राज्य योजना पर्षद की बैठक तालिका बनाकर समय पर आयोजित की जाय:- मुख्यमंत्री
पटना, 12 जनवरी 2015:- विचारों से लाभ लेने के लिये जरूरी है कि राज्य योजना पर्षद की बैठक निश्चित रूप से समय पर तालिका बनाकर आहुत की जाय। साल में कम से कम एक बैठक निश्चित रूप से होनी चाहिये। जरूरत पड़ने पर एक-दो बैठक और आयोजित कर इसमें योजना पर्षद के कार्यों का मध्यावधि समीक्षा भी की जाय। यह निर्देश आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी ने बिहार राज्य योजना पर्षद की बैठक की अध्यक्षता करते हुये की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष का पद रिक्त है। उपाध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण है, इस पद पर किसी न किसी को अवश्य रहना चाहिये। बैठक में निर्णय लिया गया कि योजना एवं विकास विभाग के मंत्री को राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष का अतिरिक्त दायित्व सौंपा जाय। जितने भी विभाग हैं, सभी विभागों की एक साथ बैठक कर समेकित निर्णय लेने में देर हो सकती है इसलिये विभागों का अलग-अलग समूह बनाकर विभागीय योजनाओं पर विमर्श हो और परामर्श लिये जायें। समूह में सम्मिलित विभागों के वरीय पदाधिकारी उप समिति के संयोजक रहें, ऐसा किये जाने से पराॅपर डिस्कशन होगी और सुझाव मिलेंगे। तात्कालीक एवं लौंग टर्म योजनाओं पर विचार के लिये विशेषज्ञों की एक समिति बनाये जाने का भी निर्णय बैठक में लिया गया और निर्देश दिया गया कि इस समिति में सभी महत्वपूर्ण क्षेत्र के विशेषज्ञों को सम्मिलित किया जाय और उनके विचारों एवं अनुभवों का लाभ लेने का प्रयास किया जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिचार के बिन्दुओं में अनुसूचित जाति/जनजाति के लिये विशेष अंगीभूत योजनाओं में क्या कुछ किया जा सकता है, पर भी विस्तार से विमर्श कर सुझाव लिये जायें। हमलोगों की प्राथमिकता में सभी कुछ है, मगर इस बात पर फोकस होना चाहिये कि जो बात सोंच रहे हैं, उसका कार्यान्वयन कैसे बेहतर ढ़ंग से हो। गरीबी को दूर करने के लिये क्या कुछ कर सकते हैं, अभिवंचित वर्गों, व्यक्तियों के हित में हमलोगों को विचार करना चाहिये। योजनाओं का प्रवाह अभिवंचितों तक कैसे पहुॅचे, इस पर विचार होनी चाहिये। योजना पर्षद के दायित्वों के निवर्हन में नई दिशा देते हुये समाज के अधिसंख्यक वंचित आबादी के विकास को लक्ष्य कर योजना निर्माण हेतु सुझाव देने का दायित्व सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में भी हमलोगों को सोंचना होगा कि हमलोग आगे इस दिशा में क्या और कैसे करेंगे।
बैठक में गत बैठक की कार्यवाही एवं उसके अनुपालन प्रतिवेदन की भी समीक्षा की गयी तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत प्राप्त उपलब्धियों की मध्यावधि समीक्षा बैठक में की गयी।
बैठक में वित मंत्री श्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, योजना एवं विकास मंत्री श्री पी0के0 शाही, कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह, पथ निर्माण मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री श्री नीतीश मिश्रा, ग्रामीण कार्य मंत्री श्री श्रवण कुमार, खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री श्याम रजक, नगर विकास मंत्री श्री सम्राट चैधरी, पशुपालन मंत्री श्री बैद्यनाथ सहनी, पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्रीमती बीमा भारती, सदस्य राज्य योजना पर्षद यथा- श्री ए0एन0पी0 सिन्हा, श्री संजय झा, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त श्री एस0के0 नेगी, प्रधान सचिव योजना एवं विकास श्री डी0एस0 गंगवार, प्रधान सचिव वित श्री रामेश्वर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा तथा संबंधित विभाग के प्रधान सचिव/सचिव उपस्थित थे।
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पटना, 12 जनवरी 2015:- विचारों से लाभ लेने के लिये जरूरी है कि राज्य योजना पर्षद की बैठक निश्चित रूप से समय पर तालिका बनाकर आहुत की जाय। साल में कम से कम एक बैठक निश्चित रूप से होनी चाहिये। जरूरत पड़ने पर एक-दो बैठक और आयोजित कर इसमें योजना पर्षद के कार्यों का मध्यावधि समीक्षा भी की जाय। यह निर्देश आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी ने बिहार राज्य योजना पर्षद की बैठक की अध्यक्षता करते हुये की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष का पद रिक्त है। उपाध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण है, इस पद पर किसी न किसी को अवश्य रहना चाहिये। बैठक में निर्णय लिया गया कि योजना एवं विकास विभाग के मंत्री को राज्य योजना पर्षद के उपाध्यक्ष का अतिरिक्त दायित्व सौंपा जाय। जितने भी विभाग हैं, सभी विभागों की एक साथ बैठक कर समेकित निर्णय लेने में देर हो सकती है इसलिये विभागों का अलग-अलग समूह बनाकर विभागीय योजनाओं पर विमर्श हो और परामर्श लिये जायें। समूह में सम्मिलित विभागों के वरीय पदाधिकारी उप समिति के संयोजक रहें, ऐसा किये जाने से पराॅपर डिस्कशन होगी और सुझाव मिलेंगे। तात्कालीक एवं लौंग टर्म योजनाओं पर विचार के लिये विशेषज्ञों की एक समिति बनाये जाने का भी निर्णय बैठक में लिया गया और निर्देश दिया गया कि इस समिति में सभी महत्वपूर्ण क्षेत्र के विशेषज्ञों को सम्मिलित किया जाय और उनके विचारों एवं अनुभवों का लाभ लेने का प्रयास किया जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिचार के बिन्दुओं में अनुसूचित जाति/जनजाति के लिये विशेष अंगीभूत योजनाओं में क्या कुछ किया जा सकता है, पर भी विस्तार से विमर्श कर सुझाव लिये जायें। हमलोगों की प्राथमिकता में सभी कुछ है, मगर इस बात पर फोकस होना चाहिये कि जो बात सोंच रहे हैं, उसका कार्यान्वयन कैसे बेहतर ढ़ंग से हो। गरीबी को दूर करने के लिये क्या कुछ कर सकते हैं, अभिवंचित वर्गों, व्यक्तियों के हित में हमलोगों को विचार करना चाहिये। योजनाओं का प्रवाह अभिवंचितों तक कैसे पहुॅचे, इस पर विचार होनी चाहिये। योजना पर्षद के दायित्वों के निवर्हन में नई दिशा देते हुये समाज के अधिसंख्यक वंचित आबादी के विकास को लक्ष्य कर योजना निर्माण हेतु सुझाव देने का दायित्व सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में भी हमलोगों को सोंचना होगा कि हमलोग आगे इस दिशा में क्या और कैसे करेंगे।
बैठक में गत बैठक की कार्यवाही एवं उसके अनुपालन प्रतिवेदन की भी समीक्षा की गयी तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत प्राप्त उपलब्धियों की मध्यावधि समीक्षा बैठक में की गयी।
बैठक में वित मंत्री श्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, योजना एवं विकास मंत्री श्री पी0के0 शाही, कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह, पथ निर्माण मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री श्री नीतीश मिश्रा, ग्रामीण कार्य मंत्री श्री श्रवण कुमार, खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री श्याम रजक, नगर विकास मंत्री श्री सम्राट चैधरी, पशुपालन मंत्री श्री बैद्यनाथ सहनी, पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्रीमती बीमा भारती, सदस्य राज्य योजना पर्षद यथा- श्री ए0एन0पी0 सिन्हा, श्री संजय झा, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त श्री एस0के0 नेगी, प्रधान सचिव योजना एवं विकास श्री डी0एस0 गंगवार, प्रधान सचिव वित श्री रामेश्वर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री अमृत लाल मीणा तथा संबंधित विभाग के प्रधान सचिव/सचिव उपस्थित थे।
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