुपालन, कृषि पर ध्यान दें और इसके माध्यम से अपनी आमदनी को बढ़ायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 97 हजार हेल्थ सेन्टर हैं। 7500 गे्रड ए की नर्सें कार्यरत हैं। 3500 ग्रेड ए के नर्सों की वेकेंसी है। 40 हजार ए0एन0एम0 का पद सृजित है, 20 हजार ए0एन0एम0 के पद रिक्त हैं। जनसंख्या बढ़ी है, हम हर जगह पर गे्रड ए नर्स और ए0एन0एम0 की कमी को पूरा करेंगे। हमारे सामने ‘न’ शब्द नहीं है। पुलिस की माॅगों को पूरा किया, होमगार्ड के जवानों से बातें कर उनकी समस्याओं को सुना, उनकी माॅगों को पूरा किया। बिहार की सेवा हमारा फर्ज है। 57 हजार करोड़ रूपये का योजना बजट बनाया है। विभिन्न मदों से बीस हजार करोड़ रूपये की कटौती केन्द्र ने कर ली है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता तो किसी को नारा, प्रदर्शन एवं जुलूस निकालने की जरूरत नहीं होती, सबकी माॅगों को हम पूरी करते। भारत सरकार हमारे साथ उचित रूप से पेश नहीं आ रही है। हमारे छात्र किसी से कम नहीं हैं। बिहार में जितनी तकनिकी शिक्षा के संस्थान होने चाहिये थी, उतनी नहीं है। हम इस कमी को दूर करने में लगे हैं, आप सब तन-मन से काम करें। प्राइवेट एवं पब्लिक सेक्टर में भी संस्थाओं को रहना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर का काम बेहतर है। प्राइवेट सेक्टर के संस्थानों की भी हम मदद करेंगे। पब्लिक एवं प्राइवेट सेक्टर के बीच स्पद्र्धा की भावना जगनी चाहिये, तभी दोनों तरफ अच्छे माहौल बनेंगे और अच्छे कौशलवान छात्र-छात्रायें सामाजिक क्षेत्र में निकलकर आयेंगे। अपनी जिम्मेदारियों का निर्बाह ठीक ढ़ंग से कर सकेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपनी शुभकामनायें एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस के छात्र-छात्राओं को दी और कहा कि काम कोई छोटा नहीं होता है। सेवा, सेवा होती है, श्रम की ही जय होती है।
इस अवसर पर एस0के0 मण्डल गु्रप आॅफ इंस्टीच्यूसंस के अध्यक्ष श्री एस0के0 मण्डल ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न, अंगवस्त्र एवं पुष्प-गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री वृशिण पटेल, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव, श्रम संसाधन मंत्री श्री दुलालचंद गोस्वामी, कला, संस्कृति मंत्री श्री विनय बिहारी, विधायक श्री ललन भूईयां, डाॅ0 राजीव रंजन प्रसाद ने भी अपने-अपने विचारों को रखा। प्रधान सचिव स्वास्थ्य श्री ब्रजेश मेहरोत्रा ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि पारा मेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ की काफी कमी है। इन पदों को भरने के लिये कई हजार नियुक्ति होने जा रही है, आपलोग इसका लाभ उठायें। स्वागत भाषण संस्थान के अध्यक्ष श्री एस0के0 मण्डल ने किया।
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