Friday, 23 January 2015

जिस समाज को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक आजादी से पूर्ण कर दिया जाता है तो उसी समाज को पूर्ण समाज कहा जायेगा:- मुख्यमंत्री

पटना, 23 जनवरी 2015:- जिस समाज को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक आजादी से पूर्ण कर दिया जाता है तो उसी समाज को पूर्ण समाज कहा जायेगा। संपति कुछ जगह सिमट कर रह गयी है और गरीब, बेवस लोग दो जून रोटी के लिये तरस रहे हैं। सबको दो जून खाना मिल जाय, खाना मुअस्सर नहीं होने के कारण ही फ्लसटेशन (निराशा) की भावना जगती है और समाज में ना बराबरी का वातावरण बनता है। जननायक कर्पूरी ठाकुर समता मूलक समाज का निर्माण चाहते थे और न्याय के साथ विकास की धारा को हर घर तक पहुॅचाना उनकी अवधारणा थी। उनकी अवधारणा को हम पूरा करने में लगे हुये हैं। गरीबी की समस्या से लोगों को निजात मिले, इसके लिये निरंतर प्रयत्न कर रहे हैं। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी बिहार विधान परिषद के उप भवन में जननायक कर्पूरी ठाकुर फाउण्डेशन के तत्वावधान में ‘बिहार के विकास के लिये कमजोर वर्गों का आर्थिक सशक्तिकरण’ विषय पर कर्पूरी ठाकुर स्मृति व्याख्यान माला का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने जननायक कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनसे जुड़े दो संस्मरणों को सुनाया। उन्होंने कहा कि जब वे सीतामढ़ी जिला के प्रभारी मंत्री थे और 11 नंबर फ्लैट में रहा करते थे, एक दिन अचानक एक व्यक्ति के जीप से आने की आहट मिली। दरवाजे पर दस्तक सुनायी दी तो मालूम हुआ कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी आये हुये हैं। मैं उन्हें वहाॅ देखकर अवाक रह गया और पूछा कि इतनी रात आप क्यों आये, कोई जरूरत थी तो मुझे ही बुला लिया होता, इसके उतर में उन्होंने कहा कि कल सीतामढ़ी में 20सूत्री की बैठक है। मैं उक्त बैठक में नहीं आ सकूॅगा। मैंने उनसे कहा कि यदि आप बैठक में नहीं जा सकते हैं तो मैं बैठक को ही टाल देता हूॅ। उन्होंने कहा कि वे ऐसा न करें, यह उनकी महानता थी कि इतनी छोटी बातों पर भी उन्होंने जो संवेदनशीलता को दिखाया, वह कोई मकान व्यक्ति ही कर सकता है। कर्पूरी जी अत्यधिक व्यस्त रहते थे इसलिये उन्हें सोने का कम समय मिलता था इसलिये वे अक्सरहां जीप के पिछले सीट पर सोकर यात्रा करते थे। यह उनकी सरलता एवं महानता थी। दूसरा संस्मरण सुनाते हुये कहा कि इन्दिरा आवास का काॅन्सेप्ट जब आया था तो उसकी घोर मुखालफत उन्होंने की थी। जब मैंने उन्हें बताया कि इन्दिरा आवास को गाॅव के किनारे बनाये जाने का क्या कारण है तो वे हमारी बातों से संतुष्ट हुये और पुनः हमें शाबासी देने देर रात हमारे घर आये। कर्पूरी ठाकुर जैसा महान नेता हमारे जैसे छोटे व्यक्ति को शाबासी देने के लिये स्वयं आये, यह उनकी महानता को प्रदर्शित करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे गरीबों एवं मेधा के प्रति समर्पित व्यक्ति थे, उन्हें भारत रत्न न मिलना अन्याय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब और गरीबी क्यों है, इस पर गंभीरता से सोंचना होगा। सलाहियत रहने के बाद भी मौका नहीं दिया जाना अन्याय है। गरीबी ही ऐसी चीज है जो सामाजिक असंतुलन बनाकर रखे हुये है। गरीबी कैसे मिटाई जाय, इसकी चिन्ता सबको होनी चाहिये। अशिक्षित न रहें, कम संसाधनों में भी पढ़ें-लिखें, ऊँचा अरमान रखें। उन्होंने कहा कि लक्ष्य जितना भी कठिन होगा, उसे प्राप्त करने के लिये कठिन मेहनत करेंगे तो लक्ष्य की प्राप्ति होगी। दिमाग में समाज और मानव जाति के लिये कुछ करने का लक्ष्य बनाकर रखें। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिये हर तरह के संसाधन को जुटाया जा रहा है, इसका लाभ लें। द्वितीय श्रेणी से पास गरीब बच्चों को भी हम प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पचास लाख तक के ठेकेदारी में आरक्षण को लागू करने का सोंचा है। चालीस हजार करोड़ रूपये वार्षिक निर्माण कार्य पर योजना मद से खर्च कर रहे हैं। चार हजार करोड़ रूपये काॅन्टैªक्टर का बेनिफिट बनता है। हम गरीबों की भलाई की सोंच रहे हैं। जरूरत पड़ेगी तो उनके हक की लड़ाई लड़ेंगे। जो सोंचते हैं, वह करते हैं। गरीबों के मान- सम्मान को बढ़ाने के लिये सब कुछ करेंगे। हम नक्सलवाद के समर्थक नहीं हैं, हम तो उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना चाहते हैं। उनका भी विकास हो, वे हिंसा को छोड़कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जाति, धर्म पर विश्वास नहीं रखते, हम सब एक ईश्वर की संतान हैं। हमें जाति में बाॅटा गया और अनेक तरह से प्रताडि़त किया जा रहा है। माइंडसेट को भी बदलना होगा। गरीबों, अत्यंत पिछड़े, दलित, महादलित, अल्पसंख्यकों को नियोजन देना होगा। शिक्षा को अपनाकर नियोजन के क्षेत्र में हम आगे बढ़ सकते हैं। ज्यादा धन हो तो इसका उपयोग समाज की भलाई पर करें। धन इतना ही होना चाहिये कि जैसा कबीर दास ने कहा- साईं इतना दीजिये जामे कुटुम्ब समाय, मैं भी भूखा न रहूॅ और साधु भूखा न जाय। उन्होंने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का विचार भी सादा जीवन, उच्च विचार का था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज से ना बराबरी तभी समाप्त होगी, जब समाज के संभ्रांत लोग और गरीब के बेटे एक साथ बैठकर पढ़ें और उन्हें एक तरह की पढ़ाई का सामान्य अवसर मिले। दोनों की पढ़ाई एक तरह की होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि स्व0 कर्पूरी ठाकुर को मैं आज नमन करता हूॅ और अपील करता हूॅ कि सभी गरीबों को आगे बढ़ने का मौका दीजिये। स्व0 कर्पूरी ठाकुर की एक-एक भावना को ईमानदारी से बढ़ाने का संकल्प लें।
समारोह की अध्यक्षता सभापति बिहार विधान परिषद श्री अवधेश नारायण सिंह ने किया और कहा कि बिहार को यह गौरव प्राप्त है कि बिहार ने देशरत्न लोकनायक एवं जननायक को पैदा किया। एक गरीब का बेटा भी देश का जननायक बन सकता है। कर्पूरी जी के आदर्शों को अपनाइये। उन्होंने कविवर रामधारी सिंह दिनकर की पुस्तक रश्मि रती का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी और राम मनोहर लोहिया जी को भारत रत्न मिलना चाहिये।
श्री सिंह ने कहा कि पढ़ो-लिखो, आगे बढ़ो। गरीबी खुद समाप्त हो जायेगी। गरीब एवं अभिवंचितों के प्रति सम्मान रखें। कर्पूरी ठाकुर गरीबों के प्रेरणास्रोत थे। बच्चों को शिक्षा देंगे, तभी असमानता स्वयं खत्म हो जायेगी।
समारोह के आयोजक उद्योग मंत्री श्री भीम सिंह ने कहा कि सामाजिक सशक्तिकरण के साथ आर्थिक न्याय की बात होनी चाहिये। मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी जन वितरण प्रणाली में आरक्षण की व्यवस्था को लागू करा रहे हैं, जो आर्थिक सशक्तिकरण की अवधारणा को मजबूत करेगी। ठेकेदारी में पचास लाख तक के काम में आरक्षण की अवधारणा की भी उन्होंने सराहना की और कहा कि आर्थिक न्याय की दिशा में यह बड़ा कदम है। मंच संचालन विधान पार्षद प्रो0 राम वचन राय ने किया। इस अवसर पर विधान पार्षद श्री उदय कान्त चैधरी ने भी समारोह को संबोधित किया और कहा कि देश के 85 प्रतिशत को आगे बढ़ाना हम सबकी जरूरत है, इन्हें आगे बढ़ाना देश को आगे बढ़ाना होगा।
इस अवसर पर गन्ना उद्योग मंत्री श्रीमती रंजू गीता, विधान पार्षद श्री विजय कुमार मिश्रा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन श्री संतोष दास तांती ने किया।
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