पटना, 20 जनवरी 2015:- आपदा प्रबंधन की जानकारी बच्चों को प्रारंभिक अवस्था से ही मिले, इसके लिये आपदा प्रबंधन को स्कूल के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये जाने के लिये विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करेंगे। आपदा प्रबंधन की जानकारी सबको रहनी चाहिये, प्राकृतिक आपदा को रोका नहीं जा सकता है, मगर आपदा प्रबंधन की बेहतर तैयारी कर आपदा के जोखिम को कम किया जा सकता है। आॅधी, तूफान, आगजनी, भूकम्प और रोड एक्सिडेंट से कम से कम जान-माल का नुकसान हो, इसकी तैयारी की जा सकती है और इसके लिये जनमानष को तैयार किया जा सकता है। आज मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माॅझी एन0आई0टी0 पटना में भूकम्प सुरक्षा क्लिनिक एवं केन्द्र का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा भूकम्परोधी मकान के माॅडलों एवं भूकम्प से बचाव के तरीकों की जानकारी के लिये भूकम्प सुरक्षा क्लिनिक में लगाये गये प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कहा कि भूकम्प की संवेदनशीलता को बतायें, इसके लिये व्यापक प्रचार कर जनमानष को आपदा से लड़ने की तैयारी का व्यापक प्रशिक्षण दिया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यहाॅ आकर भूकम्प एवं अन्य प्राकृतिक आपदा के संबंध में विस्तृत जानकारी मिली है, उनका ज्ञानवर्द्धन हुआ है। भूकम्प से मात्र अमीर या गरीब प्रभावित नहीं होते हैं बल्कि इससे सबकी तबाही और बर्बादी होती है। प्राकृतिक आपदाओं की विभीषिका से लोगों को कैसे बचाया जाय, इसके लिये आमजनों को तैयार किया जाय, उन्हें जागरूक बनाया जाय। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास सदा गरीबी उन्मूलन के लिये रहता है और वे गरीबी को पूरी तरह से समाप्त करने का यतन कर रहे हैं। सबके जीवन में खुशहाली लाना उनका सपना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या में वृद्धि, वातावरण को गंदा करना, वायु प्रदूषण को बढ़ाना, जंगल की कटाई इत्यादि के कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहा है और भीषण गर्मी, भीषण ठंड के साथ-साथ अनेक तरह के प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की बातें हो रही है। गंगा नदी में सिल्ट भरता जा रहा है। फरक्का बाॅध के कारण गंगा नदी में सिल्ट भर गया है। यदि और बराज गंगा नदी में बनाये गये तो गंगा नदी के अस्तित्व पर खतरा बढ़ जायेगा। भूगर्भ जल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है, इन सब प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करने के लिये हमें वृक्ष की कटाई को रोकनी होगी तथा जंगल के घनत्व को 33 प्रतिशत करना होगा, वृक्ष लगाने होंगे। गंदगी से मुक्ति का प्रयास करना होगा। हम इसके लिये आमजनों को प्रेरित करते रहेंगे तो हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा, बीमारियों का प्रकोप कम होगा। वर्षा समय पर होगी। उन्होंने कहा कि शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन नहीं मिलने के कारण हमारी आयु घट रही है। कीटनाशकों एवं रसायनिक खादों के प्रचूर मात्रा में उपयोग से कई तरह के पशु, पक्षी भी विलुप्त होते जा रहे हैं। पशु, पक्षी हमारे साथी हैं, ये प्रकृति को बैलेंस करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी धारणा है कि पाप कम होगा तो पृथ्वी शांत रहेगी। पृथ्वी शांत रहेगी तो हम, आप भी शांत रहेंगे। प्रदूषण को फैलाना भी पाप है। हम पर्यावरण को साफ एवं स्वच्छ बनाकर रखेंगे तो प्रकृति का संतुलन बना रहेगा और हम सबको प्राकृतिक आपदाओं की मार नहीं झेलनी पड़ेगी। आपदा प्रबंधन को हम प्राथमिकता देंगे और आपदा प्रबंधन के लिये राज्य सरकार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को हर तरह का सहयोग करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एन0आई0टी0 पटना की जमीन संबंधी समस्या का निराकरण उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर करेंगे, एन0आई0टी0 को जमीन सुलभ करायेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार देश का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है। यहाॅ पर जमीन की बड़ी समस्या है। कम जमीन में बहुमंजिला इमारत बनाकर जरूरतों की पूर्ति की जा सके, ऐसी टेक्नोलाॅजी विकसित करें, जिसमें कम से कम जमीन की आवश्यकता हो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक आपदा की संवेदनशीलता से लोगों को अवगत कराने एवं आपदा की स्थिति में इसका मुकाबला कैसे हो, इसकी तैयारी की जानकारी देने के लिये चेतना रथ निकालेगी। चेतना रथ का प्रबंधन बिहार सरकार करेगी और आपदा से बचाव की जानकारी आपलोग दें। जवानों को इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिये कि संरचना को कैसे बचाये रखा जा सकता है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार के टेबुल कैलेण्डर, चार तरह के पोस्टर, प्रवेशिका एवं अन्य प्रचार साहित्यों का लोकार्पण कर इसे राज्य की जनता को समर्पित किया।
उपाध्यक्ष बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण श्री अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहाॅ पर भूकम्प सुरक्षा क्लिनिक एवं केन्द्र की स्थापना आज की गयी है। इसे कल से आमलोगों के लिये खोल दी जायेगी। इस क्लिनिक के संचालन पर होने वाले खर्च का वहन आपदा प्रबंधन प्राधिकार द्वारा किया जा रहा है। इस क्लिनिक में पर्यावरण मित्र लोगों को आपदा से बचाव के तरीकों की जानकारी देंगे। हमारे छात्र लोगों को भूकम्परोधी मकानों के निर्माण की जानकारी तथा विभिन्न तरह के आपदाओं से बचने के उपाय बता सकेंगे तो मैं समझूूॅगा कि यह कार्यक्रम सफल हुआ।
उन्होंने कहा कि भूकम्प से जानें नहीं जाती है बल्कि भवनों के गिरने से जान-माल का बड़ा नुकसान होता है। उन्होंने भूज, गुजरात में 2001 में आये भूकम्प की जानकारी दी और कहा कि भूज, गुजरात में मकानों के गिरने से एक स्कूल के 971 बच्चों की मृत्यु हुयी थी इसलिये हमें संकल्प लेना होगा कि जो भी निर्माण कार्य करेंगे, वह सेफ कंस्ट्रक्शन हो। जनसाधारण भूकम्प, बाढ़, आगजनी, आॅधी, तूफान से उत्पन्न होने वाले खतरों को जानें और उनसे कैसे बचा जा सकता है, इसकी जानकारी रखी जाय। उन्होंने कहा कि जहाॅ पर भूकम्प होता है, वहाॅ पर बाढ़ की समस्या भी रहती है। जलवायु परिवर्तन के कारण भी अनेक समस्यायें हो रही है। पर्यावरण के प्रति भी आमलोगों को सचेत किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकास ऐसा होना चाहिये जो आफत से लोगों को बचाये, ऐसा न हो कि वे स्वयं आफत बन जाये।
प्रधान सचिव आपदा प्रबंधन श्री ब्यासजी ने भी समारोह को संबोधित किया और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा की जा रही तैयारियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एस0डी0आर0एफ0 बटालियन का गठन किया गया है तथा एन0डी0आर0एफ0 की टुकडि़यों को भी तैनात कर रखा गया है तथा विभिन्न तरह के आपदाओं की स्थिति से निपटने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिये जा रहे हैं।
समारोह को डाॅ0 आनंद स्वरूप आर्य, प्रो0 मानष भारती वर्मा, प्रो0 आर0के0 भंडारी, प्रो0 जमाल एच0 अंसारी, प्रो0 बी0के0 रस्तोगी, एन0आई0टी0 पटना के निदेशक श्री अशोक डे, प्रो0 ए0के0 सिन्हा ने भी संबोधित किया और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि बिहार में जो प्रयास किये गये हैं, वे काफी सराहनीय है। विशेषज्ञों ने आपदा प्रबंधन को व्यापक एवं चुस्त किये जाने के लिये कई सुझाव भी दिये। धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 वरूण कुमार मिश्रा ने किया।
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