पटना, 25 जनवरी 2015:- उर्दू राज्य की दूसरी राजभाषा है, इसको इज्जत मिले। उर्दू पढ़ने वाले हिन्दी जाने एवं हिन्दी पढ़ने वाले उर्दू जानें। दोनों भाषाओं को सीखना बहुत जरूरी है, उर्दू मधुर भाषा है। जिस विद्यालय में दस बच्चे उर्दू पढ़ने वाले होंगे वहाॅ पर उर्दू शिक्षक की बहाली करने का पूर्व में प्रावधान था, मगर मैंने निर्णय लिया है कि राज्य के सभी विद्यालयों में एक-एक उर्दू शिक्षक नियुक्त करेंगे। प्रथम चरण में अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाके के विद्यालयों में उर्दू शिक्षक भरे जायेंगे। आज दोपहर मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी इमरत-ए-शरिया फुलवारीशरीफ में आयोजित तालिमी इजलास के अन्तर्गत ‘अल्पसंख्यकों की शैक्षणिक समस्यायें एवं समाधान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुये महती जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बिहार के इतिहास के लिये अत्यंत प्रमुख ऐतिहासिक दिन माना जायेगा। बिहार में दो केन्द्रीय विश्वविद्यालय यथा- मोतिहारी एवं गया में खुले हैं। तीसरा कृषि जगत में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोले जाने के लिये केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इस काम को प्रारंभ किया था। उन्होंने बिहार को आगे बढ़ाने के लिये कोई प्रयत्न नहीं छोड़ रखा था। उन्होंने ही हमें नामित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया, हम उनके कामों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी काम को दस प्वाइंट तक करना है और सात प्वाइंट तक हो चुका है, शेष तीन प्वाइंट छूटे काम को पूरा करना है। ऐसी स्थिति में छूटे कामों को पूरा नहीं करने वालों को नकारा कहा जायेगा। मैं पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सभी कार्य को आगे बढ़ाने में लगा हुआ हूॅ। 2008 से राजेन्द्र कृषि महाविद्यालय को राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में सम्परिवर्तन की बात चल रही थी। मामूली काम के लिये यह काम रूका हुआ था। जब ये बातें मेरे संज्ञान में आयी तो मैंने निर्देश दिया कि सभी समस्याओं का निदान तुरंत होना चाहिये। समाधान निकाला गया और सारी अड़चने समाप्त हुयी। भारत सरकार को हमारी बात माननी पड़ी और आज केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये केन्द्रीय कृषि मंत्री की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर हुआ।
मुख्यमंत्री ने अमिर-ए-शरियत हजतर मौलाना निजामुद्दीन साहब के प्रति सम्मान प्रकट करते हुये कहा कि हम आप जैसे लोगों से सीख लेते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 73 हजार प्राथमिक विद्यालय हैं। लगभग 18 हजार उच्च एवं मध्य विद्यालय हैं। हमने निर्णय लिया है कि हर पंचायत में एक प्लस टू उच्च विद्यालय खोलेंगे। ऐसा कैटेरिया बना दिया है, जिसके तहत हर पंचायत में कम से कम एक उच्च विद्यालय अवश्य खुलेंगे। 1700 उच्च विद्यालय बनाये जा चुके हैं और शेष पंचायतों में उच्च विद्यालय बनाये जाने की प्रक्रिया चल रही है। सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर बच्चियों के लिये अलग विद्यालय की व्यवस्था कर रहे हैं, जहाॅ पर बालिका विद्यालय नहीं है, वहाॅ पर प्रोजेक्ट विद्यालय के तर्ज पर विद्यालय खोल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी एवं निजी क्षेत्र के विद्यालयों के कार्य प्रणाली में अंतर क्यों है, जबकि प्राइवेट स्कूल से कहीं ज्यादा सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को सुविधायें दे रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों का दोहन हो रहा है, उन्हें बहुत कम पैसे पर काम करना पड़ता है। सरकारी विद्यालयों के नियोजित शिक्षकों को भी हमने सुविधा दे रखी है। उनकी सेवानिवृति की आयु को साठ साल कर दिया है तथा उनके वेतन में वृद्धि कर दिया है। हम सबकी माॅगों को पूरा करना चाहते हैं, मगर हमारा हाथ बंधा हुआ है। भारत सरकार से वह सहयोग नहीं मिल रहा है, जो मिलना चाहिये। उन्होंने शिक्षकों से विशेष रूप से अनुरोध किया कि उन्हें जो सुख, सुविधा मिल रही है, उसके अनुसार रिजल्ट दें। पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने विभिन्न तरह के पदों पर नियोजन का मौका युवकों को दिया था। उन्हें घर के निकट ही बच्चों को पढ़ाकर अपनी योग्यता को बढ़ाने का अवसर दिया ताकि वे अपने कार्यों के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रख सकें, अपनी योग्यता को बढ़ा सकें और ऊॅची से ऊॅची नौकरी पायें, मगर अफसोस है, ऐसा नहीं हुआ। नियोजित शिक्षक अपनी योग्यता बढ़ाने के विरूद्ध हड़ताली मोड़ पर अपनी माॅगों को पूरा कराने के लिये नारा लगाने में समय बीता रहे हैं। पहले शिक्षक पढ़ते थे और पढ़ाते थे। बच्चों को अनुशासन सीखाते थे। जरूरत है कि आज शिक्षकगण अपनी इस पुरानी परंपरा का निर्बाह करें और खोई हुये गरिमा को वापस लायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज लोग गाॅवों को भूलकर शहरों में रहने लगे हैं। अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। स्कूल में जो पढ़ाई होती थी, उसी के बल पर वे आज इस स्थान पर पहुॅचे हैं।
मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों की चर्चा करते हुये कहा कि चिकित्सक देहात में रहना पसंद नहीं करते इसलिये मैंने सोंचा है कि अब जो भी चिकित्सकों की नई बहाली होगी, उसमें यह शर्त रखेंगे कि उन्हें पाॅच वर्षों तक देहात में रहकर सेवा देनी होगी, तभी उन्हें शहर में पदस्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि गाॅवों में पदस्थापित चिकित्सक पटना से जायेंगे तो वे क्या सेवा कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझें और इनकलाब का नारा लगाने वालों को समझायें, उन्हें काम करने की सलाह दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौलाना मजहरूलहक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के लिये पाॅच एकड़ जमीन एवं 65 लाख रूपये दे दिया है, जिस राशि या अन्य जरूरतों को पूरा करने की जो आवश्यकता होगी, वह भी वे पूरा कराने पर ध्यान देंगे। उर्दू अकादमी, मदरसा बोड सबको अपनी जमीन हो, इसके लिये भी बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों की स्थिति इतनी खराब क्यों है, इसका भी अध्ययन कराया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड, शिया वक्फ बोर्ड के पास हजारो एकड़ जमीन है। अगर इसका प्रबंधन ठीक हो जाय तो अकिलियत समाज के लोगों को मदद के लिये सरकार की ओर नहीं देखना होगा बल्कि वे सरकार की मदद कर सकेंगे। जब तक मेरे पास समय है, मैं बोर्डों की संपति का बेहतर प्रबंधन करने की कोशिश करूॅगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा किया कि इमारत-ए-शरिया के प्रांगण में काॅन्फ्रेंस हाॅल बनाने के लिये वे राशि सुलभ करायेंगे। उन्होंने अमिर-ए-शरियत से अनुरोध किया कि वे इसके लिये प्राक्कलन एवं अन्य औपचारिकतायें पूरी करायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सबको एक मानकर चलते हैं। हम सभी एक हैं, हम सबको भगवान, खुदा के पास पहुॅचना है। पहुॅचने के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, मगर मंजिल हम सबकी एक ही है। हम सभी धर्म का सम्मान एवं आदर करते हैं। मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरपुर के अजीजपुर में हुयी घटना का जिक्र करते हुये कहा कि वहाॅ के लोगों का दोष नहीं। शैल देवी ने अपनी जान को जोखिम में डालकर दस मुसलमानों की जान बचायी, सबको पनाह दिया। हिन्दुओं ने भी मुसलमानों को अपने घर में पनाह दी और उन्हें बचाया। उन्होंने कहा कि उक्त घटना में साजिश का गंध आ रहा है। कैसे-कैसे लोग वहाॅ गाड़ी से आये थे। हम साजिश को नहीं चलने देंगे। जैसे ही घटना की सूचना मुझे मिली, मैंने अपनी मुम्बई यात्रा को बीच में ही छोड़कर तथा प्रधानमंत्री जी से मुलाकात के समय को छोड़कर पटना लौटे और पीडि़तों से मुलाकात की। अजीजपुर की घटना से संबंधित सभी मामलों का निस्तार फास्ट टैªक कोर्ट से कराकर दोषियों को सजा देंगे। कम से कम समय में दोषियों को सजा दिलाने का इतिहास स्थापित करेंगे। जरूरत पड़ी तो सी0बी0आई0 से भी जाॅच करायेंगे। दोषी तत्व पाताल में भी होंगे तो उन्हें खोजकर सजा देंगे। घटना के दूसरे ही दिन पाॅच-पाॅच लाख रूपये का मुआवजा मृतकों के आश्रित को दिला दिया। हर्जाने की क्षतिपूर्ति करायी जायेगी, जले सामानों का मूल्यांकन कराकर जितनी क्षतिपूर्ति हुयी है, उसका क्षतिपूर्ति करायेंगे। अजीजपुर गाॅव में पुलिस थाना खुलवा रहे हैं। गाॅवों में पी0सी0सी0 सड़क, चापाकल, मदरसा सबकी व्यवस्था करेंगे और जो भी जरूरत होगी, उसे भी पूरा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अफवाह पर ध्यान न दें, बहरूपिया लोग यहाॅ आने लगे हैं। वह आपको भरमायेंगे। उनके जाल में कभी न फॅसें। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने सर्वधर्म सद्भाव की शिक्षा दी है, मगर आज मंदिर वहीं बनायेंगे, धारा 370 को समाप्त करेंगे, समान सिविल कोड को लागू कर हिन्दुस्तान की विभिन्नता में एकता की खुबसूरती को समाप्त करने की कोशिश हो रही है। हम इस कोशिश को जहाॅ भी रहें, विफल करें, अपनी एकता को बनाये रखें। आपसी प्रेम, सद्भाव के रिश्ते को मजबूत करें।
अमिर-ए-शरियत हजरत मौलाना निजामुद्दीन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि इनसान की फजीलत (बरतरी) तालिम की वजह से है। जिस कौम ने तालिम पर ध्यान दिया, वे आगे बढ़ी है और तरक्की की है। उन्होंने कहा कि आज अल्पसंख्यकों में तालिम के बारे में एहसास है। हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा पढ़े। उन्होंने कहा कि जहाॅ पर तालिम के लिये बेहतर सुविधा न हो, उसे निशाना बनाकर वहाॅ पर बेहतर सुविधा सृजित की जाय। गाॅवों में लोअर प्राइमरी स्कूल से मिडिल स्कूल तक की शिक्षा का प्रबंध जरूर होना चाहिये। योजनाओं को कागज से जमीन पर उतारने की जरूरत है। तालिम के लिये जो जरूरत हो, उसे पूरा किया जाय। जो कौम तालिम एवं सेहत के ऐतबार से तरक्की करोगी, वही कौम सेहतमंद रहेगी। अमन, इंसाफ हो, लोगों को रोजगार मिले, भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल जाय तो मूल्क एवं राज्य को तरक्की से नहीं रोका जा सकता है। अमन कायम रखें, भाईचारा कायम रहे, तालिम, सेहत, रोजगार और अमन ओ शांति के लिये काम किया जाय। तालिम के साथ तरबियत जरूर सीखाया जाय।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री वृशिण पटेल, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री श्री शाहिद अली खाॅ ने भी समारोह को संबोधित किया तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, शांति एवं सुशासन के लिये सरकार के द्वारा उठाये गये कदमों की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर नायब अमिर -ए-शरियत मौलाना सैयद वलीरहमानी, नाजिम इमारत-ए-शरिया श्री अनिसुर्रहमान कासमी, कुलपति मौलाना मजहरूलहक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय डाॅ0 एजाज अली अरसद, निदेशक उच्च शिक्षा श्री एस0एम0 करीम, प्रो0 शकील अहमद कासमी, काजी निसार अहमद कासमी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति, सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बिहार के इतिहास के लिये अत्यंत प्रमुख ऐतिहासिक दिन माना जायेगा। बिहार में दो केन्द्रीय विश्वविद्यालय यथा- मोतिहारी एवं गया में खुले हैं। तीसरा कृषि जगत में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोले जाने के लिये केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इस काम को प्रारंभ किया था। उन्होंने बिहार को आगे बढ़ाने के लिये कोई प्रयत्न नहीं छोड़ रखा था। उन्होंने ही हमें नामित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया, हम उनके कामों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी काम को दस प्वाइंट तक करना है और सात प्वाइंट तक हो चुका है, शेष तीन प्वाइंट छूटे काम को पूरा करना है। ऐसी स्थिति में छूटे कामों को पूरा नहीं करने वालों को नकारा कहा जायेगा। मैं पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सभी कार्य को आगे बढ़ाने में लगा हुआ हूॅ। 2008 से राजेन्द्र कृषि महाविद्यालय को राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में सम्परिवर्तन की बात चल रही थी। मामूली काम के लिये यह काम रूका हुआ था। जब ये बातें मेरे संज्ञान में आयी तो मैंने निर्देश दिया कि सभी समस्याओं का निदान तुरंत होना चाहिये। समाधान निकाला गया और सारी अड़चने समाप्त हुयी। भारत सरकार को हमारी बात माननी पड़ी और आज केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये केन्द्रीय कृषि मंत्री की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर हुआ।
मुख्यमंत्री ने अमिर-ए-शरियत हजतर मौलाना निजामुद्दीन साहब के प्रति सम्मान प्रकट करते हुये कहा कि हम आप जैसे लोगों से सीख लेते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 73 हजार प्राथमिक विद्यालय हैं। लगभग 18 हजार उच्च एवं मध्य विद्यालय हैं। हमने निर्णय लिया है कि हर पंचायत में एक प्लस टू उच्च विद्यालय खोलेंगे। ऐसा कैटेरिया बना दिया है, जिसके तहत हर पंचायत में कम से कम एक उच्च विद्यालय अवश्य खुलेंगे। 1700 उच्च विद्यालय बनाये जा चुके हैं और शेष पंचायतों में उच्च विद्यालय बनाये जाने की प्रक्रिया चल रही है। सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर बच्चियों के लिये अलग विद्यालय की व्यवस्था कर रहे हैं, जहाॅ पर बालिका विद्यालय नहीं है, वहाॅ पर प्रोजेक्ट विद्यालय के तर्ज पर विद्यालय खोल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी एवं निजी क्षेत्र के विद्यालयों के कार्य प्रणाली में अंतर क्यों है, जबकि प्राइवेट स्कूल से कहीं ज्यादा सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को सुविधायें दे रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों का दोहन हो रहा है, उन्हें बहुत कम पैसे पर काम करना पड़ता है। सरकारी विद्यालयों के नियोजित शिक्षकों को भी हमने सुविधा दे रखी है। उनकी सेवानिवृति की आयु को साठ साल कर दिया है तथा उनके वेतन में वृद्धि कर दिया है। हम सबकी माॅगों को पूरा करना चाहते हैं, मगर हमारा हाथ बंधा हुआ है। भारत सरकार से वह सहयोग नहीं मिल रहा है, जो मिलना चाहिये। उन्होंने शिक्षकों से विशेष रूप से अनुरोध किया कि उन्हें जो सुख, सुविधा मिल रही है, उसके अनुसार रिजल्ट दें। पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने विभिन्न तरह के पदों पर नियोजन का मौका युवकों को दिया था। उन्हें घर के निकट ही बच्चों को पढ़ाकर अपनी योग्यता को बढ़ाने का अवसर दिया ताकि वे अपने कार्यों के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रख सकें, अपनी योग्यता को बढ़ा सकें और ऊॅची से ऊॅची नौकरी पायें, मगर अफसोस है, ऐसा नहीं हुआ। नियोजित शिक्षक अपनी योग्यता बढ़ाने के विरूद्ध हड़ताली मोड़ पर अपनी माॅगों को पूरा कराने के लिये नारा लगाने में समय बीता रहे हैं। पहले शिक्षक पढ़ते थे और पढ़ाते थे। बच्चों को अनुशासन सीखाते थे। जरूरत है कि आज शिक्षकगण अपनी इस पुरानी परंपरा का निर्बाह करें और खोई हुये गरिमा को वापस लायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज लोग गाॅवों को भूलकर शहरों में रहने लगे हैं। अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। स्कूल में जो पढ़ाई होती थी, उसी के बल पर वे आज इस स्थान पर पहुॅचे हैं।
मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों की चर्चा करते हुये कहा कि चिकित्सक देहात में रहना पसंद नहीं करते इसलिये मैंने सोंचा है कि अब जो भी चिकित्सकों की नई बहाली होगी, उसमें यह शर्त रखेंगे कि उन्हें पाॅच वर्षों तक देहात में रहकर सेवा देनी होगी, तभी उन्हें शहर में पदस्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि गाॅवों में पदस्थापित चिकित्सक पटना से जायेंगे तो वे क्या सेवा कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझें और इनकलाब का नारा लगाने वालों को समझायें, उन्हें काम करने की सलाह दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौलाना मजहरूलहक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के लिये पाॅच एकड़ जमीन एवं 65 लाख रूपये दे दिया है, जिस राशि या अन्य जरूरतों को पूरा करने की जो आवश्यकता होगी, वह भी वे पूरा कराने पर ध्यान देंगे। उर्दू अकादमी, मदरसा बोड सबको अपनी जमीन हो, इसके लिये भी बात कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों की स्थिति इतनी खराब क्यों है, इसका भी अध्ययन कराया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड, शिया वक्फ बोर्ड के पास हजारो एकड़ जमीन है। अगर इसका प्रबंधन ठीक हो जाय तो अकिलियत समाज के लोगों को मदद के लिये सरकार की ओर नहीं देखना होगा बल्कि वे सरकार की मदद कर सकेंगे। जब तक मेरे पास समय है, मैं बोर्डों की संपति का बेहतर प्रबंधन करने की कोशिश करूॅगा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा किया कि इमारत-ए-शरिया के प्रांगण में काॅन्फ्रेंस हाॅल बनाने के लिये वे राशि सुलभ करायेंगे। उन्होंने अमिर-ए-शरियत से अनुरोध किया कि वे इसके लिये प्राक्कलन एवं अन्य औपचारिकतायें पूरी करायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सबको एक मानकर चलते हैं। हम सभी एक हैं, हम सबको भगवान, खुदा के पास पहुॅचना है। पहुॅचने के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, मगर मंजिल हम सबकी एक ही है। हम सभी धर्म का सम्मान एवं आदर करते हैं। मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरपुर के अजीजपुर में हुयी घटना का जिक्र करते हुये कहा कि वहाॅ के लोगों का दोष नहीं। शैल देवी ने अपनी जान को जोखिम में डालकर दस मुसलमानों की जान बचायी, सबको पनाह दिया। हिन्दुओं ने भी मुसलमानों को अपने घर में पनाह दी और उन्हें बचाया। उन्होंने कहा कि उक्त घटना में साजिश का गंध आ रहा है। कैसे-कैसे लोग वहाॅ गाड़ी से आये थे। हम साजिश को नहीं चलने देंगे। जैसे ही घटना की सूचना मुझे मिली, मैंने अपनी मुम्बई यात्रा को बीच में ही छोड़कर तथा प्रधानमंत्री जी से मुलाकात के समय को छोड़कर पटना लौटे और पीडि़तों से मुलाकात की। अजीजपुर की घटना से संबंधित सभी मामलों का निस्तार फास्ट टैªक कोर्ट से कराकर दोषियों को सजा देंगे। कम से कम समय में दोषियों को सजा दिलाने का इतिहास स्थापित करेंगे। जरूरत पड़ी तो सी0बी0आई0 से भी जाॅच करायेंगे। दोषी तत्व पाताल में भी होंगे तो उन्हें खोजकर सजा देंगे। घटना के दूसरे ही दिन पाॅच-पाॅच लाख रूपये का मुआवजा मृतकों के आश्रित को दिला दिया। हर्जाने की क्षतिपूर्ति करायी जायेगी, जले सामानों का मूल्यांकन कराकर जितनी क्षतिपूर्ति हुयी है, उसका क्षतिपूर्ति करायेंगे। अजीजपुर गाॅव में पुलिस थाना खुलवा रहे हैं। गाॅवों में पी0सी0सी0 सड़क, चापाकल, मदरसा सबकी व्यवस्था करेंगे और जो भी जरूरत होगी, उसे भी पूरा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अफवाह पर ध्यान न दें, बहरूपिया लोग यहाॅ आने लगे हैं। वह आपको भरमायेंगे। उनके जाल में कभी न फॅसें। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने सर्वधर्म सद्भाव की शिक्षा दी है, मगर आज मंदिर वहीं बनायेंगे, धारा 370 को समाप्त करेंगे, समान सिविल कोड को लागू कर हिन्दुस्तान की विभिन्नता में एकता की खुबसूरती को समाप्त करने की कोशिश हो रही है। हम इस कोशिश को जहाॅ भी रहें, विफल करें, अपनी एकता को बनाये रखें। आपसी प्रेम, सद्भाव के रिश्ते को मजबूत करें।
अमिर-ए-शरियत हजरत मौलाना निजामुद्दीन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि इनसान की फजीलत (बरतरी) तालिम की वजह से है। जिस कौम ने तालिम पर ध्यान दिया, वे आगे बढ़ी है और तरक्की की है। उन्होंने कहा कि आज अल्पसंख्यकों में तालिम के बारे में एहसास है। हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा पढ़े। उन्होंने कहा कि जहाॅ पर तालिम के लिये बेहतर सुविधा न हो, उसे निशाना बनाकर वहाॅ पर बेहतर सुविधा सृजित की जाय। गाॅवों में लोअर प्राइमरी स्कूल से मिडिल स्कूल तक की शिक्षा का प्रबंध जरूर होना चाहिये। योजनाओं को कागज से जमीन पर उतारने की जरूरत है। तालिम के लिये जो जरूरत हो, उसे पूरा किया जाय। जो कौम तालिम एवं सेहत के ऐतबार से तरक्की करोगी, वही कौम सेहतमंद रहेगी। अमन, इंसाफ हो, लोगों को रोजगार मिले, भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल जाय तो मूल्क एवं राज्य को तरक्की से नहीं रोका जा सकता है। अमन कायम रखें, भाईचारा कायम रहे, तालिम, सेहत, रोजगार और अमन ओ शांति के लिये काम किया जाय। तालिम के साथ तरबियत जरूर सीखाया जाय।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री वृशिण पटेल, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री श्री शाहिद अली खाॅ ने भी समारोह को संबोधित किया तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, शांति एवं सुशासन के लिये सरकार के द्वारा उठाये गये कदमों की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर नायब अमिर -ए-शरियत मौलाना सैयद वलीरहमानी, नाजिम इमारत-ए-शरिया श्री अनिसुर्रहमान कासमी, कुलपति मौलाना मजहरूलहक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय डाॅ0 एजाज अली अरसद, निदेशक उच्च शिक्षा श्री एस0एम0 करीम, प्रो0 शकील अहमद कासमी, काजी निसार अहमद कासमी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति, सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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