राजस्व विभाग के अधिकारी संवेदनषीलता एवं नैतिकता के आधार पर गरीबों के हित में करें काम:- मुख्यमंत्री
पटना, 10 जनवरी 2015:- बिहार के वर्तमान परिदृष्य में भूमि सुधार की आवष्यकता है और जितने भी भूमि जनित मामले हंै, उनका त्वरित एवं कारगर निष्पादन जरूरी है। भूमि विवादों के निष्पादन में राजस्व विभाग के अधिकारी संवेदनषीलता, नैतिकता एवं अंर्तआत्मा की आवाज के अनुसार गरीबों के हित में काम करें। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी बिहार भूमि न्यायाधिकरण के एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि समस्याएॅ बहुत हैं, सक्षम लोग निरारकण करा लेते हैं लेकिन गरीब लोगों के पास समय एवं साधन की कमी होती है, जिसके कारण विभिन्न प्रकार की परिस्थितियाॅ उत्पन्न होती हैं। उनमें असंतोष पनपता है, विधि व्यवस्था में गिरावट आती है और एक दूसरे को लोग संदेह की दृष्टि से देखते हैं। भूमि विवादों के निष्पादन में न्यायाधिकरण की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने जिस परिकल्पना के आधार पर न्यायाधिकरण का गठन किया था, इस दिशा में न्यायाधिकरण अपना काम अच्छी तरह से कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने सेमिनार में भाग लेने आये पदाधिकारियों से कहा कि आप संवेदनषील होकर काम करते हंै तो भूमि संबंधी मामले न्यायालयों मंे कम आयेंगे। आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है। भूमि विवादों से संबंधित जितने भी प्रावधान बनाये गये हैं, उसका ईमानदारी से पालन करंेगे तो कोई मामला न्यायालय या न्यायाधिकरण में नहीं पहॅुचेगा। यही आपकी सफलता एवं दक्षता का मापदण्ड है। गरीबों की सहायता के लिए संवदेनशीलता एवं नैतिकता के आधार पर काम करें। आज समाज में भाई-भतीजा विवाद, नक्सलवाद, हताशा आदि में मुख्य एवं बड़ा कारण भूमि संबंधी मामले एवं समस्यायें हैं। कानून जानने वाले सक्षम व्यक्ति अपने हित में कार्य करा लेते हैं। गरीबों को नियमों, कानून का ज्ञान नहीं होता, वे सिर्फ हल्का कर्मचारी और अधिक से अधिक अंचलाधिकारियों को जानते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिलिंग अधिनियम से भूमि का पर्चा प्राप्त करने के बाद बंजर एवं अनुपयोगी जमीन को अपनी मेहनत एवं मशक्कत से एक गरीब उसे उपयोगी बनाता है लेकिन जिस व्यक्ति की जमीन सिलिंग में है, उसी के पक्ष में फैसला आता है। इससे गरीब की एक प्रकार से मौत हो जाती है, वे हताशा में जीते हैं। मुख्यमंत्री ने भूमि विवादों के मामले में वादो के प्रस्तुतीकरण में गरीबों के हित को घ्यान में रखने को कहा ताकि उनमें असंतोष न पनपे। उन्होंने कहा कि आप स्थानीय पदाधिकारी हैं। जब भी आप पर्चा देते हैं या किसी प्रकार का निर्णय देते हैं तो उसे परिणति तक पहॅुचायें ताकि किसी प्रकार का विवाद न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिनियम के द्वारा भूमि सुधार उपसमाहर्ता को भूमि के संबंध में बड़ी शक्ति दी गई है। समुचित परिणाम अभी सामने नहीं आ रहा है। गरीब व्यक्ति न्यायालय नहीं जा पाते हैं। कई मामले में जहाॅ विशुद्ध न्याय मिलना चाहिये, नहीं मिलने से गरीब त्रस्त होता है। राजनीतिक रूप से बड़गलाया जाता है, वह उग्रवाद भी हो सकता है। यदि आप सचेत रहेंगे एवं नैतिकता को ध्यान में रखकर कानून के तहत अपने कर्तव्य का पालन करेंगे तो ऐसी नौबत नहीं आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व संग्रहण में जब लक्ष्य दिया जाता है तो बिना औपचारिकता पूरा किये आनन-फानन में रसिद काट दी जाती है, ऐसा नहीं होना चाहिये। इससे समस्या उत्पन्न होती है। क्षेत्र में जाकर कार्रवाई करेंगे तो ऐसी नौबत नहीं आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्ता, अचंलाधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर एक दिन बितायें और शिविर में मामलों का सकारात्मक निष्पादन करें। उन्होंने कहा कि वन विभाग की भूमि के कारण भी विवाद होते हंै। कानून के अन्तर्गत गरीबों को हटाया जाता है। ऐसे मामलों में संवेदनशीलता के साथ पहल कर एवं वन विभाग के साथ समन्वय कर गरीबों को वास के संबंध में भी कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री ने ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा करते हुये कहा कि लोग इससे त्रस्त हो रहे हंै। जलस्तर कम हो रहा है, पेयजल की भी कमी हो रही है। पहले हर राजस्व ग्राम में तालाब, जलस्रोत आदि होते थे, जिससे पेयजल एवं सिंचाई की सुविधा प्राप्त होती थी। अपने स्तर से देखें कि सार्वजनिक तालाब, पईन जलस्रोत आदि का अतिक्रमण न हो, उसे बरकरार रखने का काम होना चाहिये ताकि पर्यावरण एवं लोगों को संरक्षित किया जा सके। गरीबों को भूमि देने में किसी प्रकार का अन्याय न हो। मुख्यमंत्री ने न्यायालय से भी अनुरोध किया कि गरीबों के हित में निर्णय न्याय के आधार पर करें।
बिहार भूमि न्यायाधिकरण की आधारभूत सुविधाओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सचेत एवं तत्पर हैं। इस महत्वपूर्ण न्यायाधिकरण के लिये कार्यालय भवन, कर्मी एवं सदस्यों के संदर्भ में जल्द ही विचार कर संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे। प्रावधानों के तहत न्यायाधिकरण को सशक्त बनाया जायेगा ताकि न्यायाधिकरण सभी को त्वरित न्याय प्रदान कर सके।
इस अवसर पर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि भूमि की समस्या इस धरती पर अनादि काल से रही है। इस समस्या को दूर करने के लिये राज्य सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। निम्न एवं उच्च स्तर के न्यायालय के बीच मंच के रूप में बिहार भूमि न्यायाधिकरण की स्थापना की गयी है। प्रमण्डल स्तर पर जिलाधिकारी से लेकर अंचलाधिकारी स्तर के पदाधिकारियों से समीक्षा बैठक की जा रही है, जिसमें भूमि संबंधी मामलों एवं विवादों की समीक्षा की जायेगी। माह के चारो मंगलवार को शिविर का आयोजन किया जायेगा। इसका प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। भूमि संबंधी मामलों में जो भी अंचलाधिकारी कोताही बरतेंगे तो उन पर कार्रवाई होगी।
अतिथियों का स्वागत करते हुये बिहार भूमि न्यायाधिकरण की अध्यक्ष जस्टिस श्रीमती मृदुला मिश्रा ने बिहार भूमि न्यायाधिकरण के कार्यों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। अपनी समस्याओं को भी बताया। उन्होंने कहा कि सीमित साधनों में भी न्यायाधिकरण अपना काम अच्छी तरह से कर रहा है। वादों के निष्पादन में वृद्धि हुयी है।
इस अवसर पर सचिव बिहार लोक सेवा आयोग श्री राधा मोहन प्रसाद की राजस्व कानून से संबंधित दो पुस्तकों का विमोचन मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ एवं शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। सेमिनार में प्रधान सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार श्री ब्यासजी, न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य श्री रामप्रवेश शर्मा, प्रशासनिक सदस्य डाॅ0 के0पी0 रमैया, पटना के प्रमण्डलीय आयुक्त सह सचिव भवन निर्माण श्री नर्मदेश्वर लाल, जिलाधिकारी पटना श्री अभय कुमार सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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पटना, 10 जनवरी 2015:- बिहार के वर्तमान परिदृष्य में भूमि सुधार की आवष्यकता है और जितने भी भूमि जनित मामले हंै, उनका त्वरित एवं कारगर निष्पादन जरूरी है। भूमि विवादों के निष्पादन में राजस्व विभाग के अधिकारी संवेदनषीलता, नैतिकता एवं अंर्तआत्मा की आवाज के अनुसार गरीबों के हित में काम करें। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी बिहार भूमि न्यायाधिकरण के एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि समस्याएॅ बहुत हैं, सक्षम लोग निरारकण करा लेते हैं लेकिन गरीब लोगों के पास समय एवं साधन की कमी होती है, जिसके कारण विभिन्न प्रकार की परिस्थितियाॅ उत्पन्न होती हैं। उनमें असंतोष पनपता है, विधि व्यवस्था में गिरावट आती है और एक दूसरे को लोग संदेह की दृष्टि से देखते हैं। भूमि विवादों के निष्पादन में न्यायाधिकरण की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने जिस परिकल्पना के आधार पर न्यायाधिकरण का गठन किया था, इस दिशा में न्यायाधिकरण अपना काम अच्छी तरह से कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने सेमिनार में भाग लेने आये पदाधिकारियों से कहा कि आप संवेदनषील होकर काम करते हंै तो भूमि संबंधी मामले न्यायालयों मंे कम आयेंगे। आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है। भूमि विवादों से संबंधित जितने भी प्रावधान बनाये गये हैं, उसका ईमानदारी से पालन करंेगे तो कोई मामला न्यायालय या न्यायाधिकरण में नहीं पहॅुचेगा। यही आपकी सफलता एवं दक्षता का मापदण्ड है। गरीबों की सहायता के लिए संवदेनशीलता एवं नैतिकता के आधार पर काम करें। आज समाज में भाई-भतीजा विवाद, नक्सलवाद, हताशा आदि में मुख्य एवं बड़ा कारण भूमि संबंधी मामले एवं समस्यायें हैं। कानून जानने वाले सक्षम व्यक्ति अपने हित में कार्य करा लेते हैं। गरीबों को नियमों, कानून का ज्ञान नहीं होता, वे सिर्फ हल्का कर्मचारी और अधिक से अधिक अंचलाधिकारियों को जानते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिलिंग अधिनियम से भूमि का पर्चा प्राप्त करने के बाद बंजर एवं अनुपयोगी जमीन को अपनी मेहनत एवं मशक्कत से एक गरीब उसे उपयोगी बनाता है लेकिन जिस व्यक्ति की जमीन सिलिंग में है, उसी के पक्ष में फैसला आता है। इससे गरीब की एक प्रकार से मौत हो जाती है, वे हताशा में जीते हैं। मुख्यमंत्री ने भूमि विवादों के मामले में वादो के प्रस्तुतीकरण में गरीबों के हित को घ्यान में रखने को कहा ताकि उनमें असंतोष न पनपे। उन्होंने कहा कि आप स्थानीय पदाधिकारी हैं। जब भी आप पर्चा देते हैं या किसी प्रकार का निर्णय देते हैं तो उसे परिणति तक पहॅुचायें ताकि किसी प्रकार का विवाद न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिनियम के द्वारा भूमि सुधार उपसमाहर्ता को भूमि के संबंध में बड़ी शक्ति दी गई है। समुचित परिणाम अभी सामने नहीं आ रहा है। गरीब व्यक्ति न्यायालय नहीं जा पाते हैं। कई मामले में जहाॅ विशुद्ध न्याय मिलना चाहिये, नहीं मिलने से गरीब त्रस्त होता है। राजनीतिक रूप से बड़गलाया जाता है, वह उग्रवाद भी हो सकता है। यदि आप सचेत रहेंगे एवं नैतिकता को ध्यान में रखकर कानून के तहत अपने कर्तव्य का पालन करेंगे तो ऐसी नौबत नहीं आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व संग्रहण में जब लक्ष्य दिया जाता है तो बिना औपचारिकता पूरा किये आनन-फानन में रसिद काट दी जाती है, ऐसा नहीं होना चाहिये। इससे समस्या उत्पन्न होती है। क्षेत्र में जाकर कार्रवाई करेंगे तो ऐसी नौबत नहीं आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्ता, अचंलाधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर एक दिन बितायें और शिविर में मामलों का सकारात्मक निष्पादन करें। उन्होंने कहा कि वन विभाग की भूमि के कारण भी विवाद होते हंै। कानून के अन्तर्गत गरीबों को हटाया जाता है। ऐसे मामलों में संवेदनशीलता के साथ पहल कर एवं वन विभाग के साथ समन्वय कर गरीबों को वास के संबंध में भी कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री ने ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा करते हुये कहा कि लोग इससे त्रस्त हो रहे हंै। जलस्तर कम हो रहा है, पेयजल की भी कमी हो रही है। पहले हर राजस्व ग्राम में तालाब, जलस्रोत आदि होते थे, जिससे पेयजल एवं सिंचाई की सुविधा प्राप्त होती थी। अपने स्तर से देखें कि सार्वजनिक तालाब, पईन जलस्रोत आदि का अतिक्रमण न हो, उसे बरकरार रखने का काम होना चाहिये ताकि पर्यावरण एवं लोगों को संरक्षित किया जा सके। गरीबों को भूमि देने में किसी प्रकार का अन्याय न हो। मुख्यमंत्री ने न्यायालय से भी अनुरोध किया कि गरीबों के हित में निर्णय न्याय के आधार पर करें।
बिहार भूमि न्यायाधिकरण की आधारभूत सुविधाओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सचेत एवं तत्पर हैं। इस महत्वपूर्ण न्यायाधिकरण के लिये कार्यालय भवन, कर्मी एवं सदस्यों के संदर्भ में जल्द ही विचार कर संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे। प्रावधानों के तहत न्यायाधिकरण को सशक्त बनाया जायेगा ताकि न्यायाधिकरण सभी को त्वरित न्याय प्रदान कर सके।
इस अवसर पर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री नरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि भूमि की समस्या इस धरती पर अनादि काल से रही है। इस समस्या को दूर करने के लिये राज्य सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। निम्न एवं उच्च स्तर के न्यायालय के बीच मंच के रूप में बिहार भूमि न्यायाधिकरण की स्थापना की गयी है। प्रमण्डल स्तर पर जिलाधिकारी से लेकर अंचलाधिकारी स्तर के पदाधिकारियों से समीक्षा बैठक की जा रही है, जिसमें भूमि संबंधी मामलों एवं विवादों की समीक्षा की जायेगी। माह के चारो मंगलवार को शिविर का आयोजन किया जायेगा। इसका प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। भूमि संबंधी मामलों में जो भी अंचलाधिकारी कोताही बरतेंगे तो उन पर कार्रवाई होगी।
अतिथियों का स्वागत करते हुये बिहार भूमि न्यायाधिकरण की अध्यक्ष जस्टिस श्रीमती मृदुला मिश्रा ने बिहार भूमि न्यायाधिकरण के कार्यों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। अपनी समस्याओं को भी बताया। उन्होंने कहा कि सीमित साधनों में भी न्यायाधिकरण अपना काम अच्छी तरह से कर रहा है। वादों के निष्पादन में वृद्धि हुयी है।
इस अवसर पर सचिव बिहार लोक सेवा आयोग श्री राधा मोहन प्रसाद की राजस्व कानून से संबंधित दो पुस्तकों का विमोचन मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ एवं शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। सेमिनार में प्रधान सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार श्री ब्यासजी, न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य श्री रामप्रवेश शर्मा, प्रशासनिक सदस्य डाॅ0 के0पी0 रमैया, पटना के प्रमण्डलीय आयुक्त सह सचिव भवन निर्माण श्री नर्मदेश्वर लाल, जिलाधिकारी पटना श्री अभय कुमार सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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