Saturday, 10 January 2015

अपराध नियंत्रण एवं विधि व्यवस्था कार्यों में कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारी चिह्नित किये जायें और उनके विरूद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाय:- मुख्यमंत्री

अपराध नियंत्रण एवं विधि व्यवस्था कार्यों में कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारी चिह्नित किये जायें और उनके विरूद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाय:- मुख्यमंत्री

पटना, 08 जनवरी 2015:- मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी ने आज सुबह अपने आवास पर अपराध नियंत्रण एवं विधि व्यवस्था की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री पी0के0 ठाकुर, सचिव गृह एवं अन्य सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया कि राज्य में अपराध पूर्णरूपेन नियंत्रित होना चाहिये। अपराधियों पर अत्यधिक कड़ी एवं प्रभावी कार्रवाई तत्काल सुनिश्चित की जाय। पुलिस मुख्यालय द्वारा दैनिक समीक्षा सुनिश्चित की जाय। लंबित कुर्की जब्ती एवं गिरफ्तारी वारंट के कार्यान्वयन के लिये विशेष अभियान चलायी जाय। लंबित काण्डों के अनुसंधान में तेजी लायी जाय। वरीय अधिकारियों द्वारा थानों का नियमित निरीक्षण किया जाय। त्वरित ट्रायल के लिये समुचित समन्वय सुनिश्चित की जाय। अनूसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के अन्तर्गत दर्ज मामलों में प्रभावी अनुसंधान के साथ राहत सुनिश्चित करायी जाय।
बैठक में रेल अपराध की अभी हाल में हुयी घटनाओं पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुये मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभावकारी योजना बनाये जाने का निर्देश दिया। राज्य सरकार द्वारा सशस्त्र अनुज्ञप्तिधारी के संबंध में यह निर्देश दिया गया है कि जो अनुज्ञप्तिधारी मृत हो गये हैं, उनके आश्रितों को समय सीमा के अंदर नई अनुज्ञप्ति दी जाय, इसकी भी समीक्षा समय- समय पर की जाय।
मुख्यमंत्री ने आर्थिक अपराध पर प्रभावी नियंत्रण हेतु की जा रही कार्रवाइयों की समीक्षा भी की और कहा कि इस माह के अंत में जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षकों की राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक होगी, जिसमें अपराध नियंत्रण हेतु किये जा रहे कार्रवाइयों की गहराई से समीक्षा की जायेगी। मुख्यमंत्री के स्तर पर अपराध नियंत्रण एवं विधि व्यवस्था के कार्यों की मासिक समीक्षा भी होगी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जो भी पुलिस पदाधिकारी अपराध नियंत्रण एवं विधि व्यवस्था कार्य में कोताही बरते पाये जायें, उन्हें चिह्नित किया जाय और उनके विरूद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाय। जो पदाधिकारी उत्कृष्ट कार्य करते हैं, उन्हें पुरस्कृत भी किया जाय।  
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